विश्वप्रिय अमिताभ बच्चन


जन्मदिन 11 अक्टूबर पर विशेष...

सम्राट अशोक के जीवन के एक महत्वपूर्ण प्रसंग पर डॉ।चंद्रप्रकाश द्विवेदी की अगली फिल्म है। इसमें अशोक की भूमिका अमिताभ बच्चन निभा रहे हैं। बिग बी के जन्मदिन (11 अक्टूबर) के मौके पर डॉ।द्विवेदी ने हमें अमिताभ बच्चन के बारे में बताया। इस संक्षिप्त आलेख में द्विवेदी ने भारतीय इतिहास के महानायक अशोक और भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन की कई समानताओं का उल्लेख किया है। बिग बी लोकप्रियता, पहचान और स्वीकृति की जिस ऊंचाई पर हैं, वहां उन्हें विश्वप्रिय अमिताभ बच्चन की संज्ञा दी जा सकती है।

पश्चिम के साहित्यकार एचजी वेल्स ने अपनी एकपुस्तक में सम्राट अशोक का उल्लेख किया है। उनके उल्लेख का आशय यह है कि अगर विश्व के सम्राटों की आकाशगंगा हो, तो उसमें जो सबसे चमकता हुआ सितारा होगा, वह अशोक हैं। यह अभिप्राय ऐसे लेखक और चिंतक का है, जो अशोक को भारत के बाहर से देख रहा है। जापान में सोकोतु नामक राजा हुए। उन्हें जापान का अशोक कहा जाता है। गौरतलब है कि राजा सोकोतु ने अशोक की तरह ही घोषणाएं जारी की थीं। दक्षिण-पूर्व एशिया में जहां-जहां बौद्ध धर्म है, वहां-वहां बौद्ध धर्म के इतिहासकार अशोक को जानते हैं। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में अशोक का प्राथमिक योगदान है। भारत के बाहर बौद्ध धर्म को पहुंचाने का श्रेय अशोक को ही है। इतिहास में अशोक की छवि देवानाम प्रिय है, यानी जो अपने कर्म से देवताओं का भी प्रिय हो गया। अशोक के लिए दूसरा विशेषण प्रियदर्शी है। सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के एक ऐसे महानायक हैं, जिनके करीब कोई और नहीं पहुंचता। ऐसे महानायक पर फिल्म बनाने की बात सोचते ही वर्तमान भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेताओं में किसी को चुनना हो, जो इस महानायक के चरित्र को निभा सके, तो मैं निस्संकोच कहूंगा कि भारतीय सिनेमा में अमिताभ बच्चन से अधिक उपयुक्त दूसरा कोई नहीं है। वे न केवल श्रेष्ठ अभिनेता हैं, बल्कि उन्होंने एक ऐसा व्यक्तित्व अख्तियार कर लिया है, जो भारतीय दर्शकों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय है। सच तो यह है कि भारत के साथ ही अब वे देश की सीमाओं के बाहर विश्व नागरिकों के बीच भी सुपरिचित व्यक्तित्व बन चुके हैं। हम उन्हें विश्वप्रिय अमिताभ बच्चन कह सकते हैं। निश्चित ही सम्राट अशोक की तरह वे भी प्रियदर्शी हैं। सम्राट अशोक की भूमिका में अमिताभ बच्चन को देखने के मेरे कारण हैं। दरअसल, अशोक भारतीय इतिहास के जटिल चरित्र हैं। उनके जीवन के वैयक्तिक वैविध्य का अध्ययन होता रहा है। अशोक का आक्रामक व्यक्तित्व रहा है। वे अजेय योद्धा थे। अमिताभ बच्चन भी अपनी युवावस्था में एंग्री यंग मैन के रूप में दर्शकों के बीच लोकप्रिय रहे। वे हिंदी सिनेमा के अजेय नायक रहे। लोग देखें कि भारतीय इतिहास का एंग्री एंग मैन बाद में अपने व्यवहार से ऋषितुल्य हो जाता है। उन्हें बुद्धगतिक भी कहा जाता है, यानी जिसका व्यवहार बुद्ध जैसा हो। मुझे लगता है कि भारतीय सिनेमा में अशोक की तरह ही जीवन को इतनी परिपूर्णताओं के साथ देखने वाले और अपने व्यक्तिगत जीवन में इतनी विडंबनाओं को लेकर चलने वाले अकेले व्यक्ति अमिताभ बच्चन हैं। मैं सम्राट अशोक और अमिताभ बच्चन की तुलना करने की भूल नहीं कर सकता। दोनों की कुछ समानताएं बता रहा हूं। दोनों के अनुभवों की यात्रा कुछ-कुछ एक जैसी रही है।
अपनी फिल्म के सिलसिले में अमिताभ बच्चन से कई बार मिलना हुआ। मेरी स्क्रिप्ट में अशोकका जिस रूप में चित्रण है, वह उनके आचरण में भी दिखा। जैसे कि बौद्ध भिक्षुओं के लिए कहा जाता है कि वे आंखों से कम से कम संप्रेषण करें। वे प्रयत्न करते हैं कि दूसरे व्यक्तियों की आंखों में सीधे न देखा जाए। जैसे ही आंखों से आंखें मिलती हैं, परस्पर संवाद आरंभ हो जाता है। भिक्षा मांगते समय भी बौद्धों की नजर भूमि पर रहती है। आप आश्चर्य करेंगे कि अमिताभ बच्चन अधिकांश समय भूमि की ओर देखते हैं। वे अधिकतर चर्चाओं में नहीं रहते। वस्तुओं और घटनाओं पर वे अपना अभिप्राय नहीं देते। वे निर्णायक टिप्पणियां नहीं करते। मैं उन्हें उदात्त मौन का धनी व्यक्ति कहूंगा। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लोगों को कई हस्तियां मिल जाएंगी, जो हर विषय पर टिप्पणी देती हैं। उनके पास आलोचना रहती है, उनके पास समीक्षा होती है, उनके पास निर्णय होते हैं, उनके पास पूर्वाग्रह होते हैं।
अमिताभ बच्चन आलोचना, समीक्षा, निर्णय और पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं हैं। जो जैसा है, वे उसे वैसे ही स्वीकार करते हैं। मुझे लगता है कि उन पर यह प्रभाव हरिवंश राय बच्चन का भी हो सकता है। मैं जब-जब उनके नजदीक गया। मैंने उन्हें ऐसा ही पाया। ऐसी ही मुद्रा अशोक की है।
भारतीय सिनेमा के इतिहास में उन्होंने विशिष्ट स्थान प्राप्त कर लिया है। अशोक जैसे उदात्त और जटिल चरित्र को निभाने के लिए जो गरिमा चाहिए, वह उनके पास है। अशोक का व्यक्तित्व है उनमें। अशोक के लिए हमें जो भाषा चाहिए, उसमें वे पारंगत हैं। मेरी फिल्म में चौंसठ वर्ष के बाद के अशोक हैं। अमिताभ बच्चन की आयु भी चौंसठ से ज्यादा है। यह एक सुयोग है कि भारतीय इतिहास के एक महान चरित्र और महानायक की भूमिका भारतीय सिनेमा के महान व्यक्तित्व और महानायक निभा रहे हैं। अशोक की तरह उनकी कीर्ति भारत के बाहर फैल चुकी है। मुझे नहीं लगता कि अशोक की भूमिका के लिए अमिताभ बच्चन से अधिक उपयुक्त कोई दूसरा अभिनेता मिल सकता है। लोग चकित होंगे कि इसे लिखते समय भी मेरे मन-मस्तिष्क में अमिताभ बच्चन थे! यही लगता था कि इस भूमिका को वे ही निभा सकते हैं। इसे लिखने के तुरंत बाद मैंने उनसे संपर्क करने की कोशिश आरंभ कर दी थी। यह मेरा सौभाग्य है कि उन्होंने अशोक की भूमिका निभाने के लिए सहमति दे दी। अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व की विशेषताओं की बात करूं, तो वे हैं-ग्रहण, मनन और चिंतन। वे बहुत कम बोलते हैं। वे सारगर्भित बोलते हैं। पहले वे आपको स्वीकार करते हैं, ग्रहण करते हैं। वे बीच में कभी नहीं टोकते। दूसरी-तीसरी मुलाकात में लोगों को आभास होगा कि उन्होंने आपके आशय और मंतव्य पर मनन किया है। विचार किया है। उसके बाद की मुलाकातों में वे अहसास दिला देते हैं कि वे चिंतन कर रहे हैं। फिर लोगों को पता चलता है कि वे अपने निष्कर्षो और सहमति के प्रति कितने गंभीर हैं! रही बात अभिनेता अमिताभ बच्चन की, तो अपनी फिल्म की शूटिंग के बाद ही उसके बारे में निजी अनुभव बांट सकूंगा। अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक अनजान पहलू हैं। इस बारे में उनके करीबी, रिश्तेदार और दोस्त ही बता सकते हैं।

Comments

seema gupta said…
"very nice artical to read, wish him many happy returns of the day, vaise aaj ka din humare liye bhee bhut khas hai, amitabh jee ke treh..'

regards
chavannichap said…
khas din ki aap ko bhi badhayi!!!

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