अब बतियाए होत क्या जब दर्शक हो गए लेट

१२ दिसम्बर को 'रब ने बन दी जोड़ी' रिलीज हुई.कहा जा रहा था कि बॉक्स ऑफिस पर चल रही उदासी खुशी में बदलेगी.यशराज का बैनर,आदित्य चोपड़ा का निर्देशन और शाहरुख़ खान के होने की वजह से यह उम्मीद सही थी.लेकिन हुआ क्या?
फ़िल्म ने ७० से ८०% का व्यापार किया,जो इन दिग्गजों की फ़िल्म के लिए शर्मनाक है। हालाँकि चापलूस ट्रेड विशेषज्ञ इसही बड़ा कलेक्शन बता रहे हैं। अब समझाया जा रहा है कि चूंकि फ़िल्म की लगत ज्यादा नहीं है,इसलिए यशराज की अच्छी कमाई होगी.उनके इस कयास में खास दम नहीं है.देश भर के अखबार और ब्लॉग लिखने वाले उत्साही यशराज की विज्ञप्ति को सच मान कर 'रब ने बना दी जोड़ी' को हिट बता रहे है. अभी कोई नहीं पूछ रहा है कि शाहरुख़ ब्रांड की कीमत कैसे गिर गई?


दूसरी तरफ़ यशराज हमेशा कि तरह इस मुगालते में रहे कि उनकी फ़िल्म तो लोग देखने आयेंगे ही.उन्होंने फ़िल्म के प्रचार पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.शाहरुख़ खान ने चाँद अंग्रेज़ी पत्रकारों से बात की और चैनलों पर शेखी बघारते रहे.उन्होंने फ़िल्म से ज्यादा अपनी बात की.शाहरुख़ खान को मालूम नहीं है कि आजकल दर्शक उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती.अगर आप दर्शकों के पास नहीं पहुंचेगें तो दर्शक सिनेमाघर कैसे आयेंगे?अब वोह ज़माना नहीं रहा कि दर्शक स्टार के दम पर कींचे चले आयेंगे.यह जादू फिलहाल सिर्फ़ सलमान खान में हैं.आप देखें कि आमिर कितनी म्हणत कर रहे हैं.बाल,बॉडी और न जाने क्या-क्या चीजों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.


फ़िल्म रिलीज़ होने के चार दिनों के बाद यशराज को सुधि आई कि फ़िल्म की हीरोइन से मीडिया की मुलाक़ात करवाई जाए.यहाँ शाहरुख़ खान उन्हें लेकर आए और बताया गया कि शाहरुख़ मीडिया के सामने अनुष्का का घूंघट (unveiled) उठा रहे हैं। फिल्में मौखिक प्रचार से तभी दर्शकों को खींच पति हैं,जब फिल्मों में दम हो और दर्शकों को फ़िल्म अच्छी लग रही हो। 'रब ने बना दी जोड़ी' दर्शकों को ख़ास पसंद नहीं आई है.युवा दर्शक तो बेतरह निराश हैं। उन्हें लगता है कि आज के ज़माने में कोई ऐसी फ़िल्म की कल्पना कैसे कर सकता है।

अगर यकीन करें तो इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट सिर्फ़ १८ दिनों में लिखी गई थी.आत्मविश्वास का मतलब आत्महत्या नहीं है.आदित्य चोपड़ा को यह समझना चाहिए.यशराज की अगली फ़िल्म का निदेशन यश चोपड़ा करेंगे.उसके पहले अनुराग सिंह,शिमित अमीन और कबीर खान की फिल्में आएँगी.

Comments

मुझे याद नहीं पढता की हाल के वर्षों में मैंने इतनी धीमी गति की बे सर पैर की कोई फ़िल्म देखी हो....शाहरुख़ अपने दोनों रूप में निराश करते हैं...कहानी तो लगता है पी के लिखी गयी है क्यूँ की होश में रह कर कोई ऐसी कहानी नहीं लिख सकता...संगीत एक आध गाने को छोड़ कर बेकार है...बहुत सारी हिरोइन को लेकर तैयार किया गाना बकवास है हाँ प्रस्तुतीकरण बहुत अच्छा है...कुल मिला कर फ़िल्म निराश ही नहीं बहुत निराश करती है...
नीरज
आपने यह सच्ची जानकारी दी इसके लिए आपको धन्यवाद। नहीं तो अभी रात में ही मैं यह स्क्रिप्ट पढ़कर 'रब ने बना दी जोड़ी' के सम्बन्ध में लगभग मुगालते में था, हालांकि यह फिल्म मैंने नहीं देखी है। स्क्रिप्ट कुछ इस प्रकार है---

वीओ1--- रब ने बना दी जोड़ी पर अब रब भी है मेहरबान... आदित्य चोपड़ा की फिल्म रब ने बना दी जोड़ी को दर्शकों से मिल रहा है जबरदस्त रिस्पान्स। मिस्टर साहनी और तानी का किरदार हर किसी की जुबान पर है। हर कोई शाहरुख के इस नये लुक को देखना चाहता है। रब ने बना दी जोड़ी 12 दिसम्बर को रिलीज हुई और रिलीज होने के पहले दिन से ही बाक्स ऑफिस पर कर लिया कब्जा। फिल्म रिलीज होने के पहले हफ्ते में ही दुनियाभर में 90 करोड़ का बिजनेस कर चुकी है जो तकरीबन ओम शांति ओम और सिंह इज किंग जैसी हिट फिल्मों के बराबर है और कई जगहों पर इससे भी ज्यादा है। रब ने बना दी जोड़ी ने यशराज बैनर की अब तक की सभी फिल्मों के पहले हफ्ते के सभी रिकार्ड्स तोड़ दिये हैं.... आदि...आदि। (घिसी-पिटी स्टाइल, भाषा और तथ्य)

आगे विदेशों में भी इसके 20 करोड़ रुपये के बिजनेस करने की बात दर्शकों को बताई गई है। लेकिन अब आप सच्चाई कुछ और बता रहे हैं। हालांकि हिट और अच्छी फिल्म के क्या मानदण्ड हैं मैं नहीं जानता। लेकिन ओम शान्ति ओम और सिंह इज किंग में मुझे कुछ ऐसा नहीं लगा कि इन्हें अच्छी फिल्म कहा जा सके। सच है कि मीडिया प्रभुत्व के इस समय में प्रचार की बहुत अहमियत है। यह सत्य को असत्य और असत्य को सत्य बना देता है।

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को