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बोलती तस्वीर : यश चोपड़ा और एआर रहमान
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इस तस्वीर में ऑस्कर विजेता एआर रहमान के साथ सालों से फिल्म नहीं बना रहे यश चोपड़ा खड़े हैं। रहमान की बॉडी लैंग्वेज बहुत कुछ कह रही है। यश चोपड़ा विनम्र से अधिक विवश दिख रहे हैं।क्या आप भी कुछ कहना चाहेंगे ?
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Comments
Anonymous said…
Yashraaj camp ki filmo ke liy Rahman ne kabhi bhi music nahi diya hai, shayad... Koi khichdi pak rahi ho.... Agar aisa hua to dono ke chahne walo'n ko ek lazwaab dish milega.
सिनेमालोक साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को -अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनों जमशेदपुर की फिल्म अध्येता और लेखिका विजय शर्मा के साथ उनकी पुस्तक ‘ऋतुपर्ण घोष पोर्ट्रेट ऑफ अ डायरेक्टर’ के संदर्भ में बात हो रही थी. उनकी यह पुस्तक नॉट नल पर उपलब्ध है. विजय शर्मा ने बांग्ला के मशहूर और चर्चित निर्देशक ऋतुपर्ण घोष के हवाले से उनकी फिल्मों का विवरण और विश्लेषण किया है. इस पुस्तक को पढ़ते हुए मैंने गौर किया कि उनके अधिकांश फिल्में किसी ने किसी साहित्यिक कृति पर आधारित हैं. उनकी ज्यादातर फिल्में बांग्ला साहित्य पर केंद्रित हैं. दो-तीन ही विदेशी भाषाओं के लेखकों की कृति पर आधारित होंगी. विजय शर्मा से ही बातचीत के दरमियान याद आया कि भारतीय और विदेशी भाषाओं की फिल्मों में साहित्यिक कृतियों पर आधारित फिल्मों की प्रबल धारा दिखती है. एक बार कन्नड़ के प्रसिद्ध निर्देशक गिरीश कसरावल्ली से बात हो रही थी. उन्होंने 25 से अधिक फिल्में साहित्य से प्रेरित होकर बनाई हैहैं. मलयालम, तमिल, तेलुगू में भी साहित्यिक कृतियों पर आधारित फ़िल्में मिल जाती हैं. सभी भाषाओं के फिल्मकारों ने अपनी संस्कृति और भाष...
- अजय ब्रह्मात्मज सिस्टम खास कर एजुकेशन सिस्टम पर सवाल उठाती और उसके अंतर्विरोधों का मखौल उड़ाती राजकुमार हिरानी की 3 इडियट्स शिक्षा और जीवन के प्रति एक नजरिया देती है। राजकुमार हिरानी की हर फिल्म किसी न किसी सामाजिक विसंगति पर केंद्रित होती है। यह फिल्म ऊंचे से ऊंचा मार्क्स पाने की होड़ के दबाव में अपनी जिंदगियों को तबाह करते छात्रों को बताती है कि कामयाबी के पीछे भागने की जरूरत ही नहीं है। अगर हम काबिल हो जाएं तो कामयाबी झख मार कर हमारे पीछे आएगी। 3 इडियट्स अनोखी फिल्म है, जो हिंदी फिल्मों के प्रचलित ढांचे का विस्तार करती है। राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी इस फिल्म में नए कथाशिल्प का प्रयोग करते हैं। राजू रस्तोगी,फरहान कुरैशी और रणछोड़ दास श्यामल दास चांचड़ उर्फ रैंचो इंजीनियरिंग कालेज में आए नए छात्र हैं। संयोग से तीनों रूममेट हैं। रैंचो सामान्य स्टूडेंट नहीं है। सवाल पूछना और सिस्टम को चुनौती देना उसकी आदत है। वह अपनी विशेषताओं की वजह से अपने दोस्तों का आदर्श बन जाता है, लेकिन प्रिंसिपल वीरू सहस्रबुद्धे उसे फूटी आंखों पसंद नहीं करते। यहां तक कि वे फरहान और राजू के घरव...
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