डायरेक्टर डायरी : सत्यजित भटकल (९ अप्रैल)
9 अप्रैल 2011
11am
हम इंदौर आ गए हैं। ‘जोकोमन’ के प्रोमोशन के लिए मेरे साथ मंजरी और दर्शील इंदौर में हैं। हम सभी एमेरल्ड हाइट स्कूल आए हैं। बड़े शहर वाले गहरी सांस लेते हैं। ऐसा स्कूल नहीं देखा। 200 एकड़ की जमीन में फैला स्कूल, मैदान, स्वीमिंग पुल, क्रिकेट के मैदान, किले की डिजायन में बनी इमारते... बेचारी मुंबई... निर्धन मुंबई।
200 बच्चे आदर के साथ खड़े हैं। वाह... बच्चों को क्या हो गया है? हम उनके आधे भी अनुशासित नहीं थे। ‘जोकोमन’ के गीत पर स्कूल के बच्चे जोश के साथ नाचते हैं (मेरी लालची आंखों में ऐसे और भी दृश्य उभरते हैं) ... एक निर्देशक को और क्या चाहिए।
दर्शील उनसे मिलता है। हाथ मिलाता है। तस्वीरें उतारी जाती हैं। मुझे दर्शील की नैसर्गिक और संतुलित सरलता अच्छी लगती है। वह दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करता।
3pm
हमलोग लोकल रेडियो स्टेशन माय एफएम आए हैं। मंजरी का माइक गिर जाता है। रेडियो जौकी मजाक करता है, ‘मैम, माइक भी आप पर फिसल रहा है।’ मंजरी खुश है। एक्टर एक्टर ही रहेंगे।
6pm
हम एक बड़े मॉल में आए हैं। भारी भीड़ जमा है। दर्शील के फैन की भीड़ है। एमसी जमाा हुई भीड़ से पूछती है, ‘फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर का नाम बताएं?’
‘शंकर एहसान लॉय’ ... पांच लोग पूरे विश्वास से चिल्लाते हैं। उन्हें उपहारों का थैला दिया जाता है।
और भी सवाल पूछे जाते हैं। फिर सवाल आता है, ‘जोकोमोन’ का डायरेक्टर कौन है?’
मैं दौड़ कर एमसी के पास जाता हूं, ‘इज्जत का फालूदा बनाना है क्या?’
वह मेरी बातों पर गौर नहीं करती। भीड़ में खामोशी, छा गई है। एक होशियार बच्चा पोस्टर पर नाम पढ़ने की कोशिश करता है ‘सत्त्त्यजजजीत भट ट भटक...’ उस बच्चे का पढ़ना खत्म ही नहीं हो रहा है। मेरे कानों में आवाज टूट कर आ रही है... मेरा नाम पूरा नहीं हो पाएगा। खूबसूरत एमसी मौके को समझ लेती है। वह चिल्लाती है। ‘सही जवाब’... खुशी की लहर दौड़ जाती है। अगर आप यह जानते हैं तो आप सब कुछ जानते हैं।
8.30pm
घर-परिवार के लिए लौटना है। पता चलता है कि जिस जेट लाइट फ्लाइट को 45 मिनट में मुंबई पहुंचना था... अब वह नागपुर होकर जाएगी और हमें तीन घंटे जहाज में रहना होगा। इतने समय में तो हम मिडिल ईस्ट पहुंच जाते। मुंबई एयरपोर्ट की भीड़ से हमारी व्यथा और बढ़ जाती है। इंदौर से पांच घंटों की यात्रा के बाद घर पहुंचता हूं। लेकिन... कोई शिकायत नहीं है। फिल्म बनाने के लिए कोई आपको बाध्य नहीं करता।
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