बेहोशी नशा खुश्बू क्या क्या न हमारी आंखों में
यह गीत आप 17 जून के बाद सुन सकते हैं। फिलहाल शायरी का मजा लें ...
बेहोशी नशा खुश्बू क्या क्या न हमारी आंखों में
उलझी हैं मेरी सांसें कुछ ऐसे तुम्हारी सांसों में
मदहोशी का मंजर है कुछ मीठा गुलाबी सा
बिजली सी लपकती है छूने से तुम्हारी सांसों में
रह रह के धड़कता है एहसास तुम्हारा यह
भीगे है पसीने में ठंडी सी जलन है सांसों में
फुरसत से ही उतरेगा आंखों से तुम्हारा सुरूर
इस पल तो महकती है बस खुश्बू तुम्हारी सांसों में
गीत-अमिताभ वर्मा संगीत-उस्ताद शुजात हुसैन खान
मिस्टर सिंह मिसेज मेहता का एक गीत
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