मीडिया ने मुझे बिग बना दिया -अमिताभ बच्चन
-अजय ब्रह्मात्मज
अपने बिग ब्लॉग की पहली वर्षगांठ (16 अप्रैल) पर अमिताभ बच्चन ने खास तौर से दैनिक जागरण से अपने मन की बातें बांटीं।
आपने अपने ब्लॉग का नाम बिग बी क्यों पसंद किया? बिग बी, एंग्री यंग मैन, मिलेनियम स्टार जैसे विशेषणों को आप ज्यादा तरजीह नहीं देते। फिर बिग बी की पसंदगी की कोई खास वजह?
मैंने यह नाम नहीं चुना है। बिग अड्डा सर्वर ने यह नाम रखा है। मुख्य पृष्ठ पर इसकी प्रस्तुति ऐसी है कि यह बिगब्लॉग डॉट कॉम पढ़ा जाता है। बिग और ब्लॉग को एक साथ हाइलाइट करें, तो बिग बी लॉग पढ़ते हैं। यह मेरा नहीं, उनका रचनात्मक फैसला है। उनकी अन्य गतिविधियों में भी बिग नाम आता है, जैसे बिग पिक्चर्स, बिग फिल्म आदि। यह महज संयोग ही है कि मेरे ब्लॉग की डिजाइन मीडिया रचित विशेषण से मिल गई। ऐसा नहीं है कि मैं इन विशेषणों में विश्वास करता हूं या उन्हें प्रोत्साहित और स्वीकार करता हूं!
ब्लॉग लेखन क्या है आपके लिए?
संक्षेप में, यह अनुभव आह्लादक रहा है। अपने प्रशंसकों और शुभेच्छुओं से जुड़ पाना उद्घाटन रहा। इस माध्यम ने बगैर किसी बिचौलिए के मुझे स्वतंत्र संबंध दिया है। इसमें मीडिया से होने वाली भ्रष्ट प्रस्तुति की संभावना नहीं है। इस संबंध से मैंने बहुत कुछ सीखा है। मेरे ब्लॉग पर आने वाले हमारे बीच विकसित हुए व्यक्तिगत समीकरण को महसूस करते हैं और वह बहुत प्रीतिकर है।
आरंभ से ही आपने ब्लॉग का उपयोग खुद पर उठे सवालों के उत्तर देने के लिए किया? क्या कहीं यह मनोभाव रहा कि आपके प्रशंसकों तक आपका मंतव्य दूसरे साधनों से नहीं पहुंच पा रहा है?
दूसरे माध्यम मुझे वह अनन्यता नहीं देते, जो कई बार मैं चाहता हूं। लोगों तक पहुंचने के लिए मैंने उनका इस्तेमाल किया है, लेकिन उन पर मेरी निर्भरता सीमित है। ब्लॉग पर कोई अड़चन नहीं है।
आपने पत्र-पत्रिकाओं को हमेशा उद्धृत किया। कभी किसी की तारीफ की, तो कभी आलोचना भी.. या फिर उन्हें कठघरे में खड़ा किया। क्या कभी हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में ऐसा कुछ नहीं छपा, जो आपको उद्वेलित या प्रसन्न कर पाता?
करता है। मैं उन पर ध्यान देता हूं और सराहना भी करता हूं। मेरे खयाल में आपका सवाल यह इंगित करता है कि मैं अपने ब्लॉग पर हिंदी प्रेस का उल्लेख क्यों नहीं करता! मैं करूंगा, एक बार हिंदी ब्लॉग आकार ले ले। हम लोग अपने ब्लॉग के विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की प्रक्रिया में हैं। हिंदी मैं स्वयं लिखूंगा। जब वह हो जाएगा, तो मैं हिंदी प्रेस को उद्धृत करूंगा, बशर्ते कुछ उद्धृत करने लायक हो!
आपने वादा किया था कि हिंदी में ब्लॉग लिखेंगे, लेकिन साल पूरे होने को आए और अभी तक यह वादा पूरा नहीं हुआ। हां, हिंदी पाठकों का मन रखने के लिए आपने चंद पोस्ट हिंदी में अवश्य लिखी, लेकिन वह पर्याप्त नहीं कहा जा सकता?
जैसा कि मैंने पहले कहा, मैं प्रतीक्षा में हूं कि अनूदित ब्लॉग की प्रक्रिया पूरी हो जाए। उसके बाद हिंदी ब्लॉग भी होगा।
ब्लॉग के माध्यम से हम आपके भाव, व्यथा, प्रसन्नता, व्याकुलता और सोच से परिचित होते रहे हैं। कभी-कभी व्यक्ति अमिताभ बच्चन की मानवीय छटपटाहट का भी अहसास होता है। ऐसा लगता है कि आप देश, समाज और निजी माहौल में संतुष्ट नहीं हैं?
आप बिल्कुल गलत हैं। मैं अपने देश, समाज और निजी माहौल में बहुत संतुष्ट व्यक्ति हूं। परेशान होने वाले मुद्दों पर लिखने का यह मतलब नहीं है कि मैं असंतुष्ट हूं। मैं तो भारतीय होने के नाते अभिव्यक्ति के अपने अधिकार का उपयोग करता हूं और इससे मुझे कोई रोक नहीं सकता।
ब्लॉग के पाठकों को आप अपना विस्तारित परिवार कहते हैं। इस परिवार की बातों और सुझावों पर कितना गौर कर पाते हैं?
मैं उनके व्यक्त विचार और राय पर बहुत गौर करता हूं और उनका आदर भी करता हूं। कई बार मैंने उनके सुझावों को स्वीकार किया है और उन पर अमल भी किया है।
ब्लॉग लेखन में आपकी नियमितता अनुकरणीय है। किसी भी पोस्ट का विषय लैपटॉप खोलने के बाद निश्चित होता है या कोई विषय आपको मथता रहता है और आप उस पर लिखते हैं?
कुछ भी पहले से तय नहीं रहता। लैपटॉप खोलने के बाद लिखता हूं। अगर कोई प्रकाशित इंटरव्यू हो या किसी पर मेरी प्रतिक्रिया हो, तो ब्लॉग से अलग उन्हें लिखता हूं। जैसे कि अभी जो आप को उत्तर दे रहा हूं॥, यह पता चलते ही कि आपने इसे प्रकाशित कर दिया है, मैं इसे अपने ब्लॉग पर डालूंगा।
आपको 144वीं पोस्ट पर सबसे ज्यादा कमेंट्स मिले हैं। यह पोस्ट आपने 9 सितंबर, 2008 को लिखी थी। जया जी की टिप्पणी से उठे विवाद पर आपके स्पष्टीकरण से संबंधित उस पोस्ट का स्थायी महत्व है। छह महीने गुजरने के बाद अब क्या आप उस विवाद के बारे में कुछ नया कहना चाहेंगे?
उस मामले में और कुछ नहीं कहना है। जब मैं बीमार पड़ा था, तो सब से ज्यादा टिप्पणियां आई थीं। वह बहुत प्रीतिकर था। प्रशंसकों का प्यार गहरे छूता है।
आपके ब्लॉग लेखन में किन व्यक्तियों की खास भूमिका रही?
आपके सवाल को मैं समझ नहीं सका। अगर आपका सवाल यह है कि किसने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया, तो मेरा जवाब होगा, कोई नहीं। आप पूछेंगे कि लिखते समय मैं किसे सबसे ज्यादा महत्व देता हूं, तो मैं कहूंगा कि अपने ब्लॉग पर आने वालों को या अपने विस्तारित परिवार को। मैं अपने पिता के लिखे शब्दों और लेखन से प्रेरणा लेता हूं। अगर आपको ऐसा लगता है कि मैं राष्ट्रीय भाषा को पर्याप्त महत्व नहीं देता, तो आप ध्यान दें कि मेरे ब्लॉग पर आने वाला कोई भी पाठक सबसे पहले मेरे पिता की हिंदी कृतियों से लिया गया मूल्यवान उद्धरण पढ़ता है।
आपके ब्लॉग लेखन से अभिव्यक्ति के इस आधुनिक माध्यम के प्रति जागरूकता बढ़ी है। आप ब्लॉग लेखन के भविष्य पर क्या कहेंगे?
मैं विश्लेषक नहीं हूं। ब्लॉगिंग के भविष्य पर मैं कुछ नहीं कह सकता।
ब्लॉग पर लिखी आपकी पंक्तियां जब टीवी और अखबार में सुर्खियों के रूप में इस्तेमाल होती हैं, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
संतुष्टि और विनम्रता का अहसास होता है। मेरी विदग्धता और साहित्यिक गुणवत्ता की तुलना ताकतवर मीडिया से नहीं की जा सकती। अगर मेरा पाठ उन्हें उपयोगी लगता है, तो यह सम्मानसूचक है और उनकी उदारता है।
क्या आपको यह नहीं लगता कि अभिव्यक्ति की इस स्वैच्छिक माध्यम ने आपको मीडिया से दूर किया है?
उल्टा यह मुझे ज्यादा करीब ले आया है। वैसे, मीडिया से दूर रहना पूरी तरह से बुरा सुझाव नहीं है। उनसे न ज्यादा दोस्ती अच्छी, न दुश्मनी!
पिछले दिनों ब्लॉग लेखन पर कोर्ट के फैसले आए। एक ब्लॉग लेखक को अपनी पोस्ट हटानी पड़ी। क्या इस माध्यम पर किसी प्रकार का सरकारी अंकुश उचित है?
देश का नागरिक होने के नाते मैं कानून का पालन करूंगा। अगर कानून प्रतिबंध लगाता है, तो हमें उसका पालन करना चाहिए।
आपके ब्लॉग पर रिड ऐंड टेलर का नाम आता है। इस प्रकार आपकी अभिव्यक्ति व्यावसायिक हो गई। इस स्थिति के सही या गलत होने पर विचार न करें, तो भी इस कदम के बारे में क्या कहेंगे?
हां, रिड ऐंड टेलर का नाम आता है। वह इसलिए आता है, क्योंकि मुख्यपृष्ठ की तस्वीर उनकी है। मैं इसके व्यावसायिक पहलू से अनभिज्ञ हूं। इस सवाल का सही जवाब सर्वर दे सकता है। अगर यह व्यावसायिक है, तो क्या हानि है! ब्लॉग चलाने में सर्वर को कुछ खर्च करना पड़ता होगा। अगर उसे किसी स्रोत से इस मद में धन मिल जाता है, तो मैं कोई हानि नहीं समझता। मुझे अपने ब्लॉग लेखन के पैसे नहीं मिलते और यह जारी है। प्रिंट मीडिया में कई स्तंभ प्रायोजित होते हैं। आप उन पर क्यों नहीं सवाल उठाते? या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से यह सवाल क्यों नहीं पूछते कि वे अपने सारे गेम और रिअॅलिटी शो क्यों प्रायोजित करवाते हैं? या समाचार चैनलों की बात करें, तो उनकी बहस और बातचीत पाठकों और दर्शकों की राय के बगैर पूरी नहीं होती! यह राय मोबाइल फोन से भेजी जाती है और इससे वे पैसे कमाते हैं।
क्या ब्लॉग लेखन को अभिव्यक्ति की साहित्यिक विधा माना जा सकता है? यह भी तो एक प्रकार की डायरी है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। मैं इस योग्य नहीं हूं कि मेरी टिप्पणियों को साहित्य के नजदीक भी समझा जाए और न ही मेरी टिप्पणियों में रोज का ब्यौरा रहता है। यह तो महज प्रशंसकों से मेरी बातचीत है। बस, इसे अतिरिक्त महत्व न दें।
अपने बिग ब्लॉग की पहली वर्षगांठ (16 अप्रैल) पर अमिताभ बच्चन ने खास तौर से दैनिक जागरण से अपने मन की बातें बांटीं।
आपने अपने ब्लॉग का नाम बिग बी क्यों पसंद किया? बिग बी, एंग्री यंग मैन, मिलेनियम स्टार जैसे विशेषणों को आप ज्यादा तरजीह नहीं देते। फिर बिग बी की पसंदगी की कोई खास वजह?
मैंने यह नाम नहीं चुना है। बिग अड्डा सर्वर ने यह नाम रखा है। मुख्य पृष्ठ पर इसकी प्रस्तुति ऐसी है कि यह बिगब्लॉग डॉट कॉम पढ़ा जाता है। बिग और ब्लॉग को एक साथ हाइलाइट करें, तो बिग बी लॉग पढ़ते हैं। यह मेरा नहीं, उनका रचनात्मक फैसला है। उनकी अन्य गतिविधियों में भी बिग नाम आता है, जैसे बिग पिक्चर्स, बिग फिल्म आदि। यह महज संयोग ही है कि मेरे ब्लॉग की डिजाइन मीडिया रचित विशेषण से मिल गई। ऐसा नहीं है कि मैं इन विशेषणों में विश्वास करता हूं या उन्हें प्रोत्साहित और स्वीकार करता हूं!
ब्लॉग लेखन क्या है आपके लिए?
संक्षेप में, यह अनुभव आह्लादक रहा है। अपने प्रशंसकों और शुभेच्छुओं से जुड़ पाना उद्घाटन रहा। इस माध्यम ने बगैर किसी बिचौलिए के मुझे स्वतंत्र संबंध दिया है। इसमें मीडिया से होने वाली भ्रष्ट प्रस्तुति की संभावना नहीं है। इस संबंध से मैंने बहुत कुछ सीखा है। मेरे ब्लॉग पर आने वाले हमारे बीच विकसित हुए व्यक्तिगत समीकरण को महसूस करते हैं और वह बहुत प्रीतिकर है।
आरंभ से ही आपने ब्लॉग का उपयोग खुद पर उठे सवालों के उत्तर देने के लिए किया? क्या कहीं यह मनोभाव रहा कि आपके प्रशंसकों तक आपका मंतव्य दूसरे साधनों से नहीं पहुंच पा रहा है?
दूसरे माध्यम मुझे वह अनन्यता नहीं देते, जो कई बार मैं चाहता हूं। लोगों तक पहुंचने के लिए मैंने उनका इस्तेमाल किया है, लेकिन उन पर मेरी निर्भरता सीमित है। ब्लॉग पर कोई अड़चन नहीं है।
आपने पत्र-पत्रिकाओं को हमेशा उद्धृत किया। कभी किसी की तारीफ की, तो कभी आलोचना भी.. या फिर उन्हें कठघरे में खड़ा किया। क्या कभी हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में ऐसा कुछ नहीं छपा, जो आपको उद्वेलित या प्रसन्न कर पाता?
करता है। मैं उन पर ध्यान देता हूं और सराहना भी करता हूं। मेरे खयाल में आपका सवाल यह इंगित करता है कि मैं अपने ब्लॉग पर हिंदी प्रेस का उल्लेख क्यों नहीं करता! मैं करूंगा, एक बार हिंदी ब्लॉग आकार ले ले। हम लोग अपने ब्लॉग के विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की प्रक्रिया में हैं। हिंदी मैं स्वयं लिखूंगा। जब वह हो जाएगा, तो मैं हिंदी प्रेस को उद्धृत करूंगा, बशर्ते कुछ उद्धृत करने लायक हो!
आपने वादा किया था कि हिंदी में ब्लॉग लिखेंगे, लेकिन साल पूरे होने को आए और अभी तक यह वादा पूरा नहीं हुआ। हां, हिंदी पाठकों का मन रखने के लिए आपने चंद पोस्ट हिंदी में अवश्य लिखी, लेकिन वह पर्याप्त नहीं कहा जा सकता?
जैसा कि मैंने पहले कहा, मैं प्रतीक्षा में हूं कि अनूदित ब्लॉग की प्रक्रिया पूरी हो जाए। उसके बाद हिंदी ब्लॉग भी होगा।
ब्लॉग के माध्यम से हम आपके भाव, व्यथा, प्रसन्नता, व्याकुलता और सोच से परिचित होते रहे हैं। कभी-कभी व्यक्ति अमिताभ बच्चन की मानवीय छटपटाहट का भी अहसास होता है। ऐसा लगता है कि आप देश, समाज और निजी माहौल में संतुष्ट नहीं हैं?
आप बिल्कुल गलत हैं। मैं अपने देश, समाज और निजी माहौल में बहुत संतुष्ट व्यक्ति हूं। परेशान होने वाले मुद्दों पर लिखने का यह मतलब नहीं है कि मैं असंतुष्ट हूं। मैं तो भारतीय होने के नाते अभिव्यक्ति के अपने अधिकार का उपयोग करता हूं और इससे मुझे कोई रोक नहीं सकता।
ब्लॉग के पाठकों को आप अपना विस्तारित परिवार कहते हैं। इस परिवार की बातों और सुझावों पर कितना गौर कर पाते हैं?
मैं उनके व्यक्त विचार और राय पर बहुत गौर करता हूं और उनका आदर भी करता हूं। कई बार मैंने उनके सुझावों को स्वीकार किया है और उन पर अमल भी किया है।
ब्लॉग लेखन में आपकी नियमितता अनुकरणीय है। किसी भी पोस्ट का विषय लैपटॉप खोलने के बाद निश्चित होता है या कोई विषय आपको मथता रहता है और आप उस पर लिखते हैं?
कुछ भी पहले से तय नहीं रहता। लैपटॉप खोलने के बाद लिखता हूं। अगर कोई प्रकाशित इंटरव्यू हो या किसी पर मेरी प्रतिक्रिया हो, तो ब्लॉग से अलग उन्हें लिखता हूं। जैसे कि अभी जो आप को उत्तर दे रहा हूं॥, यह पता चलते ही कि आपने इसे प्रकाशित कर दिया है, मैं इसे अपने ब्लॉग पर डालूंगा।
आपको 144वीं पोस्ट पर सबसे ज्यादा कमेंट्स मिले हैं। यह पोस्ट आपने 9 सितंबर, 2008 को लिखी थी। जया जी की टिप्पणी से उठे विवाद पर आपके स्पष्टीकरण से संबंधित उस पोस्ट का स्थायी महत्व है। छह महीने गुजरने के बाद अब क्या आप उस विवाद के बारे में कुछ नया कहना चाहेंगे?
उस मामले में और कुछ नहीं कहना है। जब मैं बीमार पड़ा था, तो सब से ज्यादा टिप्पणियां आई थीं। वह बहुत प्रीतिकर था। प्रशंसकों का प्यार गहरे छूता है।
आपके ब्लॉग लेखन में किन व्यक्तियों की खास भूमिका रही?
आपके सवाल को मैं समझ नहीं सका। अगर आपका सवाल यह है कि किसने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया, तो मेरा जवाब होगा, कोई नहीं। आप पूछेंगे कि लिखते समय मैं किसे सबसे ज्यादा महत्व देता हूं, तो मैं कहूंगा कि अपने ब्लॉग पर आने वालों को या अपने विस्तारित परिवार को। मैं अपने पिता के लिखे शब्दों और लेखन से प्रेरणा लेता हूं। अगर आपको ऐसा लगता है कि मैं राष्ट्रीय भाषा को पर्याप्त महत्व नहीं देता, तो आप ध्यान दें कि मेरे ब्लॉग पर आने वाला कोई भी पाठक सबसे पहले मेरे पिता की हिंदी कृतियों से लिया गया मूल्यवान उद्धरण पढ़ता है।
आपके ब्लॉग लेखन से अभिव्यक्ति के इस आधुनिक माध्यम के प्रति जागरूकता बढ़ी है। आप ब्लॉग लेखन के भविष्य पर क्या कहेंगे?
मैं विश्लेषक नहीं हूं। ब्लॉगिंग के भविष्य पर मैं कुछ नहीं कह सकता।
ब्लॉग पर लिखी आपकी पंक्तियां जब टीवी और अखबार में सुर्खियों के रूप में इस्तेमाल होती हैं, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
संतुष्टि और विनम्रता का अहसास होता है। मेरी विदग्धता और साहित्यिक गुणवत्ता की तुलना ताकतवर मीडिया से नहीं की जा सकती। अगर मेरा पाठ उन्हें उपयोगी लगता है, तो यह सम्मानसूचक है और उनकी उदारता है।
क्या आपको यह नहीं लगता कि अभिव्यक्ति की इस स्वैच्छिक माध्यम ने आपको मीडिया से दूर किया है?
उल्टा यह मुझे ज्यादा करीब ले आया है। वैसे, मीडिया से दूर रहना पूरी तरह से बुरा सुझाव नहीं है। उनसे न ज्यादा दोस्ती अच्छी, न दुश्मनी!
पिछले दिनों ब्लॉग लेखन पर कोर्ट के फैसले आए। एक ब्लॉग लेखक को अपनी पोस्ट हटानी पड़ी। क्या इस माध्यम पर किसी प्रकार का सरकारी अंकुश उचित है?
देश का नागरिक होने के नाते मैं कानून का पालन करूंगा। अगर कानून प्रतिबंध लगाता है, तो हमें उसका पालन करना चाहिए।
आपके ब्लॉग पर रिड ऐंड टेलर का नाम आता है। इस प्रकार आपकी अभिव्यक्ति व्यावसायिक हो गई। इस स्थिति के सही या गलत होने पर विचार न करें, तो भी इस कदम के बारे में क्या कहेंगे?
हां, रिड ऐंड टेलर का नाम आता है। वह इसलिए आता है, क्योंकि मुख्यपृष्ठ की तस्वीर उनकी है। मैं इसके व्यावसायिक पहलू से अनभिज्ञ हूं। इस सवाल का सही जवाब सर्वर दे सकता है। अगर यह व्यावसायिक है, तो क्या हानि है! ब्लॉग चलाने में सर्वर को कुछ खर्च करना पड़ता होगा। अगर उसे किसी स्रोत से इस मद में धन मिल जाता है, तो मैं कोई हानि नहीं समझता। मुझे अपने ब्लॉग लेखन के पैसे नहीं मिलते और यह जारी है। प्रिंट मीडिया में कई स्तंभ प्रायोजित होते हैं। आप उन पर क्यों नहीं सवाल उठाते? या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से यह सवाल क्यों नहीं पूछते कि वे अपने सारे गेम और रिअॅलिटी शो क्यों प्रायोजित करवाते हैं? या समाचार चैनलों की बात करें, तो उनकी बहस और बातचीत पाठकों और दर्शकों की राय के बगैर पूरी नहीं होती! यह राय मोबाइल फोन से भेजी जाती है और इससे वे पैसे कमाते हैं।
क्या ब्लॉग लेखन को अभिव्यक्ति की साहित्यिक विधा माना जा सकता है? यह भी तो एक प्रकार की डायरी है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। मैं इस योग्य नहीं हूं कि मेरी टिप्पणियों को साहित्य के नजदीक भी समझा जाए और न ही मेरी टिप्पणियों में रोज का ब्यौरा रहता है। यह तो महज प्रशंसकों से मेरी बातचीत है। बस, इसे अतिरिक्त महत्व न दें।
Comments
Thanks,
Jayant
दोनों मिलाकर हुए
बिग बी।
अच्छा लगा।