बाजपेयी और सोनिया जी प्रिय हैं:शाहरुख़ खान
बाजपेयी जी
बाजपेयी जी से मेरे पुराने संबंध हैं। उनकी बेटी नमिता से पुराना परिचय है। पहले हम दिल्ली लाकर फिल्में दिखाते थे तो उनके लिए विशेष शो रखते थे। उन्हें फिल्मों का बहुत शौक है। कई बार पता चल जाता था कि उन्हें फिल्म अच्छी नहीं लगी। फिर भी वे कहते थे बेटा, बहुत अच्छा है। एक बार मिले तो बोले कि बहुत दिनों से तुम्हारी कोई फिल्म नहीं देखी। पिछले दिनों उनकी तबियत खराब हुई थी तो मैं चिंतित था। मैंने नमिता से पूछा कि बाप जी कैसे हैं। हम उन्हें बाप जी कहते हैं। मेरी तबियत खुद खराब थी, इसलिए मिलने नहीं जा सका। फिर भी मैं नमिता से हालचाल लेता रहा। वे बहुत स्वीट व्यक्ति हैं। मैं छोटा था तो मेरे पिताजी मुझे आईएनए मार्केट ले जाते थे कि अटल बिहारी बाजपेयी जी की स्पीच सुनो। बहुत खूबसूरत बोलते हैं वे। उनका हिंदी पर अधिकार है। मैं उनको और इंदिरा जी को सुन कर बड़ा हुआ हूं। मेरे पिता जी कांग्रेस में थे। मेरी मां कांग्रेस में थीं। गांधी परिवार को मैं बचपन से जानता हूं। राबर्ट से भी मेरा पुराना परिचय है। हमने कभी पालिटिकल बात नहीं की। वे हमारे घर आते हैं। हम भी उनसे मिलने जाते हैं।
राजनीति से रिश्ता
राजनीति हमारा धंधा नहीं है तो इस सिलसिले में कोई बात नहीं होती। एक-दो बार आए तो शूटिंग देखने की इच्छा जाहिर की। हर आदमी शूटिंग देखना चाहता है। उनका दोस्त एक्टर है तो उनकी भी इच्छा हुई। मैं कभी कह दूं कि पार्लियामेंट सेशन नहीं देखा है, अगर गैरकानूनी न हो तो मुझे भी दिखा दो। तो वे मना नहीं करेंगे। इसके आगे कभी कोई बात नहीं हुई। उन्होंने मुझसे कभी कुछ बोला भी नहीं है। उन्हें मालूम है कि मैं अराजनीतिक व्यक्ति हूं। मेरा झुकाव किसी पार्टी की तरफ नहीं है। मेरी मम्मी पालिटिक्स में थीं। मैंने उन्हें करीब से देखा है। मैंने देखा है कि कई बार नेताओं को झुकना पड़ता है। वे दबाव में आ जाते हैं। कई बार वैसी नीतियां बनानी पड़ती है। जैसे कई बार हम छिछोरा काम करते हैं। एक्टर हैं तो करना पड़ता है। मार्केटिंग और पब्लिसिटी के लिए करना होता है। कई बार हाथ बंधे होते हैं। हमें नेताओं पर भरोसा करना चाहिए, लेकिन भरोसेमंद नेता भी तो हों।
सोनिया जी
सोनिया जी की बात करूं तो वो अकेली औरत हैं। यह सब बकवास और छिछोरी बात है कि वो बाहर की हैं या इटली की हैं। आप अपनी मां की तरह उनके बारे में सोचें। उनकी पूरी दुनिया तहस-नहस हो गयी। उनके देवर मर गए। सास मर गई। शौहर मर गए। दूसरे देश में वह अकेली हो गयीं। हमें लंदन में कोई पांच मिनट के लिए अकेला छोड़ दे तो हालत खराब हो जाती है। वह एक नए देश में थे और उनके परिवार के सभी सदस्य मारे गए। बच्चे छोटे थे। लोग विरोध में थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने लड़ाई लड़ी। एक नेता ना सही, एक इंसान के तौर पर तो उनकी इज्जत करें। हमारी मां-बहन ऐसा करतीं तो हम उनकी तारीफ करते या नहीं। उनकी राजनीति को एक तरफ रहने दें।
बाजपेयी जी से मेरे पुराने संबंध हैं। उनकी बेटी नमिता से पुराना परिचय है। पहले हम दिल्ली लाकर फिल्में दिखाते थे तो उनके लिए विशेष शो रखते थे। उन्हें फिल्मों का बहुत शौक है। कई बार पता चल जाता था कि उन्हें फिल्म अच्छी नहीं लगी। फिर भी वे कहते थे बेटा, बहुत अच्छा है। एक बार मिले तो बोले कि बहुत दिनों से तुम्हारी कोई फिल्म नहीं देखी। पिछले दिनों उनकी तबियत खराब हुई थी तो मैं चिंतित था। मैंने नमिता से पूछा कि बाप जी कैसे हैं। हम उन्हें बाप जी कहते हैं। मेरी तबियत खुद खराब थी, इसलिए मिलने नहीं जा सका। फिर भी मैं नमिता से हालचाल लेता रहा। वे बहुत स्वीट व्यक्ति हैं। मैं छोटा था तो मेरे पिताजी मुझे आईएनए मार्केट ले जाते थे कि अटल बिहारी बाजपेयी जी की स्पीच सुनो। बहुत खूबसूरत बोलते हैं वे। उनका हिंदी पर अधिकार है। मैं उनको और इंदिरा जी को सुन कर बड़ा हुआ हूं। मेरे पिता जी कांग्रेस में थे। मेरी मां कांग्रेस में थीं। गांधी परिवार को मैं बचपन से जानता हूं। राबर्ट से भी मेरा पुराना परिचय है। हमने कभी पालिटिकल बात नहीं की। वे हमारे घर आते हैं। हम भी उनसे मिलने जाते हैं।
राजनीति से रिश्ता
राजनीति हमारा धंधा नहीं है तो इस सिलसिले में कोई बात नहीं होती। एक-दो बार आए तो शूटिंग देखने की इच्छा जाहिर की। हर आदमी शूटिंग देखना चाहता है। उनका दोस्त एक्टर है तो उनकी भी इच्छा हुई। मैं कभी कह दूं कि पार्लियामेंट सेशन नहीं देखा है, अगर गैरकानूनी न हो तो मुझे भी दिखा दो। तो वे मना नहीं करेंगे। इसके आगे कभी कोई बात नहीं हुई। उन्होंने मुझसे कभी कुछ बोला भी नहीं है। उन्हें मालूम है कि मैं अराजनीतिक व्यक्ति हूं। मेरा झुकाव किसी पार्टी की तरफ नहीं है। मेरी मम्मी पालिटिक्स में थीं। मैंने उन्हें करीब से देखा है। मैंने देखा है कि कई बार नेताओं को झुकना पड़ता है। वे दबाव में आ जाते हैं। कई बार वैसी नीतियां बनानी पड़ती है। जैसे कई बार हम छिछोरा काम करते हैं। एक्टर हैं तो करना पड़ता है। मार्केटिंग और पब्लिसिटी के लिए करना होता है। कई बार हाथ बंधे होते हैं। हमें नेताओं पर भरोसा करना चाहिए, लेकिन भरोसेमंद नेता भी तो हों।
सोनिया जी
सोनिया जी की बात करूं तो वो अकेली औरत हैं। यह सब बकवास और छिछोरी बात है कि वो बाहर की हैं या इटली की हैं। आप अपनी मां की तरह उनके बारे में सोचें। उनकी पूरी दुनिया तहस-नहस हो गयी। उनके देवर मर गए। सास मर गई। शौहर मर गए। दूसरे देश में वह अकेली हो गयीं। हमें लंदन में कोई पांच मिनट के लिए अकेला छोड़ दे तो हालत खराब हो जाती है। वह एक नए देश में थे और उनके परिवार के सभी सदस्य मारे गए। बच्चे छोटे थे। लोग विरोध में थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने लड़ाई लड़ी। एक नेता ना सही, एक इंसान के तौर पर तो उनकी इज्जत करें। हमारी मां-बहन ऐसा करतीं तो हम उनकी तारीफ करते या नहीं। उनकी राजनीति को एक तरफ रहने दें।
Comments
आप अटल जी एवं ,सोनिया जी दोनों को पसंद करते हैं उनका सम्मान करते हैं ये पढ़ कर अच्छा लगा .
वर्ना ज्यादातर लोग अगर एक को पसंद करते हैं तो दूसरे के बारे में बात भी नहीं करते .....पता नहीं डर से या अवसरवादिता के कारण...बहरहाल आपके विचार जIन कर खुशी हुयी .
हेमंत कुमार