हरियाणा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल:झटपट सर्वेक्षण - १:पहली फिल्म
दिसंबर के अंत में हरियाणा के प्रथम इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के सिलसिले में यमुनानगर जाने का मौका मिला। इस अवसर का लाभ उठाते हुए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा ले रहे छात्रों के बीच हमने एक झटपट सर्वेक्षण किया। मुख्य रूप से 18 से 22 साल के छात्रों के बीच हमने दस सवाल बांटे। हमें 137 प्रविष्टियां वापस मिलीं।
एक सवाल था कि आपने पहली फिल्म कौन सी देखी? पहली फिल्म के तौर पर छात्रों ने 59 फिल्मों के नाम दिए। जाहिर सी बात है कि पहली फिल्म कोई भी हो सकती थी। साथ में हमने यह भी पूछा था कि पहली फिल्म कहां देखी? टीवी पर, वीडियो के जरिए या सिनेमाघरों में? लगभग 50 फीसदी ने पहली फिल्म टीवी या वीडियो के जरिए देखी। हां, 50 फीसदी से थोड़े कम सिनेमाघरों में गए। इससे पता चलता है कि हरियाणा में सिनेमाघरों में जानेवाले दर्शक पचास प्रतिशत से कम हैं। सिनेमा के विकास के लिहाज से यह संतोषजनक आंकड़ा नहीं कहा जा सकता। इन दिनों मुंबई के निर्माता उत्तर भारतीय समाज के विषयों पर फिल्मों नहीं बना रहे हैं। उसकी एक बड़ी वजह है कि उन्हें उत्तर भारत के सिनेमाघरों से रिटर्न नहीं मिलता। चूंकि मुख्य कमाई मुंबई, दूसरे महानगरों और विदेशों से होती है, इसलिए फिल्मों के विषय उन दर्शकों की रुचि के होते जा रहे हैं। अगर उत्तर भारतीय दर्शक चाहते हैं कि मुंबई के निर्माता उनके समाज पर भी ध्यान दें तो उन्हें सिनेमाघरों में जाकर देखने की आदत डालनी होगी।
137 प्रविष्टियों में से 125 प्रविष्टियां स्पष्ट थीं। इनमें से 40 छात्रों की पहली फिल्म 'हम आपके हैं कौनÓ थी। इसे 3125 प्रतिशत ने देखा। कोई भी पॉपुलर फिल्म ज्यादा से दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचती है। 'हम आपके हैं कौनÓ 1994 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने पूरे भारत के दर्शकों को सम्मोहित किया था। पापुलर फिल्म के दर्शक झुंड में सिनेमाघरों में जाते हैं। ऐसी फिल्मों को दर्शक सपरिवार भी देखते हैं। संभव है आज से 18-20 साल के बाद कोई सर्वेक्षण 18-20 साल के छात्रों के बीच किया जाए तो उनकी पहली फिल्म 'जोधा अकबर', 'रब ने बना दी जोड़ी', 'गजनी' या 'सिंह इज किंग' हो। बहरहाल, सूरज बडज़ात्या के लिए यह खुशी की बात होगी कि उनकी फिल्म ने एक पीढ़ी को सिनेमा से जोड़ा। अगली पोस्ट में हम बताएंगे कि उन्हें इस फिल्म में किस बात ने प्रभावित किया?
आइए, अब जरा उन फिल्मों की सूची देखें जो इस सर्वेक्षण में शामिल छात्रों की पहली फिल्म रहीं। विदेशी फिल्मों में केवल टाइटैनिक और जुरासिक पार्क पहली फिल्म रही।
बिच्छू, सफर, तिरंगा, स्वदेस, अंदाज अपना अपना, जुरासिक पार्क, बूट पालिश, रंगीला, आग का गोला, जैसी करनी वैसी भरनी, कहानी घर घर की, कायापलट, कयामत से कयामत तक, लहू के दो रंग, गाइड, कर्ज, शहीद, गोलमाल, गदर, लगे रहे मुन्ना भाई, अवतार, प्यार झुकता नहीं, राम लखन, आशिकी, टाइटैनिक, चाची 420, जंजीर, दीवार, कुछ तुम कहो कुछ हम कहें, बाजीगर, मैं हूं ना, दिल तो पागल है, अंगरक्षक, प्रेम दीवाने, एलओसी, डाकू हसीना, सीता और गीता, गांधी, जय संतोषी मां, मिस्टर इंडिया, आवारा, दूध का कर्ज, मृगया, मैंने प्यार किया और माचिस ... इन फिल्मों की अकेली प्रविष्ट रही।
दो प्रविष्टियों की फिल्मों में तेरी मेहरबानियां, राम तेरी गंगा मैली, मदर इंडिया, कुछ कुछ होता है, हम है राही प्यार के और चंद्रावल हरियाणवी रहीं।
तीन प्रविष्टयों की फिल्मों में क्रांति, राजा हिंदुस्तानी रहीं।
बॉर्डर और दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे को पांच प्रविष्टियां मिलीं।
हां, शोले को सात प्रविष्टयां मिलीं।
आप पहली फिल्म की सूची पर गौर करें तो शाहरुख खान की फिल्में ज्यादा छात्रों ने देखीं। सलमान खान हम आपके हैं कौन की वजह से नंबर वन पसंद कहे जा सकते हैं। आमिर खान तीसरी पसंद रहे।
एक सवाल था कि आपने पहली फिल्म कौन सी देखी? पहली फिल्म के तौर पर छात्रों ने 59 फिल्मों के नाम दिए। जाहिर सी बात है कि पहली फिल्म कोई भी हो सकती थी। साथ में हमने यह भी पूछा था कि पहली फिल्म कहां देखी? टीवी पर, वीडियो के जरिए या सिनेमाघरों में? लगभग 50 फीसदी ने पहली फिल्म टीवी या वीडियो के जरिए देखी। हां, 50 फीसदी से थोड़े कम सिनेमाघरों में गए। इससे पता चलता है कि हरियाणा में सिनेमाघरों में जानेवाले दर्शक पचास प्रतिशत से कम हैं। सिनेमा के विकास के लिहाज से यह संतोषजनक आंकड़ा नहीं कहा जा सकता। इन दिनों मुंबई के निर्माता उत्तर भारतीय समाज के विषयों पर फिल्मों नहीं बना रहे हैं। उसकी एक बड़ी वजह है कि उन्हें उत्तर भारत के सिनेमाघरों से रिटर्न नहीं मिलता। चूंकि मुख्य कमाई मुंबई, दूसरे महानगरों और विदेशों से होती है, इसलिए फिल्मों के विषय उन दर्शकों की रुचि के होते जा रहे हैं। अगर उत्तर भारतीय दर्शक चाहते हैं कि मुंबई के निर्माता उनके समाज पर भी ध्यान दें तो उन्हें सिनेमाघरों में जाकर देखने की आदत डालनी होगी।
137 प्रविष्टियों में से 125 प्रविष्टियां स्पष्ट थीं। इनमें से 40 छात्रों की पहली फिल्म 'हम आपके हैं कौनÓ थी। इसे 3125 प्रतिशत ने देखा। कोई भी पॉपुलर फिल्म ज्यादा से दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचती है। 'हम आपके हैं कौनÓ 1994 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने पूरे भारत के दर्शकों को सम्मोहित किया था। पापुलर फिल्म के दर्शक झुंड में सिनेमाघरों में जाते हैं। ऐसी फिल्मों को दर्शक सपरिवार भी देखते हैं। संभव है आज से 18-20 साल के बाद कोई सर्वेक्षण 18-20 साल के छात्रों के बीच किया जाए तो उनकी पहली फिल्म 'जोधा अकबर', 'रब ने बना दी जोड़ी', 'गजनी' या 'सिंह इज किंग' हो। बहरहाल, सूरज बडज़ात्या के लिए यह खुशी की बात होगी कि उनकी फिल्म ने एक पीढ़ी को सिनेमा से जोड़ा। अगली पोस्ट में हम बताएंगे कि उन्हें इस फिल्म में किस बात ने प्रभावित किया?
आइए, अब जरा उन फिल्मों की सूची देखें जो इस सर्वेक्षण में शामिल छात्रों की पहली फिल्म रहीं। विदेशी फिल्मों में केवल टाइटैनिक और जुरासिक पार्क पहली फिल्म रही।
बिच्छू, सफर, तिरंगा, स्वदेस, अंदाज अपना अपना, जुरासिक पार्क, बूट पालिश, रंगीला, आग का गोला, जैसी करनी वैसी भरनी, कहानी घर घर की, कायापलट, कयामत से कयामत तक, लहू के दो रंग, गाइड, कर्ज, शहीद, गोलमाल, गदर, लगे रहे मुन्ना भाई, अवतार, प्यार झुकता नहीं, राम लखन, आशिकी, टाइटैनिक, चाची 420, जंजीर, दीवार, कुछ तुम कहो कुछ हम कहें, बाजीगर, मैं हूं ना, दिल तो पागल है, अंगरक्षक, प्रेम दीवाने, एलओसी, डाकू हसीना, सीता और गीता, गांधी, जय संतोषी मां, मिस्टर इंडिया, आवारा, दूध का कर्ज, मृगया, मैंने प्यार किया और माचिस ... इन फिल्मों की अकेली प्रविष्ट रही।
दो प्रविष्टियों की फिल्मों में तेरी मेहरबानियां, राम तेरी गंगा मैली, मदर इंडिया, कुछ कुछ होता है, हम है राही प्यार के और चंद्रावल हरियाणवी रहीं।
तीन प्रविष्टयों की फिल्मों में क्रांति, राजा हिंदुस्तानी रहीं।
बॉर्डर और दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे को पांच प्रविष्टियां मिलीं।
हां, शोले को सात प्रविष्टयां मिलीं।
आप पहली फिल्म की सूची पर गौर करें तो शाहरुख खान की फिल्में ज्यादा छात्रों ने देखीं। सलमान खान हम आपके हैं कौन की वजह से नंबर वन पसंद कहे जा सकते हैं। आमिर खान तीसरी पसंद रहे।
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मायके की यह यात्रा करवाने के लिए आपको धन्यवाद।