फिल्म समीक्षा : बॉडीगार्ड
सलमान खान शो
सिद्दिकी मलयालम के मशहूर निर्देशक हैं। उनकी फिल्में खूब पसंद की जाती हैं। प्रियदर्शन ने उनकी कई फिल्मों का हिंदी रिमेक किया है। इस बार सिद्दिकी की शर्त थी कि उसी को हिंदी में रिमेक का अधिकार देंगे, जो उन्हें इसे हिंदी में निर्देशित करने देगा। नतीजा सामने है। सिद्दिकी और सलमान खान ने मिलकर बॉडीगार्ड को हिंदी दर्शकों के लिए फिर से रचा है। इस फिल्म में पूरी तरह से सलमान खान के प्रशंसक दर्शकों का खयाल रखा गया है और हिंदी सिनेमा के मेलोड्रामा का छौंक लगाया गया है। इस छौंक में करीना कपूर काम आ गई हैं।
बॉडीगार्ड सामान्य एक्शन फिल्म नहीं है। यह एक्शन की जबदरस्त फैंटेसी है। रियल लाइफ में ऐसा मुमकिन नहीं है। रील पर अवश्य ही रजनीकांत के साथ ऐसी फैंटेसी क्रिएट की जाती रही है। सलमान खान अकेले ही दर्जनों पर भारी हैं। दुश्मनों की गोलीबारी उन पर बूंदाबादी लगती है। इस फिल्म के एक्शन के लिए हैरतअंगेज से आगे का कोई शब्द खोजना होगा। सिंगल लाइन स्टोरी है बॉडीगार्ड लवली सिंह को दिव्या की सेक्युरिटी की ड्यूटी मिलती है। उसे परेशान करने की कोशिश में दिव्या उससे प्रेम करने लगती है।
लवली सिंह नहीं जानता कि फोन पर उससे प्रेम का इजहार करने वाली छाया वास्तव में उसकी मैडम दिव्या ही हैं। इस प्रेमकहानी के अंत में एक पेंच है, जो दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और कुछ कुछ होता है की झलक देता है।
तर्क और कारण से परे हिंदी फिल्मों के ऐसे मनोरंजन में सिर्फ स्टार की इमेज का इस्तेमाल किया जाता है। सिद्दिकी ने वही किया है। उन्होंने सलमान खान की भोली सूरत और सुडौल शरीर को ध्यान में रखते हुए सीन लिखे हैं। बैकग्राउंड साउंड की मदद से एक्शन की कोरियोग्राफी रोमांचित करती है। दिल दहलाने वाले एक्शन सिक्वेंस हैं। करीना कपूर सुंदर दिखी हैं। इमोशनल सीन में उन्होंने हमेशा की तरह प्रभावित किया है। लंबे समय के बाद एक मोटे व्यक्ति को हंसी के लिए रखा गया है। फिल्म के संवाद सपाट और भावहीन हैं। एक्शन और इमोशन पर ही निर्देशक का पूरा ध्यान है। बॉडीगार्ड पूरी तरह से सलमान शो है, जिसमें करीना कपूर के चंद सिक्वेंस हैं।
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