दरअसल:अक्षय, ऐश्वर्या और हेलन की सेवाएं
इस साल अक्षय कुमार, ऐश्वर्या राय बच्चन और हेलन को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। हर साल कुछ फिल्मकारों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। अभी तक देश के 252 व्यक्तियों को पद्मविभूषण, 1033 व्यक्तियों को पद्मभूषण और 2188 व्यक्तियों को पद्मश्री से गौरवान्वित किया गया है। भारत रत्न के बाद केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला यह दूसरा बड़ा नागरिक सम्मान है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने का मतलब है उक्त व्यक्ति ने अपने श्रेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है और अपनी सेवाओं से समाज को लाभ पहुंचाया है।
शीर्षक में मैंने सिर्फ अभिनेता-अभिनेत्रियों के नाम लिखे हैं। इस साल के पद्म पुरस्कारों से गौरवान्वित होने वालों में कुमार सानू, उदित नारायण, पीनाज मसानी और हृदयनाथ मंगेशकर भी हैं। इन सभी का भी फिल्मों से संबंध रहा है। इन दिनों हर पुरस्कार और सम्मान की घोषणा के पहले कयास आरंभ हो जाता है और ऐसा माना जाता है कि सत्ता के गलियारे में कुछ जोड़-तोड़ भी चलता रहता है। सुपौल जिले के उदित नारायण के नाम पर आपत्ति प्रकट की जा रही थी कि वे तो मूल रूप से नेपाली हैं। मालूम नहीं, उनके जन्म-स्थान का संशय कैसे सुलझा? लेकिन उन्हें इस सूची में देखकर खुशी हुई।
अन्य क्षेत्रों के सम्मानित व्यक्तियों पर कभी संशय या आपत्ति नहीं जाहिर होती। केवल फिल्म सितारों की सेवाओं और योगदान पर प्रश्न-चिह्न लगाए जाते हैं। इस बार भी हेलन के नाम पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन अक्षय कुमार और ऐश्वर्या राय के बारे में पूछा जा रहा है कि उनका क्या योगदान है या उनकी सेवाओं से देश का क्या फायदा हुआ। आमतौर पर फिल्म सितारों की लोकप्रियता और कामयाबी को हम उनकी निजी उपलब्धि मान लेते हैं। हम इस तथ्य पर गौर नहीं करते कि वे अपने क्षेत्रों में श्रेष्ठता हासिल करने के दरमियान आम दर्शकों का मनोरंजन भी करते रहे हैं। वे निराश, हताश और उदास दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग में उजास भरते हैं। उनके सपनों को हरा करते हैं और जीवन और संघर्ष के लिए प्रेरित करते हैं।
दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और उनके समकक्ष रहे दूसरी भाषाओं के कलाकारों को सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। सभी कलाकारों ने अपनी भाव-भंगिमाओं, अदाओं और फिल्मों से सालों तक दर्शकों का मनोरंजन किया है। उन्हें हंसने और आनंदित होने के जो खूबसूरत पल दिए हैं, इन पलों की कीमत कोई नहीं लगा सकता। फिल्म कलाकार पर्दे और सार्वजनिक जीवन में अपनी मौजूदगी से हमारे जीवन में रस और आनंद का संचार करते हैं। उन्हें साक्षात देखकर हम रोमांचित हो उठते हैं। उन पर नजर पड़ते ही आनंद का स्फुरण होता है। आनंद के उस पल में हम सभी स्तंभित हो जाते हैं। दो-चार क्षणों के लिए ही सही, हम अपनी सारी तकलीफें भूल जाते हैं और उनकी उपस्थिति से बह रही सकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हैं। यहां तक कि पर्दे पर अपने मनपसंद कलाकारों को गाते-नाचते, रोते-हंसते, लड़ते-झगड़ते, हारते-जीतते देखकर भी हम भाव-विह्वल होते हैं। इस विह्वलता में हमारा दुख कम होता है। फिल्मों के बढ़ते प्रसार और प्रभाव के इस दौर में कलाकार की सेवाओं का दायरा बढ़ गया है। हम उन्हें सिर्फ उपभोग योग्य उत्पादों के प्रचारक के रूप में ही देखते और समझते हैं, लेकिन वहां भी वे इसी कारण प्रभावशाली होते हैं कि हम उन्हें चाहते हैं, पसंद करते हैं और उनकी संस्तुतियों पर भरोसा करते हैं। हम उन्हें अपना समझते हैं। उनसे सीखते हैं और अपने अंदर बदलाव लाते हैं। यह सब अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। समाजशास्त्री अध्ययन और शोधों से बता सकते हैं कि फिल्म स्टार आइकॉन के रूप में कैसे युवा पीढ़ी को प्रेरित और प्रभावित कर रहे हैं। पद्म पुरस्कार एक रूप में फिल्म कलाकारों से समाज को मिल रही प्रेरणा और प्रभाव का रेखांकन है। उनके सामाजिक योगदान को मापने का पैमाना अभी तक विकसित नहीं हुआ है। उनकी सेवाओं को आंकने का आधार क्या होगा..?
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