ऐसे बनी लगान
15 जून 2011 को लगान रिलीज हुई थी। दस साल हो गए। कुछ जानकारियां....
* आशुतोष गोवारीकर ने लगान की कहानी मित्र आमिर खान को सुनाई। कोई निर्माता इसमें पैसा लगाने को तैयार नहीं था। इसी फिल्म के साथ आमिर खान की निर्माता न बनने की सौगंध टूट गई।
* लगान के संवाद अवधी में रखने का सुझाव साहित्यकार केपी सक्सेना का था, जिनका चुनाव आशुतोष गोवारीकर ने संवाद लेखन के लिए किया था। आमिर खान इस बोली में पारंगत नहीं थे। आमिर ने योजना बनाई कि लगान की शूटिंग आरंभ होने से तीन माह पूर्व वे उत्तर प्रदेश के किसी अवधी भाषी क्षेत्र में रहेंगे, लेकिन निर्माता की जिम्मेदारियों से उन्हें फुरसत नहीं मिली। बाद में जावेद अख्तर के सुझाव पर आमिर खान ने लखनऊ के अभिनेता लेखक राजा अवस्थी को अवधी सिखाने के लिए भुज बुलाया।
* लगान की नायिका गौरी की भूमिका के लिए नम्रता शिरोडकर, अमीषा पटेल, नंदिता दास सहित कई अभिनेत्रियों का ऑडिशन हुआ, लेकिन अंत में इस भूमिका के लिए नई अभिनेत्री ग्रेसी सिंह का चुनाव किया गया।
* कच्छ में स्थानीय लोगों की सहायता से लगान के चंपानेर गांव का सेट बनाया जा सका। शूटिंग खत्म होने के बाद गांव वालों को जमीन लौटाने के लिए लगान के काल्पनिक गांव चंपानेर को ध्वस्त किया गया।
* आमिर खान चाहते थे कि उन्नीसवीं सदी की लगान का भुवन मूंछें रखे, लेकिन आशुतोष इसके पक्ष में नहीं थे।
* लगान में आमिर खान ने एक नई कार्य संस्कृति अपनाई। उन्होंने छह माह के लंबे शेड्यूल में फिल्म की शूटिंग खत्म करने की योजना बनाई। फर्स्ट एडी और सिंक साउंड का इस्तेमाल किया। चार सौ लोगों की यूनिट साढ़े चार माह भुज में डेरा डाले रही। लगान का शूटिंग शेड्यूल 13 मई को खत्म होना था, लेकिन आखिरी शॉट 17 जून 2000 को शाम के पांच बजे लिया गया।
* आशुतोष गोवारीकर ने लगान का बजट नौ करोड़ रुपए आंका था, जो शूटिंग आरंभ होते-होते सोलह करोड़ रुपए और शूटिंग खत्म होते-होते बीस करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया।
* आमिर लगान को साढ़े तीन घंटे से भी छोटा करना चाहते थे, पर आशुतोष ने उन्हें लगान को तीन घंटे बयालीस मिनट लंबी बनाने के लिए सहमत कर लिया।
* लगान के क्रिकेट-दृश्यों के लिए 27 फरवरी 2001 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए भारत-आस्ट्रेलिया के मैच में भीड़ की तालियों और खुशियों को रिकॉर्ड किया गया था। इस शोर को रिकॉर्ड करने की अनुमति मिलना आसान काम नहीं था। आमिर ने सचिन तेंदुलकर के साथ अपनी दोस्ती का उपयोग किया।
* लगान की पहली स्क्रीनिंग रिलीज से पांच दिन पहले भुज के एक साधारण सिनेमाघर में हुई। चार सौ की क्षमता वाले सिनेमा घर में स्क्रीनिंग के दौरान दोगुनी संख्या में लंदन, मुंबई और कच्छ के लोग भीषण गर्मी के बावजूद उपस्थित थे।
* ढाई साल के लेखन, एक साल के प्री प्रोडक्शन, छह महीनों की शूटिंग और एक साल के पोस्ट प्रोडक्शन के बाद भारत के दो सौ साठ सिनेमाघरों में लगान प्रदर्शित हुई।
* रिलीज के दस सप्ताह बाद तक लगान के टिकट उपलब्ध नहीं थे। वितरक और प्रोडक्शन ऑफिस से मांग थम नहीं रही थी। आमिर दोस्तों के लिए भी टिकट नहीं जुटा पाए थे।
* इंदौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज में केस स्टडी के रूप में लगान शामिल हुई। कंपनियों ने आमिर खान और आशुतोष गोवारीकर को टीम गठन पर विचार रखने के लिए आमंत्रित किया।
* मदर इंडिया और सलाम बांबे (1988) के बाद लगान तीसरी भारतीय फिल्म है, जिसे ऑस्कर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया। 12 फरवरी 2002 में लगान को सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म वर्ग में नामांकित किया गया।
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चर्चा मंच{16-6-2011}