फ़िल्म समीक्षा:सिकंदर

आतंकवाद के साए में तबाह बचपन
-अजय ब्रह्मात्मज

निर्देशक पीयूष झा ने आतंकवाद के साए में जी रहे दो मासूम बच्चों की कहानी के मार्फत बड़ी सच्चाई पर अंगुली रखी है। आम जनता ने नुमाइंदे बने लोग कैसे निजी स्वार्थ के लिए किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सिकंदर मुश्किल स्थितियों में फंसे बच्चे तक ही सीमित नहीं रहती। कश्मीर की बदल रही परिस्थिति में राजनीति के नए चेहरों को भी फिल्म बेनकाब करती है।
सिकंदर के मां-बाप को जिहादियों ने मार डाला है। अभी वह अपने चाचा के साथ रहता है। स्कूल में उसके सहपाठी उसे डपटते रहते हैं। फुटबाल के शौकीन सिकंदर की इच्छा है कि वह अपने स्कूल की टीम के लिए चुन लिया जाए। स्कूल में नई आई लड़की नसरीन उसकी दोस्त बनती है। कहानी टर्न लेती है। सिकंदर के हाथ रिवाल्वर लग जाता है। वह अपने सहपाठियों को डरा देता है। रिवाल्वर की वजह से जिहादियों का सरगना उससे संपर्क करता है। वह वाशिंग मशीन खरीदने की उसकी छोटी ख्वाहिश पूरी करने का दिलासा देता है और एक खतरनाक जिम्मेदारी सौंपता है। दिए गए काम के अंजाम से नावाकिफ सिकंदर गफलत में जिहादी सरगना का ही खून कर बैठता है। एक मासूम जिंदगी तबाह होती है और फिर हम अमन की पालिटिक्स करने वालों के खूनी इरादों से परिचित होते हैं।
फिल्म में सिर्फ सिकंदर पर फोकस रहता तो यह फिल्म बहुत ही प्रभावशाली बन पाती। थरथराते मासूम बच्चों की जिंदगी में मची हलचल से हमें आतंकवाद का भारी खतरा नजदीक से महसूस होता। ऐसा लगता है कि कश्मीर में किसी को बच्चों की परवाह नहीं है। अमनपसंद नेता, आतंकवादी और फौज सभी अपने हित के लिए सिकंदर का इस्तेमाल करते हैं। इस्तेमाल की वजह और तरीकों के चित्रण में फिल्म की मूल कथा कमजोर पड़ जाती है। हमारा ध्यान भटकता है। बड़ों की राजनीति बच्चों की मासूमियत उलझ जाती है।
फरजान दस्तूर ने सिकंदर की भूमिका शानदार तरीके से निभाई है। वे उसकी निरीहता और दुविधा को अभिव्यक्त कर सके हैं। आयशा कपूर के अभिनय में स्वाभाविकता नहीं है। वह नसरीन की भूमिका में ढल नहीं पाई हैं। फौज के अधिकारी के रूप में आर माधवन, अमन पसंद नेता के रूप में संजय सूरी और जिहादी सरगना के रूप में अरुणोदय सिंह निराश नहीं करते। फिल्म का आखिरी गीत में बच्चों की संवेदना अच्छी तरह प्रकट हुई है।

Comments

जानकारी के लिए शुक्रिया
Anonymous said…
meri ray aapse juda hai. subject samvedanshil dhang se uthaya gaya hai. par film ki scrit me kai jagah gahre jhol hain. jo asli marm ko khatm kar dete hain. kahani theek tarah se nahi buni gayi hai.
Unknown said…

Do You Seek Funds To Pay Off Credits and Debts? { FIFOCapitals@gmail.com } Is Here To Put A Stop To Your Financial Problems. We Offer All Kinds Of Loan (Personal Loan, Commercial Loan, etc.) We Give Out Loan With An Interest Rate Of 1.00%. Interested Applicants Should Contact Us Via Email: FIFOCapitals@gmail.com

Please Fill the Application Form Below:
- Complete Name:
- Loan Amount Needed:
- Loan Duration:
- Purpose Of Loan:
- City / Country:
- Telephone:
- How Did You Hear About Us:

If You Are Interested To Get A Loan Then Kindly Write Us With The Loan Requirement. Please, Contact Us via email: FIFOCapitals@gmail.com

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को