दरअसल:बिग बॉस अमिताभ बच्चन
-अजय ब्रह्मात्मज
लोकप्रियता की ऊंचाई के दिनों में अमिताभ बच्चन की औसत और फ्लॉप फिल्में भी दूसरे हीरो की सफल फिल्मों से ज्यादा बिजनेस करती थीं। शो बिजनेस का पुराना दस्तूर है। यहां जो चलता है, खूब चलता है। अगर कभी रुक या ठहर जाता है, तो फिर उसे कोई नहीं पूछता। अमिताभ बच्चन के करियर में ऐसा दौर भी आया था। अमिताभ बच्चन नाम से फिल्म इंडस्ट्री को एलर्जी हो गई थी, लेकिन मोहब्बतें और कौन बनेगा करोड़पति के बाद वे फिर केंद्र में आ गए। उन्होंने करियर के उत्तरार्द्ध में धमाकेदार मौजूदगी से फिल्म और टीवी के मनोरंजन की परिभाषा बदल दी। मानदंड ऊंचे कर दिए हैं। आज भी उनके व्यक्तित्व का चुंबकीय आकर्षण दर्शकों को अपनी ओर खींचता है। इसीलिए बिग बॉस तृतीय की टीआरपी ने पिछले दोनों सीजन के रिकॉर्ड तोड़ दिए। अब समस्या होगी कि बिग बॉस चतुर्थ की योजना कैसे बनेगी?
अमिताभ बच्चन की लोकप्रिय मौजूदगी और टीआरपी के बावजूद बिग बॉस तृतीय में जोश और रवानी की कमी महसूस हो रही है। 68 साल के हो चुके अमिताभ बच्चन की प्रस्तुति में ढलती उम्र की थकान झलक रही है। टीवी शो में मेजबान का स्वर थोड़ा ऊंचा रहता है और ओवर द बोर्ड परफार्म भी करना पड़ता है। चूंकि फिल्मों की तरह टीवी शो के शॉट सेकेंड्स और चंद मिनटों के हिसाब से डिजाइन नहीं किए जा सकते, इसलिए ऊर्जा और जोश टूटते ही प्रस्तुति की लय प्रभावित होती है। ढाई घंटे के पहले एपिसोड में अमिताभ बच्चन कई बार सांस थामते, सोचते और शक्ति बटोरते दिखाई पड़े। यह उनके अनुभव और अभिनय का कमाल है कि उन्होंने दर्शकों को किसी व्यवधान या थकान का एहसास नहीं होने दिया। उनकी मुस्कान बनी रही, लेकिन उनकी विनोदप्रियता और हाजिर जवाबी में पुरानी तीक्ष्णता गायब थी।
बिग बॉस तृतीय लोगों ने देखा और आगे भी देखते रहेंगे। अमिताभ बच्चन में अभी तक इतना दम-खम और हुनर है कि वे दर्शकों को बांध सकें, लेकिन हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते कि अमिताभ बच्चन की वाणी में पुरानी रवानी नहीं रही। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि स्क्रिप्ट कमजोर हो और वह अमिताभ बच्चन की क्षमता से मैच नहीं कर पा रही हो। हिंदी भाषा पर उनकी स्वाभाविक पकड़ है। अगर स्क्रिप्ट का बंधन हटा दिया जाए तो उनकी प्रस्तुति ज्यादा स्वाभाविक और प्रभावशाली होगी। बिग बॉस तृतीय के घर से मेहमानों की विदाई आरंभ होगी तो अमिताभ बच्चन का सही कलेवर और फ्लेवर दिखेगा। पॉप फिलास्फर के रूप में उन्हें प्रचारित किया गया है। इस मौके पर उनकी फिलास्फी से टीवी के दर्शक लाभान्वित होंगे और संभावना है कि कलर्स उस फिलास्फी की किताब भी लेकर आए। फिलहाल अमिताभ बच्चन के नाम पर कुछ भी बिक सकता है।
बिग बॉस तृतीय को संयुक्त परिवार का रूप दिया गया है लेकिन उस घर में मौजूद 13 लोगों के रिश्ते सही ढंग से परिभाषित नहीं हो सके हैं। इस घर के बुजुर्ग अमिताभ हैं, जिन्हें मध्यवर्गीय परिवारों की तरह घर से बाहर बिठाया गया है। उन तक कानाफूसियां पहुंचेंगी। वे घर में मौजूद कैमरों के जरिए घर के सदस्यों के व्यवहार पर नजर रखेंगे। परिवार के बुजुर्ग की तरह सलाह के साथ डांट-फटकार भी देंगे। निश्चित ही शो का यह हिस्सा रोचक होगा। हमें पूरी उम्मीद है कि बिग बॉस तृतीय में अमिताभ बच्चन का जादू एक बार फिर दर्शकों के सिर चढ़ कर बोलेगा। उन्होंने अपनी विशेष शैली में पहले दिन ही सीजन-3 को तृतीय बना दिया और अब हम इसे बिग बॉस तृतीय कह रहे हैं।
अमिताभ बच्चन की लोकप्रिय मौजूदगी और टीआरपी के बावजूद बिग बॉस तृतीय में जोश और रवानी की कमी महसूस हो रही है। 68 साल के हो चुके अमिताभ बच्चन की प्रस्तुति में ढलती उम्र की थकान झलक रही है। टीवी शो में मेजबान का स्वर थोड़ा ऊंचा रहता है और ओवर द बोर्ड परफार्म भी करना पड़ता है। चूंकि फिल्मों की तरह टीवी शो के शॉट सेकेंड्स और चंद मिनटों के हिसाब से डिजाइन नहीं किए जा सकते, इसलिए ऊर्जा और जोश टूटते ही प्रस्तुति की लय प्रभावित होती है। ढाई घंटे के पहले एपिसोड में अमिताभ बच्चन कई बार सांस थामते, सोचते और शक्ति बटोरते दिखाई पड़े। यह उनके अनुभव और अभिनय का कमाल है कि उन्होंने दर्शकों को किसी व्यवधान या थकान का एहसास नहीं होने दिया। उनकी मुस्कान बनी रही, लेकिन उनकी विनोदप्रियता और हाजिर जवाबी में पुरानी तीक्ष्णता गायब थी।
बिग बॉस तृतीय लोगों ने देखा और आगे भी देखते रहेंगे। अमिताभ बच्चन में अभी तक इतना दम-खम और हुनर है कि वे दर्शकों को बांध सकें, लेकिन हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते कि अमिताभ बच्चन की वाणी में पुरानी रवानी नहीं रही। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि स्क्रिप्ट कमजोर हो और वह अमिताभ बच्चन की क्षमता से मैच नहीं कर पा रही हो। हिंदी भाषा पर उनकी स्वाभाविक पकड़ है। अगर स्क्रिप्ट का बंधन हटा दिया जाए तो उनकी प्रस्तुति ज्यादा स्वाभाविक और प्रभावशाली होगी। बिग बॉस तृतीय के घर से मेहमानों की विदाई आरंभ होगी तो अमिताभ बच्चन का सही कलेवर और फ्लेवर दिखेगा। पॉप फिलास्फर के रूप में उन्हें प्रचारित किया गया है। इस मौके पर उनकी फिलास्फी से टीवी के दर्शक लाभान्वित होंगे और संभावना है कि कलर्स उस फिलास्फी की किताब भी लेकर आए। फिलहाल अमिताभ बच्चन के नाम पर कुछ भी बिक सकता है।
बिग बॉस तृतीय को संयुक्त परिवार का रूप दिया गया है लेकिन उस घर में मौजूद 13 लोगों के रिश्ते सही ढंग से परिभाषित नहीं हो सके हैं। इस घर के बुजुर्ग अमिताभ हैं, जिन्हें मध्यवर्गीय परिवारों की तरह घर से बाहर बिठाया गया है। उन तक कानाफूसियां पहुंचेंगी। वे घर में मौजूद कैमरों के जरिए घर के सदस्यों के व्यवहार पर नजर रखेंगे। परिवार के बुजुर्ग की तरह सलाह के साथ डांट-फटकार भी देंगे। निश्चित ही शो का यह हिस्सा रोचक होगा। हमें पूरी उम्मीद है कि बिग बॉस तृतीय में अमिताभ बच्चन का जादू एक बार फिर दर्शकों के सिर चढ़ कर बोलेगा। उन्होंने अपनी विशेष शैली में पहले दिन ही सीजन-3 को तृतीय बना दिया और अब हम इसे बिग बॉस तृतीय कह रहे हैं।
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