लाखों-करोड़ों लोगों के लिए काम करता हूं: सलमान खान
फिल्म के विज्ञापन और तस्वीरों से दर्शकों के बीच उत्साह बनता दिख रहा है। वीर में क्या जादू बिखेरने जा रहे हैं आप?
मुझे देखना है कि दर्शक क्या जादू देखते हैं। एक्टर के तौर पर अपनी हर फिल्म में मैं बेस्ट शॉट देने की कोशिश करता हूं। कई बार यह उल्टा पड़ जाता है। दर्शक फिल्म ही रिजेक्ट कर देते हैं।
वीर जैसी फिल्म करने का इरादा कैसे हो ्रगया? पीरियड फिल्म का खयाल क्यों और कैसे आया? और आप ने क्या सावधानियां बरतीं?
यहां की पीरियड फिल्में देखते समय अक्सर मैं थिएटर में सो गया। ऐसा लगता है कि पिक्चर जिस जमाने के बारे में है, उसी जमाने में रिलीज होनी चाहिए थी। डायरेक्टर फिल्म को सीरियस कर देते हैं। ऐसा ल्रगता है कि उन दिनों कोई हंसता नहीं था। सोसायटी में ह्यूमर नहीं था। लंबे सीन और डायलाग होते थे। मल्लिका-ए-हिंद पधार रही हैं और फिर उनके पधारने में सीन निकल जाता था। इस फिल्म से वह सब निकाल दिया है। म्यूजिक भी ऐसा रखा है कि आज सुन सकते हैं। पीरियड फिल्मों की लंबाई दुखदायक होती है। तीन,साढ़े तीन और चार घंटे लंबाई रहती थी। उन दिनों 18-20 रील की फिल्मों को भी लोग कम समझते थे। अब वह जमाना चला गया है। इंटरेस्ट रहने तक की लेंग्थ लेकर चलें तो फिल्म अच्छी लगेगी। आप सेट और सीन के लालच में न आएं। यह फिल्म हाईपाइंट से हाईपाइंट तक चलती है। इस फिल्म के डायलाग भी ऐसे रखे गए हैं कि सबकी समझ में आए। यह इमोशनल फिल्म है। एक्शन है। ड्रामा है।
इस फिल्म के निर्माण में आपने अनिल शर्मा से कितनी मदद ली है?
अनिल शर्मा ने इस फिल्म को अकल्पनीय बना दिया है। दूसरा कोई डायरेक्टर ऐसी कल्पना नहीं कर सकता था। इस फिल्म के सीन करते हुए मुझे हमेशा ल्रगता रहा कि मैं उन्नीसवीं सदी में ही पैदा हुआ था। कास्ट्यूम और माहौल से यह एहसास हुआ। वह जरूरी भी था। हमें दर्शकों को उन्नीसवीं सदी में ले जाना था। फिल्म देखते हुए पीरियड का पता चलना चाहिए ना?
आपकी आंखों में हमेशा एक जिज्ञासा दिखती है। ऐसा लगता है कि आप हर आदमी को परख रहे होते हैं। क्या सचमुच ऐसा है?
वास्तव में मैं खुद में मगन रहता हूं। ऐसा लग सकता है कि मैं आप को घूर या परख रहा हूं, लेकिन माफ करें ़ ़ ़वह मेरे देखने का अंदाज है। मैं क्या लो्रगों को परखू्रंगा? आप लोग मुझे तौलते-परखते हैं और फिर लिखते हैं।
अभी हम लोग जिस आटो रिक्शा से आ रहे थे, उसके ड्रायवर ने आप का नाम सुनने पर कहा कि सलमान सच्ची में स्टार हैं। हमने कारण पूछा तो उसने कहा कि सलमान ्रगरीबों की मदद करते हैं ़ ़ ़ क्या आप अपनी इस इमेज से परिचित हैं?
मैं जितना करना चाहता हूं या मुझे करना चाहिए ़ ़ ़ वह अभी तक नहीं हो पाया है। मैं कोशिश कर रहा हूं। अपने सोचे हुए मुकाम के आसपास भी अभी नहीं पहुंचा हूं। मैं बीइंग ह्यूमन को डिफर्रेट लेवल पर ले जाना चाहता हूं। वह मुझ से अकेले नहीं हो्रगा। मुझे सबकी मदद चाहिए।
आप का नाम है। शोहरत, इज्जत, फिल्में सब कुछ हासिल कर लिया है आप ने? अब किस वजह से आप कुछ करना चाहते हैं। और क्या हासिल करना है?
काम नहीं करेंगे तो घर में बैठ कर क्या करेंगे? हमारे प्रोफेशन में कोई एक्टर सिर्फ अपने लिए काम नहीं करता। वह लाखों-करोड़ों लो्रगों के लिए काम करता है। अगर एक महीना मैं शूटि्रंग न करूं तो लाइटब्वाय, स्पाटब्वाय, फाइटर, डांसर, कैमरा, एक्जीबिटर्स, डिस्टीब्यूटर्स, लैब, एडिटर और न जाने कितने लो्रगों का काम रूक जाए्रगा। उसके बाद थिएटर हैं। आम दर्शक हैं। दर्शकों को मनोरंजन मिलना चाहिए ना? हम काम नहीं करेंगे तो कारोबार कैसे चलेगा?
पिछले दिनों आपने चुनाव प्रचार में भी नेताओं की मदद की। क्या खुद को देश के प्रति जिम्मेदार मानते हैं?
बार-बार मैं सुनता हूं कि लोग सरकार को दोष देते हैं। मेरा सवाल है कि आप अपना काम करते हो कि नहीं? वोट डालते हो कि नहीं? जब तक आप वोट नहीं दोगे, तब तक कैसे अच्छी सरकार की उम्मीद कर सकते हो। और फिर तालीम की बात करें तो 15 साल की तालीम सभी को मिलनी चाहिए। अगर हर बच्चा दसवीं तक भी पढ़ ले तो बेकारी से निकल जाएगा। स्कूल जाने और किताबें पढ़ने से फायदा होता है। बचपन से किसी धंधे में लग जाओगे तो खाक तरक्की करोगे। पढ़ो और फिर काम के बारे में सोचो। इसके अलावा मुझे लगता है कि इंटर रेलिजन शादियां होनी चाहिए। अगर यह टे्रंड चल गया तो सारे दंगे-फसाद थम जाएंगे।
आप की वीर एक खास समुदाय पर है। पिंडारियों को लुटेरा कौम माना जाता रहा है। आप उस कौम के हीरो को वीर के रूप में पर्दे पर पेश कर रहे हैं ़ ़ ़ इस तरफ ध्यान कैसे गया?
पिंडारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ खुद को एकजुट किया था। वे मूल रूप से किसान थे। जब उन्हें लूट लिया गया तो वे भी लूटमार पर आ गए, लेकिन उनका मकसद था आजादी । आजादी की चि्रंगारी उन्होंने लगायी थी। मैंने एक फिल्म देखी थी बचपन में ़ ़ ़ उस से प्रेरित होकर मैंने पिंडारियों पर इसे आधारित किया। भारत का इतिहास अंग्रेजों ने लिखा, इसलिए अपनी खिलाफत करने वाली कौम को उन्होंने ठग और लुटेरा बता दिया। इस फिल्म में हमलोगों ने बताया है कि पिंडारी क्या थे?
आपने पिता जी की मदद ली कि नहीं? आप दोनों ने कभी साथ में काम किया है क्या?
उन्होंने मेरी एक फिल्म लिखी थी पत्थर के फूल। उसके बाद उन्होंने लिखना ही बंद कर दिया। वे मेरे पिता हैं तो उनकी मदद लेना लाजिमी है। किसी भी फिल्म में कहीं फंस जाते हैं तो उनकी मदद लेते हैं। और वे तुरंत सलाह देते हैं।
इस फिल्म के लिए अलग से मेहनत करनी पड़ी क्या?
पहले मैंने बाडी पर काम शुरू किया। फिर पता चला कि उस समय लो्रग सिक्स पैक नहीं बनाते थे। वे हट्टे-कट्टे रहते थे। उनकी टा्रंगों और जंघाओं में भी दम रहता था। इसके बाद देसी एक्सरसाइज आरंभ किया। माडर्न तरीके में लो्रग धड़ से नीचे का खयाल नहीं रखते। ऐसा ल्रगता है कि माचिस की तीलियों पर बाडी रख दी गयी हो। मुझे मजबूत व्यक्ति दिखना था।
अभी फिल्मों के प्रोमोशन पर स्टार पूरा ध्यान देने लगे हैं। अब तो आप भी मीडिया से खूब बातें करते हैं?
करना पड़ता है। आप के लिए तो एक इंटरव्यू है। लेकिन मुझे अभी पचास इंटरव्यू देने हैं। फिर भी पता चले्रगा कि कोई छूट गया। पहले का समय अच्छा था कि ट्रेलर चलता था। फिल्मों के पोस्टर ल्रगते थे और दर्शक थिएटर आ जाते थे। अभी तो दर्शकों को बार-बार बताना पड़ता है कि भाई मेरी फिल्म आ रही है। पहले थोड़ा रिलैक्स रहता था। कभी मूड नहीं किया तो काम पर नहीं गए। अभी ऐसा सोच ही नहीं सकते। प्रोमोशन, ध्यान, मेहनत सभी चीज का लेवल बढ़ गया है।
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