दरअसल : हिंदी फिल्में और क्रिकेट

-अजय ब्रह्मात्‍मज

हिंदी फिल्में किसी आपदा, विपदा, खुशी और गम से संचालित नहीं होतीं। हर समय और मौसम में उनकी मांग बनी रहती है। आम दर्शक को इससे सस्ता मनोरंजन नहीं मिलता, इसलिए वे हर सूरत में सिनेमाघरों की ओर रुख करते हैं, लेकिन पिछले दो साल से आयोजित आईपीएल के क्रिकेट मैचों ने इस धारणा को बदला है। 2008 में आयोजित पहले आईपीएल के समय यह संभावना व्यक्त की गई थी कि इससे फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन प्रभावित होगा। वास्तविक आंकड़े कभी नहीं मिल पाते, लेकिन ट्रेड पंडितों ने बताया कि आईपीएल की वजह से फिल्में अपेक्षित व्यवसाय नहीं कर सकीं। पिछले साल आईपीएल दक्षिण अफ्रीका चला गया था, फिर भी हिंदी फिल्मों का व्यवसाय प्रभावित हुआ। इस साल आईपीएल की तारीखों की घोषणा के साथ बड़ी फिल्मों ने किनारा कर लिया है। कुछ फिल्में आईपीएल के पहले और कुछ बाद में खिसक गई। सबने बिजनेस और कलेक्शन को ध्यान में रखकर ऐसा किया। अभी तक जो संभावना और धारणा थी, वह वास्तविकता बन चुकी है। फिल्म निर्माता और इस कारोबार से जुड़े सभी व्यक्तियों ने स्वीकार कर लिया है कि आईपीएल के दौरान फिल्में रिलीज करना जोखिम का काम है। कुछ फिल्में जरूर रिलीज हो रही हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि इन फिल्मों पर कोई बड़ा दांव नहीं लगा है।

गौर करें, तो आईपीएल के दौरान मल्टीप्लेक्स में दर्शकों की गिरावट देखी गई थी। हालांकि यह गिरावट बुरी या छोटी फिल्मों की वजह से भी हो सकती है। वैसे भी अस्सी फीसदी फिल्में पर्याप्त दर्शक न मिलने से फ्लॉप होती हैं। निर्माता, वितरक और स्टार अपनी फिल्मों की क्वालिटी का मूल्यांकन करने की बजाय बाहरी कारणों से दिल बहलाते हैं। पिछले दो साल में आईपीएल के दौरान फ्लॉप हुई फिल्मों को आईपीएल का जोरदार बहाना मिला। इस बार एहतियातन निर्माता और वितरकों ने फिल्म की रिलीज आगे-पीछे खिसका दी, लेकिन क्या गारंटी है कि आईपीएल के बाद रिलीज होने पर उनकी साधारण फिल्मों को पर्याप्त दर्शक मिल जाएं?

मल्टीप्लेक्स के थिएटरों ने इस बार आईपीएल के दौरान फिल्म और दर्शकों की मंदी से निबटने का कारगर तरीका निकाला है। उन्होंने फिल्म व्यवसाय को नुकसान पहुंचाने वाले कारण को ही आय का साधन बना लिया है। इस साल क्रिकेट के दर्शक आईपीएल के मैचों का सीधा प्रसारण मल्टीप्लेक्स के बिग स्क्रीन पर देखेंगे। मालूम नहीं, दर्शकों को कितनी रकम खर्च करने के बाद यह आनंद मिलेगा। हां, इतना तय है कि मल्टीप्लेक्स के मालिक पिछले दो साल में आईपीएल के दौरान होने वाले नुकसान की इस साल भरपाई कर लेंगे। खबर है कि आईपीएल मैचों का टिकट 500 रुपये का होगा। यह भी देखना होगा कि कितने दर्शक थिएटरों की ओर रुख करते हैं। घर में टीवी पर क्रिकेट मैच देखते समय यह सुविधा रहती है कि आप फोन कर लें या कोई दूसरा छोटा-मोटा काम कर लें। थिएटर में जाने पर पूरा समय क्रिकेट मैच में ही बीतेगा।

देश के दो प्रमुख शगल क्रिकेट और फिल्म का यह अद्भुत मिलन ट्रेड पंडित और मीडिया महंतों को व्यवसाय के नए अवसर देगा। अगले साल इस अवसर के दोहन की ठोस रणनीति भी नजर आएगी। थिएटर में क्रिकेट दिखाने के इस साल के प्रयोग के परिणाम पर अगले साल की रणनीति और योजनाएं निर्भर करेंगी। फिलहाल ऐसा लग रहा है कि आईपीएल के दौरान फिल्मी मनोरंजन लगभग ठहर जाएगा, लेकिन क्या ऐसा ही होगा?


Comments

क्रिकेट का हमारे यहाँ,ऐसा दीवानापन है,सब काम छोड़ कर लोग इसकी ओर अग्रसर होते हैं,और दूरदर्शन पर ही देखना पसंद करते हैं,तो इतना महँगा टिकट खरीद कर मल्टीपलेक्स में क्यों जायें।
Anonymous said…
bilkul sahi rai hai aapki vinay.dekhen multipleक्ष् cricket ka karobar kar pate hain ya nahin?
anjule shyam said…
दिल बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है.....फिल्म में जान नहीं तो कोई देखेगा कुन...एक तो 200 रुपली की टिकटे उपर से लंच टाइम में २० रूपये का समान १०० रूपये में मिले ...उससे तो अच्छा घर पे बात के कचोडी चाय के साथ क्रिकेट ही देखना अच्छा......

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