जिया रजा बनारस-डा चंद्रप्रकाश द्विवेदी
-अजय ब्रह्मात्मज
अमृता प्रीतम के उपन्यास 'पिंजर' पर फिल्म बना चुके डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अगली फिल्म के लिए काशीनाथ सिंह की रचना 'काशी का अस्सी' का चुनाव किया है। उनसे बातचीत के अंश-
[आप लंबे अंतराल के बाद शूटिंग करने जा रहे हैं?]
काम तो लगातार कर रहा हूं। बीते चार सालों में मैंने टीवी के लिए उपनिषद गंगा की शूटिंग की। लिख भी रहा था। हां, फिल्म के सेट पर लंबे समय के बाद जा रहा हूं।
[नई फिल्म की कहानी क्या है?]
बनारस के बैकड्राप में यह पूरे देश की कहानी है। यह व्यंग्य है। हम कुछ मूल्यों को लेकर जीवन जीते हैं। उन मूल्यों के लिए लड़ते रहते हैं, फिर ऐसा मुकाम आता है, जब उन मूल्यों का ही समझौता करना पड़ता है। इसमें बनारसी अक्खड़पन है। मस्ती और चटखीला उल्लास है। यह जीवन के उत्सव की कहानी है। फिल्म के लिए सनी देओल, रवि किशन, निखिल द्विवेदी, मुकेश तिवारी, सौरभ शुक्ला, दयाशंकर पांडे के साथ रंगमंच के अनेक कलाकारों का चुनाव हो चुका है। बनारस की प्रतिभाएं भी दिखेगी।
[तो क्या इस फिल्म की शूटिंग बनारस में भी करेंगे?]
बनारस के रंग और छटा के बिना यह फिल्म पूरी नहीं हो सकती। बनारस की विशेषताओं के बिंब फिल्म में लाना चाहता हूं। फिल्म की आधी शूटिंग मुंबई और आधी बनारस में होगी। अभी तक मैंने ज्यादातर नियंत्रित माहौल में काम किया है। इस बार मुझे बनारस के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में शूटिंग करनी है। घाट पर शूटिंग करनी है। लोकप्रिय अभिनेताओं की वजह से उमड़ी भीड़ को संभालना बड़ी चुनौती होगी।
[साहित्य पर फिल्म बनाना तलवार की धार पर चलने की तरह है। आप क्या मानते हैं?]
मेरे लिए साहित्य पर फिल्म बनाना चुनौती नहीं रही। अभी तक मैंने गंभीर विषय ही उठाए हैं। इस बार फिल्म का मुख्य स्वर हास्य है। मुझे नहीं लगता कि दर्शक साहित्य से घबराते हैं, दरअसल वे रसहीनता बर्दाश्त नहीं करते। यह पुस्तक हंसने और तनाव से मुक्त होने के लिए लिखी गई है। इस रचना के पीछे बड़ा विचार भी है। काशीनाथ सिंह ने पाठकों को लोटपोट करते हुए कुछ बताने की कोशिश की है।
[फिल्म में काशीनाथ सिंह की कितनी भागीदारी है?]
अमृता प्रीतम ने कहा था कि मैंने किताब के रूप में अपनी कहानी लिख दी, फिल्म में दर्शक आपकी कहानी देखेंगे। काशीनाथ जी ने भी मुझे यह किताब दे दी है और कहा कि अब यह आपकी रचना है। उन्होंने एक ही बात कही है कि रिलीज के पहले मुझे एक बार दिखा देना। मुझे लगता है कि वे अपनी हैरत बचाए रखना चाहते हैं!
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