जन्मदिन विशेष:प्रियजनों को नाराज़ नहीं कर सकतीं ऐश्वर्या राय
-अजय ब्रह्मात्मज
जन्मदिन 1 नवंबर पर विशेष..
इंटरनेशनल पहचान वाली ऐश्वर्या राय हिंदी फिल्मों की पॉपुलर हीरोइन होने के साथ ही खूबसूरती की इंटरनेशनल आइकॉन भी हैं। माना जाता है कि नाम, इज्जत और धन पाने के बाद व्यक्ति डगमगा जाता है। उसका दिमाग सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। ऐसे व्यक्तियों का जीवन दुख में बीतता है। ऐश्वर्या राय की खिलखिलाहट उनकी मौजूदगी की आहट देती है। करीब से देख रहे लोग मानेंगे कि जिंदगी और करियर के उतार-चढ़ाव के बावजूद उनके व्यक्तित्व में निरंतर निखार आया है। एक आशंका थी कि बच्चन परिवार में आने के बाद उनकी खिलखिलाहट की खनक खो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आज भी वे भोर की उजास की तरह मुग्ध करती हैं। अपनी हंसी से लोगों का मन शीतल करती हैं। कह सकते हैं कि उनकी खिलखिलाहट की खनक बढ़ी है।
वृंदा राय और कृष्णराज राय की बेटी हैं ऐश्वर्या राय। मध्यवर्गीय परिवार की परवरिश और आरंभिक हिंदी मीडियम की पढ़ाई ने उनके व्यक्तित्व को गढ़ा है। हाल ही में सभी ने देखा कि वे अपने पिता की सेवा के लिए हिंदुजा अस्पताल में नजर आई, तो श्वसुर के लिए मायके से सूप बनाकर ले गई। उन्होंने बेटी और बहू का दायित्व समान भाव से निभाया। हमेशा चर्चा में रहने के बावजूद ऐश्वर्या राय ने मां-पिता को पूरा सम्मान दिया है और किसी भी समारोह में स्वयं आकर्षण का केंद्र होने पर भी उन्होंने उनकी सुविधाओं का ध्यान रखा। मायके से मिले संस्कार बच्चन परिवार में आने के बाद और मजबूत हुए। ऐसा सौभाग्य कम लड़कियों को मिलता है कि ससुराल में मायके के प्यार और व्यवहार का विस्तार मिल जाए। ऐश्वर्या राय कहती हैं, मुझे कोई फर्क ही नहीं महसूस होता! अभिषेक और हम हमेशा कहते हैं कि हमें दो मां-पिता मिल गए हैं। यहां मां और पिताजी दोनों ही मेरा बहुत ज्यादा खयाल रखते हैं। पिताजी ने तो लिखा भी है कि मैं उनकी बेटी की तरह हूं। श्वेता दीदी और मुझमें उन्होंने कोई अंतर नहीं रखा है।
मैं जिस परिवार से आई और जिस परिवार में मेरी शादी हुई, दोनों लगभग एक जैसे हैं। दोनों परिवारों में कई समानताएं हैं। मायके से ससुराल आई किसी लड़की के लिए यह बहुत बड़ा सौभाग्य होता है। ऊपरी तौर पर कुछ भी नहीं बदला है। एक भीतरी बदलाव जरूर आता है। सोच और चिंता का दायरा बड़ा हो जाता है। पहले मैं ऐश्वर्या राय जैसी बात दिमाग में रखती थी। अब हम पर जोर रहता है। ऐश्वर्या राय शादी को जिंदगी का बेहद खूबसूरत अनुभव मानती हैं। हर लड़की को इस अनुभव से गुजरना चाहिए, क्योंकि इसके बगैर कोई लड़की खुद को अच्छी तरह समझने का दावा ही नहीं कर सकती। वे कहती हैं, अपनी जिंदगी और रिश्तों को हम अलग नजरिए से देखना सीखते हैं। मायका कभी नहीं छूटता। मेरी राय में ससुराल आने के बाद मायके से संबंध ज्यादा गहरे और मजबूत हो जाते हैं। यह दोतरफा होता है। हम मां-पिताजी के बारे में सोचने लगते हैं और वे हमारे प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
ऐश्वर्या को इस बात का अहसास है कि वे जिस पेशे में हैं, वहां लगातार उंगलियां उठती रहेंगी। वे कहती हैं, हमारा प्रोफेशन ही ऐसा है। शादी के बाद से ही कुछ लोग भविष्यवाणियां कर रहे हैं। मैं काम कर रही हूं, तो लोगों को शिकायत है। अगर काम बंद कर दूं, तो और भी उल्टा-सीधा लिखा जाएगा। इतना ही नहीं, मेरे और अभिषेक के बारे में तरह-तरह की बातें होती रहती हैं। आगे चलकर कोई बड़ा स्कैंडल भी हो सकता है। ऐश्वर्या राय की लोकप्रियता और उनकी इंटरनेशनल पहचान से अभिषेक बच्चन खुश रहते हैं। वे कहते हैं, मैं इन बातों पर सोचता भी नहीं। हालांकि मीडिया में लोग लिखते रहते हैं और मानते हैं कि मुझ पर दबाव होगा। सच तो यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐश्वर्या अपने करियर के फैसले खुद लेती हैं, लेकिन एक परिवार का सदस्य होने के नाते हम सारी बातें शेयर करते हैं और कई बार फैसले लेने के पहले दूसरे की राय भी लेते हैं।
बच्चन परिवार और खुद के बारे में ऐश्वर्या राय कहती हैं, हम सभी रिलैक्स्ड इंडिविजुअल हैं। एक-दूसरे की परवाह करते हैं, लेकिन अपना काम भी साथ ही साथ करते हैं। मुझे मालूम है कि मैं फिल्म स्टार होने के साथ ही बेटी, बीवी और बहू भी हूं। दोनों परिवारों से मुझे जो मूल्य और संस्कार मिले हैं, उन्हें मैं जीवन का अनमोल उपहार मानती हूं। हम सभी का निजी व्यक्तित्व है। मुझे अपने काम से बेहद प्यार है, लेकिन अपने प्रियजनों को नाराज कर मैं कुछ भी नहीं कर सकती। हमेशा यह खयाल रहता है कि हमारे काम और व्यवहार से दूसरों की भावना आहत न हो।
जन्मदिन 1 नवंबर पर विशेष..
इंटरनेशनल पहचान वाली ऐश्वर्या राय हिंदी फिल्मों की पॉपुलर हीरोइन होने के साथ ही खूबसूरती की इंटरनेशनल आइकॉन भी हैं। माना जाता है कि नाम, इज्जत और धन पाने के बाद व्यक्ति डगमगा जाता है। उसका दिमाग सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। ऐसे व्यक्तियों का जीवन दुख में बीतता है। ऐश्वर्या राय की खिलखिलाहट उनकी मौजूदगी की आहट देती है। करीब से देख रहे लोग मानेंगे कि जिंदगी और करियर के उतार-चढ़ाव के बावजूद उनके व्यक्तित्व में निरंतर निखार आया है। एक आशंका थी कि बच्चन परिवार में आने के बाद उनकी खिलखिलाहट की खनक खो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आज भी वे भोर की उजास की तरह मुग्ध करती हैं। अपनी हंसी से लोगों का मन शीतल करती हैं। कह सकते हैं कि उनकी खिलखिलाहट की खनक बढ़ी है।
वृंदा राय और कृष्णराज राय की बेटी हैं ऐश्वर्या राय। मध्यवर्गीय परिवार की परवरिश और आरंभिक हिंदी मीडियम की पढ़ाई ने उनके व्यक्तित्व को गढ़ा है। हाल ही में सभी ने देखा कि वे अपने पिता की सेवा के लिए हिंदुजा अस्पताल में नजर आई, तो श्वसुर के लिए मायके से सूप बनाकर ले गई। उन्होंने बेटी और बहू का दायित्व समान भाव से निभाया। हमेशा चर्चा में रहने के बावजूद ऐश्वर्या राय ने मां-पिता को पूरा सम्मान दिया है और किसी भी समारोह में स्वयं आकर्षण का केंद्र होने पर भी उन्होंने उनकी सुविधाओं का ध्यान रखा। मायके से मिले संस्कार बच्चन परिवार में आने के बाद और मजबूत हुए। ऐसा सौभाग्य कम लड़कियों को मिलता है कि ससुराल में मायके के प्यार और व्यवहार का विस्तार मिल जाए। ऐश्वर्या राय कहती हैं, मुझे कोई फर्क ही नहीं महसूस होता! अभिषेक और हम हमेशा कहते हैं कि हमें दो मां-पिता मिल गए हैं। यहां मां और पिताजी दोनों ही मेरा बहुत ज्यादा खयाल रखते हैं। पिताजी ने तो लिखा भी है कि मैं उनकी बेटी की तरह हूं। श्वेता दीदी और मुझमें उन्होंने कोई अंतर नहीं रखा है।
मैं जिस परिवार से आई और जिस परिवार में मेरी शादी हुई, दोनों लगभग एक जैसे हैं। दोनों परिवारों में कई समानताएं हैं। मायके से ससुराल आई किसी लड़की के लिए यह बहुत बड़ा सौभाग्य होता है। ऊपरी तौर पर कुछ भी नहीं बदला है। एक भीतरी बदलाव जरूर आता है। सोच और चिंता का दायरा बड़ा हो जाता है। पहले मैं ऐश्वर्या राय जैसी बात दिमाग में रखती थी। अब हम पर जोर रहता है। ऐश्वर्या राय शादी को जिंदगी का बेहद खूबसूरत अनुभव मानती हैं। हर लड़की को इस अनुभव से गुजरना चाहिए, क्योंकि इसके बगैर कोई लड़की खुद को अच्छी तरह समझने का दावा ही नहीं कर सकती। वे कहती हैं, अपनी जिंदगी और रिश्तों को हम अलग नजरिए से देखना सीखते हैं। मायका कभी नहीं छूटता। मेरी राय में ससुराल आने के बाद मायके से संबंध ज्यादा गहरे और मजबूत हो जाते हैं। यह दोतरफा होता है। हम मां-पिताजी के बारे में सोचने लगते हैं और वे हमारे प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
ऐश्वर्या को इस बात का अहसास है कि वे जिस पेशे में हैं, वहां लगातार उंगलियां उठती रहेंगी। वे कहती हैं, हमारा प्रोफेशन ही ऐसा है। शादी के बाद से ही कुछ लोग भविष्यवाणियां कर रहे हैं। मैं काम कर रही हूं, तो लोगों को शिकायत है। अगर काम बंद कर दूं, तो और भी उल्टा-सीधा लिखा जाएगा। इतना ही नहीं, मेरे और अभिषेक के बारे में तरह-तरह की बातें होती रहती हैं। आगे चलकर कोई बड़ा स्कैंडल भी हो सकता है। ऐश्वर्या राय की लोकप्रियता और उनकी इंटरनेशनल पहचान से अभिषेक बच्चन खुश रहते हैं। वे कहते हैं, मैं इन बातों पर सोचता भी नहीं। हालांकि मीडिया में लोग लिखते रहते हैं और मानते हैं कि मुझ पर दबाव होगा। सच तो यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐश्वर्या अपने करियर के फैसले खुद लेती हैं, लेकिन एक परिवार का सदस्य होने के नाते हम सारी बातें शेयर करते हैं और कई बार फैसले लेने के पहले दूसरे की राय भी लेते हैं।
बच्चन परिवार और खुद के बारे में ऐश्वर्या राय कहती हैं, हम सभी रिलैक्स्ड इंडिविजुअल हैं। एक-दूसरे की परवाह करते हैं, लेकिन अपना काम भी साथ ही साथ करते हैं। मुझे मालूम है कि मैं फिल्म स्टार होने के साथ ही बेटी, बीवी और बहू भी हूं। दोनों परिवारों से मुझे जो मूल्य और संस्कार मिले हैं, उन्हें मैं जीवन का अनमोल उपहार मानती हूं। हम सभी का निजी व्यक्तित्व है। मुझे अपने काम से बेहद प्यार है, लेकिन अपने प्रियजनों को नाराज कर मैं कुछ भी नहीं कर सकती। हमेशा यह खयाल रहता है कि हमारे काम और व्यवहार से दूसरों की भावना आहत न हो।
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