डायरेक्टर डायरी : सत्यजित भटकल (17 अप्रैल)
डायरेक्टर डायरी – 6
17 अप्रैल
हमलोगों ने कुछ रेडियो इंटरव्यू किए थे। वहीं सुन रहा था। एक आरजे की कोशिश थी कि किसी तरह कोई कंट्रोवर्सी मिल जाए – उसने दर्शील से पूछा ‘क्या उसकी कोई गर्लफ्रेंड है? उसका नाम क्या है? क्या वह एटीट्यूड रखता है... सुन्न कर देने वाले सवाल। रेड एफएम की आरजे कंट्रोवर्सी के लिए गिरगिरा रही थी। तब मुझे झुंझलाहट हो रही थी। सुनते समय महसूस कर रहा हूं कि क्यों कंट्रोवर्सी से अच्छी मीडिया कवरेज मिलती है या यों कहें कि कंट्रोवर्सी के बगैर सुनने में ज्यादा मजा नहीं आता।
रात में केतनव में स्क्रीनिंग है। केतनव प्रिव्यू थिएटर है। यह स्क्रीनिंग फिल्म इंडस्ट्री के दोस्तों और एक बच्चे के लिए है। मेरे प्रिय दोस्त करीम हाजी का बेटा है काशिफ, उसकी प्रतिक्रियाएं एकदम सटीक होती है। मैंने किसी स्क्रीनिंग में किसी बच्चे को इतने करीब से नहीं देखा। फिल्म खत्म होती है। काशिफ खुदा है। मैं राहत की सांस लेता हूं।
अब 96 घंटे बचे हैं।
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