विश्वास और भावनाओं से मैं भारतीय हूं: अभिषेक बच्चन
-अजय ब्रह्मात्मज
अभिषेक बच्चन की फिल्म 'दिल्ली 6' शुक्रवार को रिलीज हो रही है। यह फिल्म दिल्ली 6 के नाम से मशहूर चांदनी चौक इलाके के जरिए उन मूल्यों और आदर्शो और सपनों की बात करती है, जो कहीं न कहीं भारतीयता की पहचान है। अभिषेक बच्चन से इसी भारतीयता के संदर्भ में हुई बात के कुछ अंश-
आप भारतीयता को कैसे डिफाइन करेंगे?
हमारा देश इतना विशाल और विविध है कि सिर्फ शारीरिक संरचना के आधार पर किसी भारतीय की पहचान नहीं की जा सकती। विश्वास और भावनाओं से हम भारतीय होते हैं। भारतीय अत्यंत भावुक होते हैं। उन्हें अपने राष्ट्र पर गर्व होता है। मुझमें भी ये बातें हैं।
क्या 'दिल्ली 6' के रोशन मेहरा और अभिषेक बच्चन में कोई समानता है?
रोशन मेहरा न्यूयार्क में पला-बढ़ा है। वह कभी भारत नहीं आया। इस फिल्म में वह पहली बार भारत आता है, तो किसी पर्यटक की नजर से ही भारत को देखता है। यहां बहुत सी चीजें वह समझ नहीं पाता, जो शायद आप्रवासी भारतीय या विदेशियों के साथ होता होगा। मैं अपने जीवन के आरंभिक सालों में विदेशों में रहा, इसलिए राकेश मेहरा ने मेरे परसेप्शन को भी फिल्म में डाला। इससे भारत को अलग अंदाज से देखने में मदद मिली।
पढ़ाई के बाद भारत लौटने पर आप की क्या धारणाएं बनी थीं?
मेरे लिए सब कुछ आसान रहा। मैंने कभी भी खुद को देश से अलग नहीं महसूस किया। मेरा दृष्टिकोण अलग था। अलग संस्कृति और माहौल में पलने से वह दृष्टिकोण बना था। पश्चिमी और भारतीय संस्कृति को एक साथ मैं समझ सकता था। मुझे भारत आने पर कभी झटका या बिस्मय नहीं हुआ। सड़क पर गाय बैठे देखना किसी विदेशी के लिए अजीब बात हो सकती है, लेकिन मेरे लिए यह सामान्य बात थी। मेरे मुंह से कभी नहीं निकला कि स्विट्जरलैंड में तो ऐसा नहीं होता।
आपकी पीढ़ी के युवक विदेश भागना चाहते हैं या विदेश में रहना चाहते हैं। आप क्या सोचते हैं?
बाहर रहते हुए तो हमें छुट्टियों का इंतजार रहता था कि घर कब जाएंगे? घर का खाना कब मिलेगा। अपने कमरे के पलंग पर कब सोएंगे। बोर्डिग स्कूल के बच्चे स्कूल पहुंचते ही लौटने के बारे में सोचने लगते हैं। मैं कोई अपवाद नहीं था। आज भी आउटडोर शूटिंग में कुछ दिन गुजरने पर मैं घर लौटना चाहता हूं। छुट्टी मिलने पर परिजनों के साथ घर पर समय बिताता हूं। बचपन से यही ख्वाहिश रही है। मुझे भारत में रहना अच्छा लगता है।
विदेश प्रवास में भारत की किन चीजों की कमी महसूस करते हैं?
घर का सपना, घर के लोग, दोस्त और यहां का माहौल, दुनिया के किसी और देश में ऐसी मेहमाननवाजी नहीं होती। किसी देश के लोगों में ऐसी गर्मजोशी नहीं मिलेगी। पश्चिम के लोग ठंडे और एक-दूसरे से कटे रहते हैं।
घर का सपना, घर के लोग, दोस्त और यहां का माहौल, दुनिया के किसी और देश में ऐसी मेहमाननवाजी नहीं होती। किसी देश के लोगों में ऐसी गर्मजोशी नहीं मिलेगी। पश्चिम के लोग ठंडे और एक-दूसरे से कटे रहते हैं।
एक विकासशील देश में अभिनेता होना कैसी चुनौती या आनंद पेश करता है?
हम जो भी हैं, वह दर्शकों की वजह से हैं। इस दृष्टि से देखें, तो हम जमीन पर रहे। मुझे नहीं लगता कि सड़क पर चल रहे आदमी से मैं किसी मायने में अलग हूं। मैं सुविधा संपन्न या अलग नहीं हूं। मैं खुद को उनके जैसा ही पाता हूं। उन्होंने मुझे स्टार बनाया है। मैं जो हूं वही रहता हूं। लोगों से मिलने या बात करते समय मैं कोई और नहीं होता। लोगों को प्रभावित करने के लिए मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ती।
कहते हैं आप अपनी छवि को लेकर आक्रामक नहीं हैं। आप अपने प्रचार में भी ज्यादा रुचि नहीं लेते?
मैं अपना प्रचार नहीं कर सकता। मैं इसे अच्छा भी नहीं मानता। दर्शक मुझे मेरी फिल्मों से जानते-पहचानते हैं। वे फैसला करते रहते हैं। मीडिया से बातें करते समय मैं बहुत खुश होता हूं। मुझे अपनी रोजमर्रा जिंदगी के बारे में बातें करना अच्छा नहीं लगता। दर्शकों से मेरा रिश्ता अभिनेता होने की वजह से है। उनकी रुचि मेरी फिल्मों में है। मैं अपना बिगुल नहीं बजा सकता। हां, फिल्म आती है, तो जरूर फिल्म के बारे में बातें करता हूं।
Comments
Hemant Kumar
Not above the expectations from Chavanni..