कैफियत कैटरीना कैफ की
रफ्ता-रफ्ता ये हुआ कैफ-ए-तसव्वुर का असर, दिल के आईने में तस्वीर उतर आई है.. किसी शायर की ये पंक्तियां आज ही हॉट अभिनेत्री कैटरीना कैफ की तारीफ में जरूर नहीं लिखी गई हैं, लेकिन उनकी कैफियत का नजारा इससे जरूर मिल जाता है। कैफ का सीधा अर्थ है आनंद और नशा। कैटरीना में ये दोनों ही खूबियां हैं।
अब यदि यह कहें कि वे दर्शकों को मदहोश करने के साथ ही आनंदित भी करती हैं, तो शायद गलत नहीं होगा। यही वजह है कि कश्मीरी पिता और ब्रितानी मां की यह लाडली महज अपनी खूबसूरती से हिंदी फिल्मों के करोड़ों दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं। अगर अदाकारी और टैलेंट के तराजू पर कैटरीना को तौलें, तो उनका वजन सिफर से ज्यादा नहीं होगा! फिर क्या वजह है कि वे करोड़ों दर्शकों के दिलों की मल्लिका बनी हुई हैं? कुछ बात तो जरूर होगी कि उनका नशा दर्शकों और निर्देशकों दोनों के सिर चढ़ कर बोल रहा है।
हमने कैटरीना कैफ के साथ काम कर चुके निर्देशकों और कलाकारों से इस बारे में बात की। उनकी फिल्मों की रिलीज के दौरान हुई मुलाकातों में जानना चाहा कि वे क्यों अपनी फिल्मों में कैटरीना को रखते हैं और उनकी कामयाबी का राज क्या है? कैटरीना से भी जानना चाहा कि वे कैसे सभी निर्माताओं के लिए लकी मैस्कॉट बनी हुई हैं! खुद कैटरीना हैरान हैं अपनी कामयाबी से। वे बड़े सहज अंदाज में कहती हैं कि मुझे निर्माताओं का लकी मैस्कॉट मान लेना ठीक नहीं है, क्योंकि फिल्में सभी के सहयोग से बनती हैं। निर्देशक, ऐक्टर, म्यूजिक, फोटोग्राफी, टाइमिंग और सबसे ऊपर ऑडियंस के कंट्रीब्यूशन से फिल्में कामयाब होती हैं। फिल्म एंटरटेनिंग हो, तो वे दर्शकों को जरूर पसंद आती हैं।
वैसे, कैटरीना के बारे में एक सच कुबूल करना ही होगा कि वे मेहनती और लगनशील हैं। बूम की रिलीज के बाद सभी ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। कुछ लोगों ने उन्हें काठ की गुडि़या भी कहा था। हिंदी न बोल पाने को उनकी सबसे बड़ी खामी बताते हुए कहा गया कि इस लड़की का हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कोई भविष्य नहीं है। इन बातों में दम तो था ही, क्योंकि हिंदी फिल्म की किसी हीरोइन को यदि हिंदी बोलना न आए, तो उसका भविष्य क्या होगा? दर्शकों को यह बात अजीब-सी लग सकती है, लेकिन कामयाबी के लिए हिंदी में महारत हासिल होना जरूरी नहीं है। कैटरीना से पहले श्रीदेवी ने भी हिंदी फिल्मों में बगैर हिंदी बोले लोकप्रियता की ऊंचाई देखी। पूरी तरह से मुंबई में बस जाने के बाद भी उनकी हिंदी में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। पहले की बहुत-सी दक्षिण भारतीय हीरोइनों को भी सही तरह से हिंदी बोलना नहीं आता था, लेकिन वे पसंद की गई।
गैर हिंदी भाषी कलाकारों की हम क्या बात करें? इन दिनों फिल्मी परिवारों से आए स्टारों को भी ठीक से हिंदी नहीं आती। अमिताभ बच्चन कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। इसके बावजूद वे सभी पॉपुलर हैं। गौर करें, तो इधर की हिंदी फिल्मों में संवाद और संवाद-अदायगी पर ज्यादा जोर नहीं रहता। हाल-फिलहाल में कोई फिल्म सिर्फ संवाद की वजह से कामयाब नहीं हुई और न ही कोई कलाकार डायलॉगबाजी की वजह से पॉपुलर हुआ है!
बहरहाल, कैटरीना पॉपुलर हैं और फिल्म युवराज के फ्लॉप होने के बावजूद निर्माता-निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेना चाहते हैं। उनके साथ काम कर चुके निर्देशक ने कहा कि बाकी ऐक्ट्रेस की तरह उनके नखरे नहीं हैं। उन्हें जो भी करने के लिए कहा जाता है, वे कर देती हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वे निर्देशक की हर बात मानती हैं। कभी कोई सवाल नहीं करतीं। इससे फिल्म का फ्रेम और मेकिंग नहीं बिगड़ती। इन गुणों के साथ ही वे बहुत सुंदर भी हैं। कैटरीना की सुंदरता के सभी कायल हैं। कैमरामैन को भी अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती और न ही किसी खूबसूरत ऐंगल की जरूरत पड़ती है। वे किसी भी ऐंगल से शूट करें, कैटरीना हर ऐंगल से सुंदर लगती हैं। उनकी इसी सुंदरता को सुभाष घई ने युवराज में रखा, लेकिन वे बाकी मसाले रखना भूल गए।
अधिकांश फिल्मों में कैटरीना के हीरो रहे अक्षय कुमार कहते हैं कि मैं कैटरीना का लगातार ग्रोथ देख रहा हूं। उनमें सीखने का जज्बा है। वे अपनी कमी को कमजोरी नहीं बनने देतीं। वे कोशिश करती हैं और कहते हैं न कि कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती। वे अभी और ऊंचाइयों तक जाएंगी।
अब यदि यह कहें कि वे दर्शकों को मदहोश करने के साथ ही आनंदित भी करती हैं, तो शायद गलत नहीं होगा। यही वजह है कि कश्मीरी पिता और ब्रितानी मां की यह लाडली महज अपनी खूबसूरती से हिंदी फिल्मों के करोड़ों दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं। अगर अदाकारी और टैलेंट के तराजू पर कैटरीना को तौलें, तो उनका वजन सिफर से ज्यादा नहीं होगा! फिर क्या वजह है कि वे करोड़ों दर्शकों के दिलों की मल्लिका बनी हुई हैं? कुछ बात तो जरूर होगी कि उनका नशा दर्शकों और निर्देशकों दोनों के सिर चढ़ कर बोल रहा है।
हमने कैटरीना कैफ के साथ काम कर चुके निर्देशकों और कलाकारों से इस बारे में बात की। उनकी फिल्मों की रिलीज के दौरान हुई मुलाकातों में जानना चाहा कि वे क्यों अपनी फिल्मों में कैटरीना को रखते हैं और उनकी कामयाबी का राज क्या है? कैटरीना से भी जानना चाहा कि वे कैसे सभी निर्माताओं के लिए लकी मैस्कॉट बनी हुई हैं! खुद कैटरीना हैरान हैं अपनी कामयाबी से। वे बड़े सहज अंदाज में कहती हैं कि मुझे निर्माताओं का लकी मैस्कॉट मान लेना ठीक नहीं है, क्योंकि फिल्में सभी के सहयोग से बनती हैं। निर्देशक, ऐक्टर, म्यूजिक, फोटोग्राफी, टाइमिंग और सबसे ऊपर ऑडियंस के कंट्रीब्यूशन से फिल्में कामयाब होती हैं। फिल्म एंटरटेनिंग हो, तो वे दर्शकों को जरूर पसंद आती हैं।
वैसे, कैटरीना के बारे में एक सच कुबूल करना ही होगा कि वे मेहनती और लगनशील हैं। बूम की रिलीज के बाद सभी ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। कुछ लोगों ने उन्हें काठ की गुडि़या भी कहा था। हिंदी न बोल पाने को उनकी सबसे बड़ी खामी बताते हुए कहा गया कि इस लड़की का हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कोई भविष्य नहीं है। इन बातों में दम तो था ही, क्योंकि हिंदी फिल्म की किसी हीरोइन को यदि हिंदी बोलना न आए, तो उसका भविष्य क्या होगा? दर्शकों को यह बात अजीब-सी लग सकती है, लेकिन कामयाबी के लिए हिंदी में महारत हासिल होना जरूरी नहीं है। कैटरीना से पहले श्रीदेवी ने भी हिंदी फिल्मों में बगैर हिंदी बोले लोकप्रियता की ऊंचाई देखी। पूरी तरह से मुंबई में बस जाने के बाद भी उनकी हिंदी में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। पहले की बहुत-सी दक्षिण भारतीय हीरोइनों को भी सही तरह से हिंदी बोलना नहीं आता था, लेकिन वे पसंद की गई।
गैर हिंदी भाषी कलाकारों की हम क्या बात करें? इन दिनों फिल्मी परिवारों से आए स्टारों को भी ठीक से हिंदी नहीं आती। अमिताभ बच्चन कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। इसके बावजूद वे सभी पॉपुलर हैं। गौर करें, तो इधर की हिंदी फिल्मों में संवाद और संवाद-अदायगी पर ज्यादा जोर नहीं रहता। हाल-फिलहाल में कोई फिल्म सिर्फ संवाद की वजह से कामयाब नहीं हुई और न ही कोई कलाकार डायलॉगबाजी की वजह से पॉपुलर हुआ है!
बहरहाल, कैटरीना पॉपुलर हैं और फिल्म युवराज के फ्लॉप होने के बावजूद निर्माता-निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेना चाहते हैं। उनके साथ काम कर चुके निर्देशक ने कहा कि बाकी ऐक्ट्रेस की तरह उनके नखरे नहीं हैं। उन्हें जो भी करने के लिए कहा जाता है, वे कर देती हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वे निर्देशक की हर बात मानती हैं। कभी कोई सवाल नहीं करतीं। इससे फिल्म का फ्रेम और मेकिंग नहीं बिगड़ती। इन गुणों के साथ ही वे बहुत सुंदर भी हैं। कैटरीना की सुंदरता के सभी कायल हैं। कैमरामैन को भी अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती और न ही किसी खूबसूरत ऐंगल की जरूरत पड़ती है। वे किसी भी ऐंगल से शूट करें, कैटरीना हर ऐंगल से सुंदर लगती हैं। उनकी इसी सुंदरता को सुभाष घई ने युवराज में रखा, लेकिन वे बाकी मसाले रखना भूल गए।
अधिकांश फिल्मों में कैटरीना के हीरो रहे अक्षय कुमार कहते हैं कि मैं कैटरीना का लगातार ग्रोथ देख रहा हूं। उनमें सीखने का जज्बा है। वे अपनी कमी को कमजोरी नहीं बनने देतीं। वे कोशिश करती हैं और कहते हैं न कि कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती। वे अभी और ऊंचाइयों तक जाएंगी।
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