'राजनीति' महाभारत से प्रेरित है : मनोज बाजपेयी

-अजय ब्रह्मात्‍मज

राजनीति में रोल क्या है आप का?

पॉलिटिकल फैमिली में पैदा हुआ है मेरा किरदार। बचपन से पावर देखा है उसने। उसके अलावा कुछ जानता भी नहीं और वही वह चाहता है। वह जानता है कि जो पोजिशन और पावर है, वह उसे ही मिलनी चाहिए। जिद्दी आदमी है, तेवर वाला आदमी है। कहीं न कहीं मैं ये कहूंगा कि बहुत ही धाकड़ खिलाड़ी भी है राजनीति में। तो वह चालाकी भी करता है। लेकिन जब विपत्ति आती है तो कहीं न कहीं अपने तेवर और जिद्दी मिजाज की वजह से उसका दिमाग काम नहीं कर पाता। वीरेन्द्र प्रताप सिंह नाम है। वीरू भैया के नाम से मशहूर है।

खासियत क्या है? पॉलिटिकल रंग की अगर बात करें तो ़ ़ ़

जो राजनीति उसे विरासत में मिली है और जिसे छोड़ पाने में हमलोग बड़े ही असमर्थ हो रहे हैं, वीरू उस राजनीति की बात करता है। वह राजनीति अभी ढह रही है या चरमरा रही है। चरमराने के बाद डिप्रेशन आ रहा है लोगों में। उसी डिप्रेशन को वीरेन्द्र प्रताप सिंह रीप्रेजेंट करता है।

वीरेन्द्र प्रताप सिंह को निभाने के लिए क्या कोई लीडर या कोई आयकॉन आपके सामने था?

कोई आयकॉन सामने नहीं था। चूंकि बचपन से हम एक ऐसे परिवार और माहौल में पले-बढ़े हैं, जहां न्यूजपेपर अनिवार्य माना जाता था। जाहिर सी बात है कि राजनीति में हमार ी रुचि एक आम शहरी आदमी से ज्यादा रही है। ज्यादा जागरुकता रही है राजनीति को लेकर। मैंने इस कैरेक्टर को एक गैर राजनीतिक आदमी के ऊपर ढाला है। एक फ्यूडल आदमी के ऊपर ढाला है। उसके अनुरूप मैंने ढलने की कोशिश की है।

महाभारत वाली बात कितनी सच है कि राजनीति के किरदार उस से प्रेरित हैं?

बिल्कुल सच है। यह एक तरीके से महाभारत का ट्रिब्यूट है और महाभारत के बहुत सारे पात्र आपको इसमें चलते-फिरते नजर आएंगे। महाभारत को आज के दौर की राजनीति में डाल दिया गया है।

वीरू भाई किससे प्रेरित हैं।

दुर्योधन से। दुर्योधन का जब मैं नाम लेता हूं तो आपको समझ में आ जाएगा कि वह राजा ही था। उसे लगता था कि हर चीज जो उसे दी जा रही है,उसमें कुछ कमी है। हर चीज जो उसे मिलनी चाहिए, उसमें बाधाएं डाली जा रही हैं। महाभारत कहता भी है कि पूरे तौर से न कोई सही है और न कोई गलत है। कृष्ण कहते हैं कि सभी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। सही और गलत का निर्णय लेना तो भगवान के हाथ में है।

अंतत: जो जीत जाता है, वही सही होता है?

महाभारत में जीता कौन? जीता कृष्ण। उसके अलावा तो कोई जीता नहीं।

क्या अलग एक्सपीरियेंस रहा है राजनीति का? फिल्म और डायरेक्टर प्रकाश झा के संदर्भ में पूछ रहा हूं?

प्रकाश जी हमारे ही इलाके के हैं और हमने साथ में कभी काम नहीं किया था। ये बात मुझे भी खटकती थी और बाद में मुझे पता चला कि उनको भी यह बात खटक रही थी। हम दोनों एक ऐसी फिल्म में साथ आ रहे हैं, जो उनके और मेरे दोनों के करियर के लिए खास फिल्म है। मुझे सबसे अच्छी और अनोखी बात लगी कि प्रकाश जी की टीम पूरी तरह से आर्गेनाइज्ड है। मैंने बड़ी फिल्में भी की है, बहुत ही बड़ी-बड़ी फिल्में की हैं और बहुत छोटी फिल्में भी की है। मैंने ऐसी व्यवस्था कहीं नहीं देखी।

प्रकाश झा के बारे में क्या कहेंगे? उनकी फिल्मों के बारे में?

प्रकाश जी देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को लेकर फिल्में बनाते हैं। इस पर उनकी पकड़ बहुत अच्छी है। वे बहुत निर्भीक होकर काम करते हैं, क्योंकि उनकी आस्था है इन विषयों पर। दूसरा वे गाहे-बेगाहे एक पॉलीटिशियन भी हैं, समाज सेवक भी हैं। एक एक्टर के तौर पर आप बहुत कुछ लेने के मूड में होते हैं, बहुत कुछ ले सकते हैं और बहुत ज्यादा लोभी बन जाते हैं। इस फिल्म में मैंने जो काम किया है, उसमें 70 प्रतिशत काम प्रकाश झा का है। उनका मेरे अभिनेता के ऊपर अथाह विश्वास था। मेरा उनकी जानकारी और निर्देशन के ऊपर। काम करने के दौरान मैं बहुत कम अपने डायरेक्टर से पूछता हूं कि आप बताइए मैं इसको कैसे करूं? मैं बार-बार इनके पास जाता था, बताइए मैं इसको कैसे करूं।

Comments

Pranay Narayan said…
jab aise abhineta ke vichaar padne ko milten hain to kirdaar ko jivit karne mein bahut madad milti hai...dhanyavaad Manoj bhai aur Ajay ji ko.
anjule shyam said…
ak behtrin abhineta ke behtrin vicharon se nawajne ke liye aapka bahut bahut shukriya.......

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