शर्मीले, नुकीले और हठीले विशाल की कमीने
कम लोग जानते हैं कि विशाल भारद्वाज ने पहली फिल्म की प्लानिंग अजय देवगन के साथ की थी। शायद इसी वजह से अगला मौका मिलते ही अजय देवगन ने विशाल भारद्वाज के निर्देशन में ओमकारा की। विशाल ने मकड़ी और मकबूल बनायी। इस बार विशाल भारद्वाज ने फिल्म का शीर्षक ही कमीने रख दिया है।
कमीने विशाल भारद्वाज का ओरिजनल आइडिया नहीं है। उन्होंने नैरोबी के एक लेखक से इसे खरीदा है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव इसमें जोड़े हैं और इस समकालीन भारत की फिल्म बना दिया है। शहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा इसे अपने करिअर की श्रेष्ठ फिल्म कह रहे हैं। उम्मीद करें कि वे आदतन यह नहीं कह रहे हों। शर्मीले,नुकीले और हठीले विशाल भारद्वाज फिलहाल इस बात से दुखी हैं कि उनकी फिल्म को यूए सर्टिफिकेट नहीं मिला है। वे चाहते हैं कि उनकी फिल्म कमीने सभी देखें, लेकिन सेंसर से ए सर्टिफिकेट मिलने की वजह से उनके दर्शक कम हो जाएंगे। चाहे-अनचाहे वे विवादों में भी फंसे हैं। कहा जा रहा है कि यह फिल्म आमिर खान और सैफ अली खान ने रिजेक्ट कर दी थी। विशाल सफाई देते फिर रहे हैं। इतना ही नहीं पापुलर हुए गीत, धन दे तान.. की लोकप्रियता का श्रेय किसी ने शाहिद कपूर के नाम किया तो विशाल बिफर गए। उन्होंने बताया है कि धन दे तान.. उनके साथ सालों से रहा है। वे ही उसके सर्जक हैं। हम तो यही उम्मीद करेंगे कि कमीने बाक्स आफिस पर धन दे तान.. करे। हिन्दी प्रदेश का एक निर्देशक और मजबूत एवं कामयाब हो।
कमीने का बेसिक आइडिया कंपाला में विशाल को आया। युगांडा में रायटिंग लैबोरेटरी में कंपाला के बारे में रिसर्च किया गया। यह कहानी दो जुड़वा भाइयों की है जिनके चरित्र में काफी अंतर है। दोनों भाई एक दूसरे से एकदम विपरीत है। क्या होता है इनके जीवन में इसे ही कमीने में दिखाया जाएगा।
कवि और गीतकार राम भारद्वाज के बेटे विशाल भारद्वाज का बचपन फिल्मों से अपरिचित नहीं रहा। पिता चाहते थे कि वे संगीत सीखें। विशाल ने संगीत सीखा और उसके साथ क्रिकेट के गेंद और बल्ले से भी दोस्ती कर ली। उन्होंने राज्य स्तरीय क्रिकेट मैच खेले। क्रिकेट खेलने के सिलसिले में दिल्ली आना हुआ और वहां एक दोस्त ने संगीत के लिए प्रेरित किया। आरंभिक रुचि गंभीरता में बदली। नतीजा यह हुआ कि क्रिकेट के प्रति जो रूझान था,वह संगीत की तरफ मुड़ गया। संगीत के इस सफर में एक मोड़ पर गुलजार मिले और फिर विशाल भारद्वाज की दिशा बदल गयी। अब कमीने हाजिर है।
कमीने विशाल भारद्वाज का ओरिजनल आइडिया नहीं है। उन्होंने नैरोबी के एक लेखक से इसे खरीदा है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव इसमें जोड़े हैं और इस समकालीन भारत की फिल्म बना दिया है। शहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा इसे अपने करिअर की श्रेष्ठ फिल्म कह रहे हैं। उम्मीद करें कि वे आदतन यह नहीं कह रहे हों। शर्मीले,नुकीले और हठीले विशाल भारद्वाज फिलहाल इस बात से दुखी हैं कि उनकी फिल्म को यूए सर्टिफिकेट नहीं मिला है। वे चाहते हैं कि उनकी फिल्म कमीने सभी देखें, लेकिन सेंसर से ए सर्टिफिकेट मिलने की वजह से उनके दर्शक कम हो जाएंगे। चाहे-अनचाहे वे विवादों में भी फंसे हैं। कहा जा रहा है कि यह फिल्म आमिर खान और सैफ अली खान ने रिजेक्ट कर दी थी। विशाल सफाई देते फिर रहे हैं। इतना ही नहीं पापुलर हुए गीत, धन दे तान.. की लोकप्रियता का श्रेय किसी ने शाहिद कपूर के नाम किया तो विशाल बिफर गए। उन्होंने बताया है कि धन दे तान.. उनके साथ सालों से रहा है। वे ही उसके सर्जक हैं। हम तो यही उम्मीद करेंगे कि कमीने बाक्स आफिस पर धन दे तान.. करे। हिन्दी प्रदेश का एक निर्देशक और मजबूत एवं कामयाब हो।
कमीने का बेसिक आइडिया कंपाला में विशाल को आया। युगांडा में रायटिंग लैबोरेटरी में कंपाला के बारे में रिसर्च किया गया। यह कहानी दो जुड़वा भाइयों की है जिनके चरित्र में काफी अंतर है। दोनों भाई एक दूसरे से एकदम विपरीत है। क्या होता है इनके जीवन में इसे ही कमीने में दिखाया जाएगा।
कवि और गीतकार राम भारद्वाज के बेटे विशाल भारद्वाज का बचपन फिल्मों से अपरिचित नहीं रहा। पिता चाहते थे कि वे संगीत सीखें। विशाल ने संगीत सीखा और उसके साथ क्रिकेट के गेंद और बल्ले से भी दोस्ती कर ली। उन्होंने राज्य स्तरीय क्रिकेट मैच खेले। क्रिकेट खेलने के सिलसिले में दिल्ली आना हुआ और वहां एक दोस्त ने संगीत के लिए प्रेरित किया। आरंभिक रुचि गंभीरता में बदली। नतीजा यह हुआ कि क्रिकेट के प्रति जो रूझान था,वह संगीत की तरफ मुड़ गया। संगीत के इस सफर में एक मोड़ पर गुलजार मिले और फिर विशाल भारद्वाज की दिशा बदल गयी। अब कमीने हाजिर है।
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