फिल्म समीक्षा : इश्किया
उत्तर भारतीय परिवेश की रोमांचक कथा -अजय ब्रह्मात्मज अभिषेक चौबे की पहली फिल्म इश्किया मनोरंजक फिल्म है। पूर्वी उत्तरप्रदेश की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म के दो मुख्य किरदार मध्यप्रदेश केहैं। पुरबिया और भोपाली लहजे से फिल्म की भाषा कथ्य के अनुकूल हो गई है। हिंदी फिल्मों में इन दिनों अंग्रेजी का चलन स्वाभाविक मान लिया गया है। लिहाजा अपने ही देश की भाषाएं फिल्मों में परदेसी लगती हैं। अभिषेक चौबे ने निर्भीक होकर परिवेश और भाषा का सदुपयोग किया है। इश्किया वास्त व में हिंदी में बनी फिल्म है, यह हिंदी की फिल्म नहीं है। खालू जान और बब्बन उठाईगीर हैं। कहीं ठिकाना नहीं मिलने पर वे नेपाल भागने के इरादे से गोरखपुर के लिए कूच करते हैं। रास्ते में उन्हें अपराधी मित्र विद्याधर वर्मा के यहां शरण लेनी पड़ती है। वहां पहुंचने पर उन्हें मालूम होता है कि विद्याधर वर्मा तो दुनिया से रूखसत कर गए। हां, उनकी बीवी कृष्णा हैं। परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि खालूजान और बब्बन को कृष्णा के यहां ही रूकना पड़ता है। इस बीच कृष्णा, खालू जान और बब्बन के अंतरंग रिश्ते बनते हैं। सब कुछ तात्कालिक है। न कोई समर्पण है और ...