दरअसल:ब्लॉग से ट्विटर तक

-अजय ब्रह्मात्मज

अमिताभ बच्चन दुनिया में कहीं भी रहें, वे नियमित रूप से ब्लॉग लिखते हैं। बीमारी के चंद दिनों को छोड़ दें, तो वे रोजाना एक पोस्ट करते हैं। उनके पोस्ट में मुख्य रूप से घर-परिवार की बातें, शूटिंग चर्चा, मीडिया की आलोचना और दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार रहते हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग के पाठक को विस्तारित परिवार की संज्ञा दी है। वे उनकी राय, आलोचना और टिप्पणियों पर गौर करते हैं। अपने पाठकों के प्रति वे जितने मृदु हैं, मीडिया के प्रति उतने ही कटु। अगर किसी ने कुछ उल्टा-सीधा लिख दिया, तो वे ब्लॉग पर उसका जिक्र करते हैं। मीडिया के रवैये और व्यवहार पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। इसके बावजूद उनका ब्लॉग पठनीय होता है।
इधर रामगोपाल वर्मा नियमित हो गए हैं। उनकी फिल्में और व्यक्तित्व की तरह उनका ब्लॉग भी थोड़ा रहस्यपूर्ण और अनिश्चित है। उनके ब्लॉग की कोई निश्चित रूपरेखा नहीं है। अपने जीवन के अंश, अनुभव और फिल्मों के अलावा इन दिनों वे सिनेमा के तकनीकी पक्षों की भी बात कर रहे हैं। उनके ब्लॉग पर पाठकों के सवाल के दिए गए जवाब रूखे और बेलाग होते हैं। उन्हें पढ़ते हुए मजा आता है। साथ ही पता चलता है कि रामू वास्तव में विनोदी स्वभाव के व्यक्ति हैं। वे कठोर होने का दिखावा करते हैं।
शाहरुख खान पर टिप्पणी करने के बाद हुई आलोचना से आमिर खान संयमित हो गए हैं। वे चंद वाक्यों में तथ्यात्मक बातें करते हैं और पाठक से ज्यादा लाड़-प्यार नहीं दिखाते। वे अपने ब्लॉग पर नियमित नहीं हैं, लेकिन कई बार उनसे संबंधित ताजी जानकारियां उनके ब्लॉग से मिलती हैं। जैसे कि हाल ही में उन्होंने बताया कि किरण राव की फिल्म धोबी घाट में वे मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने हिलेरी से अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया है। सलमान खान भी अनियमित हैं। उनकी बातों और लेखन में उनके व्यक्तित्व की तरह ही निरंतरता नहीं रहती। शाहरुख ने खुद को इन दुनियावी संप्रेषणों से ऊपर मान लिया है। वे इन दिनों इंटरव्यू भी देते हैं, तो किसी ऋषि की मुद्रा में रहते हैं, जिसने जीवन के सत्य को समझ लिया है।
हां, मनोज बाजपेयी लगातार लिख रहे हैं। अच्छी बात है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के वे ऐसे अकेले कलाकार हैं, जो हिंदी में अपना ब्लॉग लिखते हैं। उन्होंने पिछले दिनों जिक्र किया था कि वे सिर्फ लिखते ही नहीं, पढ़ते भी हैं। वे पाठक के सवाल और जिज्ञासाओं के जवाब भी देते हैं। अन्य स्टार नियमित नहीं हैं। शिल्पा शेट्टी, बिपाशा बसु, मल्लिका शेरावत, सेलिना जेटली और कंगना राणावत ने भी अपने वेबसाइट आरंभ किए हैं, लेकिन वही ढाक के तीन पात.., दो-चार पोस्ट लिखने के बाद उन्हें कुछ नया लिखने की फिक्र नहीं रहती।
इधर ट्विटर का चलन तेजी से बढ़ा है। ट्विटर भी सोशल नेटवर्किंग का अच्छा माध्यम है। इसमें सिर्फ 140 अक्षरों में व्यक्ति कुछ लिख सकता है। यह सुविधा फेसबुक से थोड़ी अलग है। अभी प्रियंका चोपड़ा, करण जौहर, गुल पनाग और मल्लिका शेरावत इस पर काफी एक्टिव हैं। वे अपनी गतिविधियों की ताजा जानकारी देते हैं और कभी-कभार किसी फालोअर की जिज्ञासा भी शांत करते हैं। अपनी व्यस्त जिंदगी के कुछ ऐसे क्षणों का इस्तेमाल वे इस कार्य में करते हैं, जिसका कोई दूसरा उपयोग वे नहीं कर सकते। अमूमन गाड़ी में बैठकर कहीं जाते समय वे मोबाइल से ट्विटर पर अपने संदेश भेजते हैं। दरअसल, ब्लॉग लेखन हो या ट्विटर पर 140 अक्षरों की पोस्ट.., फिल्म स्टारों के लिए यह आत्मरति और प्रगल्भता ही है। वे इतने अकेले और सब से कट जाते हैं कि उनके लिए अपने उद्गार और भाव व्यक्त करने का यह सुंदर एकतरफा माध्यम हो गया है। यहां उनसे कोई बहस नहीं कर सकता और न ही कोई टोक या रोक सकता है। अफसोस की बात है कि अभी कोई भी स्टार कला और फिल्म पर गंभीर बातें नहीं करता। वे तो अपने अनुभव शेयर करने में भी संकोच करते हैं। ज्यादातर लेखन में साफ झलकता है कि वे अपने पाठकों से श्रेष्ठ हैं। यही वजह है कि ब्लॉग और ट्विटर लेखन के बावजूद स्टार और प्रशंसकों के बीच आत्मीय रिश्ता नहीं बन पा रहा है।

Comments

ज्ञान said…
सोचने वाली बात
Arshia Ali said…
गंभीर मामला है.
{ Treasurer-T & S }
jayanti jain said…
analysis is useful & practical

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