मौसम में मुहब्बत है-सोनम कपूर
मौसम को लेकर उत्साहित सोनम कपूर को एहसास है कि वह एक बड़ी फिल्म का हिस्सा हैं। वे मानती हैं कि पंकज कपूर के निर्देशन में उन्हें बहुत कुछ नया सीखने को मिला..
आपके पापा की पहली फिल्म में पंकज कपूर थे और आप उनकी पहली फिल्म में हैं..दो पीढि़यों के इस संयोग पर क्या कहेंगी?
बहुत अच्छा संयोग है। उम्मीद है पापा की तरह मैं भी पंकज जी के सानिध्य में कुछ विशेष दिखूं। मौसम बहुत ही इंटेंस लव स्टोरी है। जब मुझे आयत का किरदार दिया गया तो पंकज सर ने कहा था कि इसके लिए तुम्हें बड़ी तैयारी करनी होगी। पहले वजन कम करना होगा, फिर वजन बढ़ाना होगा। बाडी लैंग्वेज चेंज करनी पड़ेगी। ज्यादा मेकअप नहीं कर सकोगी।
इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया रही?
मैंने कहा कि इतना अच्छा रोल है तो मैं सब कुछ कर लूंगी। इस फिल्म में चार मौसम हैं। मैंने हर सीजन में अलग उम्र को प्ले किया है। इस फिल्म में मैं पहले पतली हुई, फिर मोटी और फिर और मोटी हुई। अभी उसी वजन में हूं। वजन कम नहीं हो रहा है।
वजन का खेल आपके साथ चलता रहा है। पहले ज्यादा फिर कम..।
बार-बार वजन कम-ज्यादा करना बहुत कठिन होता है। पहले तो अपनी लांचिंग फिल्म सांवरिया के लिए वजन कम किया, फिर दिल्ली-6 में वजन बढ़ाया। फिर आएशा और आई हेट लव स्टोरी के लिए कम करना पड़ा..दिक्कत तो होती है, लेकिन कैरेक्टर के हिसाब से करना पड़ता है।
वजन के साथ आपकी भाषा में भी बदलाव आया है। इसकी वजह?
मौसम में मैंने कश्मीरी मुस्लिम लड़की का रोल किया है। वह बहुत ही ठहराव वाली शांत लड़की है। उसमें नजाकत है। वह आज की माडर्न लड़कियों की तरह नहीं है। उसकी जुबान बहुत साफ है। तो जाहिर है कि बॉडी लैंग्वेज और कपड़ों के साथ ही मैंने भाषा पर भी काम किया। मुझे मेडिटेशन भी करना पड़ा। आयत जैसे ठहरे हुए किरदार को निभाना मुश्किल होता है। सही समय पर सही एक्सप्रेशन देना होता है। उछलने-कूदने से कठिन होता है, खुद को संयमित रखना। इस रोल ने मुझे निचोड़ लिया है। मैंने इस किरदार की बड़ी तैयारी की है। भगवान फुर्सत से कुछ अच्छी चीजें बनाता है। पंकज सर ने भी बहुत फुर्सत से यह फिल्म बनाई है।
पंकज कपूर के बारे में क्या कहेंगी?
मैं उनकी जबरदस्त प्रशंसक हूं। मैंने उनकी सारी फिल्में और टीवी धारावाहिक देखे हैं। करमचंद जासूस, जबान संभाल के जैसे टीवी धारावाहिकों से लेकर उनकी फिल्में तक मेरी देखी हुई हैं। बहुत उम्दा और बेहतरीन एक्टर हैं। मैंने तय कर लिया था कि उनसे सिर्फ सीखना है। मैं उन्हें स्कूल की तरह मान कर गई थी। कैसे एक्टिंग करनी है, कैसे एक्सप्रेशन देने हैं..यह सब उन्हें बताना था!
क्या इसे शुद्ध रोमांटिक फिल्म कह सकते हैं? प्यार और रोमांस की फिल्में कम हो रही हैं?
मुझे लगता है इस फिल्म का कनेक्शन दर्शकों से बनेगा। अगर आप किसी क्लासिक फिल्म को देखें तो पाएंगे कि ऐसी फिल्में न सिर्फ पसंद की जाती हैं, बल्कि याद भी रखी जाती हैं। इसमें वह क्वालिटी है। लोग ऐसी फिल्मों को बार-बार देखते हैं। अपने यहां मुगले आजम, पाकीजा और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे आदि ही देख लें। मौसम का रोमांस भी दर्शकों को पसंद आएगा।
अभी तक केवल अभिषेक ही आपके थोड़े बड़े को-एक्टर रहे हैं। बाकी सब आपकी पीढ़ी के हैं। शाहिद के बारे में क्या कहेंगी?
अभिषेक बहुत बड़े नहीं हैं। हां, वो थोड़ा पहले से काम कर रहे हैं। वे मुझसे केवल पांच साल बड़े हैं। शाहिद बहुत मेहनती हैं। वे अपने पापा की बहुत इज्जत करते हैं। उनकी हर बात मानते हैं। वह बहुत जेंटलमैन हैं। दूसरों को सम्मान और आदर देना जानते हैं। मैं तो चाहूंगी मेरे सारे को-एक्टर ऐसे ही हों।
जोया अख्तर ने एक शो में आपकी बहुत तारीफ की थी और कहा था कि आपके पास एक स्टाइल है? ऐसी राय सुनकर कैसा लगता है?
मैं किसी और के बारे में नहीं सोचती। जो मन में आता है, वही पहनती हूं। मैंने जो रिस्क लिया, वह इतना बुरा या खतरनाक भी नहीं है। कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगता है तो न लगे। मैं अपनी धुन में रहती हूं। अगर कोई उसकी तारीफ करे तो अच्छा लगता है। यह उम्मीद जगती है कि कोई और भी पसंद करेगा।
आपका काम देखकर लगता है कि आप फटाफट सब कुछ अचीव करने की होड़ में नहीं हैं..
बिल्कुल सही समझा आपने। मैं यहां खास किस्म का काम करने आई हूं। मैं देख चुकी हूं कि फटाफट आने और जाने का मतलब क्या होता है। आप मेरे पापा को देखें। वे आज भी काम कर रहे हैं। मैं हड़बड़ी में अपनी सोच नहीं बदल सकती।
आपकी 'आएशा' नहीं चली तो काफी छींटाकशी हुई?
आएशा निश्चित ही अलग किस्म की फिल्म थी। मैंने प्रचार पर अधिक ध्यान नहीं दिया। मैं नहीं जानती थी कि क्या-क्या करना चाहिए? आप मानोगे नहीं कि मुझे महिला समीक्षकों ने लगभग 4 स्टार दिए और पुरुष समीक्षक फिल्म को समझ ही नहीं पाए। अब मैं किसी को यह तो नहीं कह सकती थी कि पहले जेन ऑस्टिन का उपन्यास एमा पढि़ए!
मौसम का संगीत अच्छा लग रहा है। आपका प्रिय गीत..?
एक तू ही तू। वह स्लो और सैड है। मुझे स्लो गाने पसंद हैं।
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