फिल्म समीक्षा:गेम

गेम : स्टाइलिश,  लेकिन कमजोर स्टाइलिश, लेकिन कमजोर

-अजय ब्रह्मात्मज

कुछ दशक पहले तक हिंदी में मर्डर मिस्ट्री फिल्में बनती थीं। उन्हें दर्शक पसंद करते थे। एक अंतराल के बाद इस विधा में गेम आई है।

21वीं सदी में एड फिल्मों से आए निर्देशक अभिनय देव की पहली कोशिश में स्टाइल और विज्ञापन फिल्मों की चमक है। उन्होंने ग्रीस, इस्तांबुल, बैंकाक और मुंबई के लोकेशन पर गेम की शूटिंग की है। बोमन ईरानी, अनुपम खेर, शहाना गोस्वामी, जिमी शेरगिल, कंगना रनौत, सारा जेन डायस और अभिषेक बच्चन के साथ बनी इस फिल्म का पहला घंटा (फ‌र्स्ट हाफ) सटाक से निकल जाता है। उम्मीद बंधती है कि हम एक स्टाइलिश मर्डर मिस्ट्री देखेंगे।

यह उम्मीद सेकेंड हाफ में पूरी नहीं होती। मर्डर हो जाता है। उसकी मिस्ट्री भी बनती है, लेकिन साथ में चल रही हिस्ट्री फिल्म से जोड़े नहीं रख पाती। एक अच्छी शुरुआत के बाद अच्छी कहानी और चरित्र निर्वाह नहीं होने से फिल्म बिखर जाती है। निर्देशक का ध्यान कहानी से अधिक लोकेशन और किरदारों की यात्रा पर है। चार शहरों से उन्हें सामोस के एक टापू पर एकत्रित किया जाता है। मर्डर के बाद उनके अपने शहरों में लौटने और बाद की घटनाओं में रोचक तारतम्य नहीं है। एड फिल्मों से आए निर्देशकों की यह दिक्कत है कि वे सीन टू सीन में डूबे रहते हैं। अपने नैरेटिव पर ध्यान नहीं देते। पूरी फिल्म पर उनकी पकड़ नहीं बन पाती। गेम भी इसी कमजोरी की शिकार हुई है।

चूंकि किरदार कायदे से नहीं गढ़े गए हैं, इसलिए योग्य और सक्षम कलाकार भी निराश करते हैं। अनुपम खेर, बोमन ईरानी, जिमी शेरगिल और शहाना गोस्वामी सब के सब बेअसर साबित हुए। नील के किरदार में अभिषेक भी खोए-खोए से जान पड़ते हैं। वे जिस आसानी से इस्तांबुल से बैंकाक और मुंबई की यात्रा करते हैं, वह अविश्वसनीय लगता है। अभिनय देव ने उनके चेज और एक्शन के दृश्यों में नवीनता जरूर दिखाई है। कंगना रनौत को अपने हिंदी और अंग्रेजी उच्चारणों पर ध्यान देना चाहिए। गलत उच्चारण से उनका अभिनय कमजोर होता है।

** दो स्टार

Comments

sumeet "satya" said…
sir, sab lakeer ke fakeer hain.....vahi-vahi darshak kitni baar dekhega

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को