फिल्म समीक्षा : बुड्ढा होगा तेरा बाप
अपनी छवि को निभाते अमिताभ
-अजय ब्रह्मात्मज
वीजू और कोई नहीं विजय ही है। दशकों पहले हिंदी सिनेमा में इस किरदार को हमने कई फिल्मों में देखा है। अलग-अलग फिल्मों में अमिताभ बच्चन ही रुपहले पर्दे पर विजय को जीवंत करते थे। एंग्री यंग मैन विजय.. नाइंसाफी के खिलाफहक के लिए लड़ता-जूझता विजय रोमांटिक होने पर नाचता-गाता भी था और हल्के-फुल्के मूड में हंसी-मजाक भी करता था। उसकी ढिशुम औ ढिंच क्यों के दर्शक दीवाने थे। वह हर फिल्म मेंविजयी होता था। विजय के विभिन्न रूपों को मिलाकर इक इमेज बनी थी, जो पूरी तरह से फिल्मी होने के बावजूद देश की लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गई थी। इसी विजय ने बीसवीं सदी के मशहूर पॉपुलर आइकॉन अमिताभ बच्चन का निर्माण किया। विजय की छवि और अभिनेता अमिताभ बच्चन के युगल प्रभाव को पुरी जगन्नाथ ने वीजू नाम दिया है, जिसे हम बुड्ढा होगा तेरा बाप में देख रहे हैं।
बुढ्डा होगा तेरा बाप किवदंती बन चुके अमिताभ बच्चन की इमेज की पुनर्कथा है, जिसे पुरी जन्नाथ ने रोचक तरीके से एक फिल्म का रूप दिया है। मजेदार तथ्य है कि अपनी इमेज को लेकर बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने स्वयं ही खुद के किरदार को निभाया है। अमिताभ बच्चन के इस क्रिएटिव साहस की तारीफ करनी होगी। फिल्मों के इतिहास में यह अपने किस्म की अनूठी फिल्म है। इस फिल्म का निर्माण उसी देश में संभव था, जहां अमिताभ बच्चन नामक स्टार हो चुका है। बुढ्डा होगा तेरा बाप विचित्र किस्म की मौलिक मनोरंजक फिल्म है। इस फिल्म की कल्पना भारत के बाहर नहीं की जा सकती थी। यह हमारी लोकप्रिय संस्कृति की देन है।
सालों पहले भारत छोड़कर पेरिस जा चुका वीजू एक मिशन पर लौटा है। मिशन के दौरान ही उसे अपनी जिंदगी की एक सच्चाई का पता चलता है। इसके बाद उसका मिशन दूसरे एंबीशन में बदल जाता है। वीजू एंबीशन पूरा करने के साथ ही अपन जीवन के खालीपन को भी भरता है। वीजू की उम्र बढ़ गई है, लेकिन जोश और उत्साह में थकान नहीं है। रंगीले मिजाज के वीजू की स्फूर्ति जवानों से अधिक है। वह इस उम्र में भी अपने भावनात्मक और पारिवारिक दायित्व को पूरा करता है।
बुढ्डा होगा तेरा बाप अमिताभ मुग्ध पुरी जगन्नाथ और आत्ममुग्ध अमिताभ बच्चन के प्रयासों का संयुक्त परिणाम है। अमिताभ बच्चन ने अपनी ही छवि को ढली उम्र में भी चुस्ती के साथ निभाया है। भारतीय सिनेमा में और कोई अभिनेता 68 की उम्र में कमर्शियल फिल्मों के घिसे-पिटे फार्मूले में इस कदर तल्लीन नहीं दिखता। अमिताभ बच्चन के सभी उम्र के प्रशंसक यह फिल्म पसंद करेंगे। इस फिल्म के बाकी कलाकारों के बारे में बातें करना फिजूल है। बुढ्डा होगा तेरा बाप केवल और केवल अमिताभ बच्चन पर टिकी हुई है।
*** तीन स्टार
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