कोशिश करूंगा दोबारा-रितिक रोशन
अपनी ईमानदारी से वह सबको कर देते हैं कायल और जिंदगी के अनुभवों से फूंकते हैं अभिनय में प्राण। रितिक रोशन से मुलाकात के अंश..
असफलताएं आत्मविश्लेषण का मौका देती हैं। रितिक रोशन के संदर्भ में बात करें तो काइट्स और गुजारिश की असफलताओं ने उन्हें अधिक मैच्योर और दार्शनिक बना दिया है। उनकी बातों में पहले भी आध्यात्मिकता और दर्शन का पुट रहता था, लेकिन बढ़ती उम्र और अनुभव ने उन्हें अधिक सजग कर दिया है।
पापा ने तो रोका था
रितिक ने कभी दूसरों के माथे पर ठीकरा नहीं फोड़ा। काइट्स की असफलता के लिए वे सिर्फ खुद को जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं, ''पापा ने समझाया था कि तुम लोग गलत कर रहे हो। हिंदी फिल्मों का दर्शक केवल हिंदी समझता है, लेकिन मुझे तब लग रहा था कि अगर मेरा किरदार अंग्रेजी में बात करे तो वह ईमानदार होगा।'' वह विस्तार से समझाते हैं, ''अपने किरदार को ईमानदारी से जीने के चक्कर में मैं यह गलती कर बैठा। अनुराग और पापा ने पूरी फिल्म हिंदी में सोची थी। पहले ही दिन शूट करते समय मुझे लगा कि मैं लास वेगास में रहता हूं और एक स्पैनिश लड़की के संपर्क में आया हूं। ऐसे सिचुएशन में हिंदी बोलते हुए लग रहा था कि मैं झूठ बोल रहा हूं। मैंने अनुराग से बात की। उन्होंने बात मान ली। हम यह भी सोच रहे थे कि अगर हम अंग्रेजी में फिल्म बना लेंगे तो हमारे दर्शक बढ़ जाएंगे। आप देखें कि अंग्रेजी की वजह से फिल्म इंटरनेशनल हो जाती है। जब दर्शकों ने उसे अस्वीकार कर दिया तब एहसास हुआ कि हम लोग समय से पहले चल रहे थे, लेकिन मैं आपको बताता हूं कि पांच-छह साल के बाद मैं फिर से ऐसी कोशिश करूंगा।''
बजट से लड़खड़ाई गुजारिश
दूसरी फिल्म गुजारिश की असफलता की वजह क्या है? वे बेलाग निचोड़ के तौर पर अपनी बात रखते हैं, ''हम लोगों से गुजारिश में व्यवहारिक भूलें हुई। हमें फिल्म के बजट का ध्यान रखना चाहिए था। उस फिल्म का अर्थशास्त्र पूरी तरह से गलत था। अब भविष्य में ऐसी एक्सपेरिमेंटल फिल्म के बजट को मैं चेक करूंगा। गुजारिश का बजट सही रहता तो वह फिल्म सफल मानी जाती। उसकी असफलता के बावजूद किरदार को ईमानदारी से निभाने की वजह से मुझे सराहना मिली। आज भी लोग मिलते हैं तो उस फिल्म की तारीफ करते हैं। मुझे लगता है कि दर्शकों ने अपनी तारीफ से फिल्म की असफलता के मेरे एहसास को कम कर दिया।''
अग्निपथ से चौंकेंगे दर्शक
हिंदी फिल्मों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की कोशिश में उन्होंने जब अग्निपथ के लिए 'हां' कहा तो हैरानी हुई। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कभी कहा था कि मैं किसी रीमेक में काम नहीं कर सकता। वह हंसते हुए बताते हैं, ''करण जौहर मेरे पुराने मित्र हैं। उन्होंने मुझ पर दबाव डाला कि तुम एक बार स्क्रिप्ट सुन लो। उनके कहने पर मैंने करण मल्होत्रा को स्पेन बुला लिया। मुझे बुरा भी लग रहा था कि वे इतनी दूर से मेरा इंकार सुनने के लिए आ रहे हैं। मैंने मन बना लिया था कि उन्हें ना कह दूंगा, लेकिन उन्होंने स्क्रिप्ट सुनानी शुरू की तो पांच मिनट के अंदर मैं अभिभूत हो गया। मैंने तुरंत हां कर दी। हां करने की एक ही वजह थी कि इस अग्निपथ का विजय दीनानाथ चौहान पिछली फिल्म से अलग है। पहली फिल्म में वह जोरदार, स्टाइलिश और गुस्सैल किस्म का व्यक्ति था। उसकी उम्र 45 साल थी। इसमें वह विजय नहीं है। यह एक बच्चा है, जो बड़ा होता है। हां, नया विजय भी गुस्सैल है, लेकिन वह जवान है। उसे अपने पिता का बदला लेना है। इस फिल्म को देखते समय दर्शक चौंकेंगे कि यह कैसा विजय दीनानाथ चौहान है?''
पसंद आएगी मेरी ईमानदारी
दर्शक तो आपकी तुलना भी करेंगे? रितिक पलटकर जवाब देते हैं, ''तुलना तो होगी, लेकिन मैंने इसके बारे में नहीं सोचा है। जोधा अकबर के समय भी लोगों ने पृथ्वीराज कपूर से तुलना की बात की थी, लेकिन उस फिल्म को करते समय मैंने सिर्फ अपने किरदार को ईमानदारी से निभाया। वही मैं अग्निपथ में भी कर रहा हूं। लोगों को मेरी ईमानदारी पसंद आएगी।''
अनुभव से खिलता है अभिनय
रितिक मानते हैं कि आप जीवन में जो हैं, जैसे हैं, वह पर्दे पर दिखता है। दर्शक उसी से जुड़ाव महसूस करते हैं। अपनी बात की तफसील में जाते हुए वह बताते हैं, ''किसी भी किरदार को निभाते समय जब मैं रोता हूं तो वास्तव में अपने दुख को याद कर रहा होता हूं। हम लोग अभिनय में अपने अनुभवों को ही दर्शकों से शेयर करते हैं। दर्शक इस ईमानदारी को भांप लेते हैं, क्योंकि कैमरा आप के चेहरे को पढ़ रहा होता है।'' वह जोर देकर कहते हैं, ''हर किरदार अपने प्रति ईमानदार हो। मेरे अभिनय की यही प्रक्रिया है। मैं किरदार की मानसिक अवस्था को आत्मसात करता हूं।''
खुद को समझने की कोशिश
जुलाई में उनकी फिल्म जिंदगी न मिलेगी दोबारा आएगी। जोया अख्तर के साथ यह उनकी दूसरी फिल्म होगी। जोया के काम से प्रभावित रितिक उनकी तारीफ करने में नहीं हिचकते, ''जोया हमारे जनरेशन की डिफ्रेंट डायरेक्टर है। वह सामान्य चीजों को खास बनाकर पेश करना जानती है। जिंदगी न मिलेगी दोबारा में आप फिर से उनका यह कमाल देखेंगे।'' वह जोर डालने पर फिल्म की कहानी और अपने किरदार की जानकारी देते हैं, ''यह तीन दोस्तों की कहानी है। तीनों दोस्तों ने स्कूल में तय किया था कि वे बीस साल बाद मिलेंगे और स्पेन में एक रोड ट्रिप लेंगे। इस फिल्म में बीस साल बाद दुनिया के तीन कोनों से तीन दोस्त स्पेन में जमा होते हैं। मैं एक स्टॉक ब्रोकर हूं, जो पैसों के पीछे मशीन की तरह पड़ा रहता है। फिल्म में मेरा एक उद्देश्य है कि 40 की उम्र तक जम कर कमाओ और बाद में ऐश-ओ-आराम करो। स्पेन में मेरी मुलाकात कट्रीना कैफ से होती है। वह मेरी सोच बदल देती है। वह पूछती है कि क्या तुम्हें भरोसा है कि तुम 40 सालों तक जरूर जिंदा रहोगे? बेहतर है कि अभी के वक्त को जी लो। वक्त जो बीत रहा है, वही जीना चाहिए। इस मुलाकात और सफर में तीनों दोस्त एकदूसरे के साथ खुद को भी समझते हैं। उनमें भारी तब्दीली आती है।''
जल्द शुरू होगी कृष-2
जरूरी नहीं है कि रितिक रोशन केवल स्थापित डायरेक्टर के साथ ही काम करें। इन दिनों अभिषेक कपूर के अलावा अनुराग कश्यप के साथ भी उनकी बात चल रही है। वह राज खोलते हैं, ''अनुराग स्पेन आए थे तो वहां उनसे काफी बातें हुई। उनके पास एक फिल्म करने की योजना है। मैं और भी नए डायरेक्टरों के साथ फिल्में करना चाहता हूं।'' चलते-चलते रितिक सूचना देते हैं कि वे जल्दी ही कृष-2 की शूटिंग आरंभ करेंगे। इस फिल्म में विवेक ओबेराय, चित्रांगदा सिंह और प्रियंका चोपड़ा फाइनल हो चुके हैं।
Comments
मैं आपके ब्लॉग के सभी पोस्ट नहीं पढ़ पाया हूं... लेकिन क्या आपने कभी इनके जीने और सोचने के तरीके पर भी लिखा है।
क्योंकि जब कोई सितारा "समय से बहुत आगे" वाक्यांश का उपयोग करता है तो यह पता चलता है कि वह दर्शकों को कितना समझने की कोशिश कर रहा है और खुद कहां जी रहा है।