फिल्‍म समीक्षा : कार्तिक कालिंग कार्तिक

बुनावट से ज्यादा सजावट



इस फिल्म में फरहान अख्तर, दीपिका पादुकोन, राम कपूर, शेफाली छाया, विपिन शर्मा और क्युंगमिन ब्रांड फोन की मुख्य भूमिकाएं हैं। सभी एक्टरों के साथ फिल्म एक्शन का एक हिस्सा फोन को भी मिला है। निर्देशक विजय ललवानी ने स्पि्लट पर्सनैलिटी या सिजोफ्रैनिक व्यक्तित्व के कार्तिक का मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। समाज में कार्तिक जैसे कई लड़के प्रतिभाशाली होने के बावजूद हीनभावना से ग्रस्त रहते हैं। बचपन, परवरिश और वर्गीय मूल्यों के दबाव में घुटते रहते हैं। उनकी अंतरात्मा कई बार उन्हें झकझोरती और इस व्यूह से बाहर निकाल लेती है, लेकिन सभी इतने भाग्यशाली नहीं होते। कार्तिक भी ऐसे ही दब्बू व्यक्तित्व का युवक है। फिल्म में उसकी अंतरात्मा फोन के जरिए बोलने लगती है। उसमें भारी तब्दीली आती है। कभी नजरअंदाज किया जा रहा कार्तिक अचानक सभी का अजीज बन जाता है। सफलता की सीढि़यां चढ़ता कार्तिकएक मोड़ पर अपनी अंतरात्मा से उलझ जाता है और फिर उसकी फिसलन आरंभ होती है। लेकिन हिंदी फिल्म का हीरो कभी गिरा नहीं रह सकता। उसकी प्रेमिका उसे संभाल लेती है और इस तरह कार्तिक कालिंग कार्तिक का सभी फिल्मों तरह सुखद अंत हो जाता है।

युवा निर्देशक अलग होने की कोशिश करते हैं, लेकिन हिंदी फिल्मों के प्रचलित फार्मूले से निकल नहीं पाते। विजय ललवानी की फिल्म के द्वंद्व में ही फंदा है, इसलिए फिल्म झटके से गिरती है। दीपिका पादुकोन ने फिल्म में आकर्षक स्टाइल केकपड़े पहने हैं। फिल्म में दिखाए गए आफिस का इंटीरिअर सुंदर है। कार्तिक का कमरा भी डिजाइनर है। कार्तिक जब आक्रामक और आकर्षक बनता है तो उसके कपड़ों में क्रीज और चमक आ जाती है। वैसे वह स्मार्ट होने के बाद ब्लैकमेल भी करता है। आज यही स्मार्टनेस है। राम कपूर और शेफाली छाया को भी खूबसूरत परिधान दिए गए हैं। फिल्म की सजावट अच्छी है। बुनावट में कमियां हैं। वह कहानी के निर्वाह की कमजोरियों से आई है। कार्तिक की भूमिका में फरहान अख्तर का मैच्योर चेहरा आड़े आता है। विविधता के लिए अभिनेता फरहान अख्तर को अपने होम प्रोडक्शन की अभी और फिल्में करनी होंगी।

(क्युंगमिन फोन के खास उल्लेख की वजह है। इस कोरियाई फोन को फिल्म में जापानी बताया गया है। फिल्म में कई बार फोन फोकस में आया है। फोन पर कोरियाई लिपि में लिखे शब्द बार-बार निर्देशक और कला निर्देशक की लापरवाही जाहिर करते हैं।)

** दो स्टार


Comments


मेरी बीबी इसे देखने की ज़िद कर रही है,
स्पष्ट मत दीजिये, दिखाऊँ या न दिखाऊँ ?
यदि आप मना कर देंगे तो शायद वह मान जायेगी ।
सादर !

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को