डायरेक्टर डायरी : सत्यजित भटकल (19 अप्रैल)
डायरेक्टर डायरी – 8
19 अप्रैल
हमलोग चंडीगढ़ में हैं। अपने दोस्त शक्ति सिद्धू के निमंत्रण पर सौपिन स्कूल आए हैं। हमारे स्वागत में बच्चों ने शानदार परफार्मेंस दिया। पहले गायन मंडली ‘तारे जमीन पर’ का टायटल ट्रैक गाती है। फिर एक विशेष बच्ची संस्कृति हमारे लिए शास्त्रीय नृत्य करती है... उसके चेहरे की खुशी और उसकी वजह से हमारी खुशी अतुलनीय है। अंत में छात्रों की एक मंडली ने ‘जोकोमोन’ का झुनझुनमकड़स्त्रामा गीत पेश करती है... उन्होंने सुंदर नृत्य भी किया।
मैं शक्ति से मिलता हूं। स्कूल के स्थापक सौपिन परिवार के सदस्यों से भेंट होती है। मुझे स्कूल की अंतरंगता और ऊंर्जा अच्छी लगती है। स्कूल ने हमारे लिए भोज का आयोजन किया है। थोड़ी देर के लिए मैं भूल जाता हूं कि मैं प्रोमोशन के लिए आया हूं।
हमलोग रेडियो और प्रिंट इंटरव्यू के लिए भास्कर के कार्यालय जाते हैं। पत्रकार दर्शील से कुछ मुश्किल सवाल पूछते हैं। स्टेनली का डब्बा के चाइल्ड आर्टिस्ट के बारे में उससे पूछा जाता है कि अगर उसने भारत के चाइल्ड स्टार की जगह ले ली तो उसे कैसा लगेगा? हमलोगों के किसी हस्तक्षेप के पहले दर्शील जवाब देता है, ‘वह बच्चा अमोल अंकल का बेटा है और हम लोग ‘तारे जमीन पर’ के सेट पर एक साथ टोमैटो सूप पीते थे। वह मेरा दोस्त है। अगर उसने अच्छा किया तो मुझे खुशी होगी।’
उनके फिल्म क्रिकेट गजेन्द्र ने मुझ से मुश्किल सवाल पूछे, ‘समाज की समस्याओं को सुपरहीरो से सुलझाना कितना उचित है? मुझे सवाल पसंद आया मैं जवाब देना चाहता हूं। ‘जोकोमोन’ खुद को सोशल एक्शन के विकल्प के तौर पर नहीं पेश करता। वह बदलाव के लिए समाज को प्रेरित करता है।’ बहस बढ़ती है। मैं कह सकता हूं कि ‘जोकोमोन’ पर सबसे अच्छी बहस यहीं हुई।
रात में हम मुंबई लौटते हैं है। आकाश से नीचे देखने पर सुनहले और रुपहले रोशनी की चादर बिछी दिखती है। दिन का अवसादपूर्ण दृश्य रात की रोशनी में रोमांटिक हो चुका है। शायद मुंबई खुद को इसी रूप में देखती है।
हम शहर को ऐसे ही देखते हैं।
शहरों का दौरा खत्म हो चुका है। अंतिम प्रोमोशन मुंबई में है।
एक कहानी को दर्शकों और उनके निर्णयों का इंतजार है।
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