फ़िल्म समीक्षा :रॉक ऑन
दोस्ती की महानगरीय दास्तान
-अजय ब्रह्मात्मज
फरहान अख्तर की पहली फिल्म दिल चाहता है में तीन दोस्तों की कहानी थी। फिल्म काफी पसंद की गई थी। इस बार उनकी प्रोडक्शन कंपनी ने अभिषेक कपूर को निर्देशन की जिम्मेदारी दी। दोस्त चार हो गए। महानगरीय भावबोध की रॉक ऑन मैट्रो और मल्टीप्लेक्स के दर्शकों के लिए मनोरंजक है।
आदित्य, राब, केडी और जो चार दोस्त हैं। चारों मिल कर एक बैंड बनाते हैं। आदित्य इस बैंड का लीड सिंगर है और वह गीत भी लिखता है। उसके गीतों में युवा पीढ़ी की आशा-निराशा, सुख-दुख, खुशी और इच्छा के शब्द मिलते हैं। चारों दोस्तों का बैंड मशहूर होता है। उनका अलबम आने वाला है और म्यूजिक वीडियो भी तैयार हो रहा है। तभी एक छोटी सी बात पर उनका बैंड बिखर जाता है। चारों के रास्ते अलग हो जाते हैं। दस साल बाद आदित्य की पत्नी के प्रयास से चारों दोस्त फिर एकत्रित होते हैं। उनका बैंड पुनर्जीवित होता है। आपस के मतभेद और गलतफहमियां भुलाकर सब खुशहाल जिंदगी की तरफ बढ़ते हैं।
लेखक-निर्देशक अभिषेक कपूर ने रोचक पटकथा लिखी है। ऊपरी तौर पर फिल्म में प्रवाह है। कोई भी दृश्य फालतू नहीं लगता लेकिन गौर करने पर हम पाते हैं कि कैमरा आदित्य को कुछ ज्यादा पसंद कर रहा है। फरहान होने का यह अघोषित दबाव हो सकता है। फिल्म की खूबी सभी किरदारों के लिए उपयुक्त कलाकारों का चयन है। फरहान के रूप में हम अपारंपरिक अभिनेता से परिचित होते हैं तो अर्जुन रामपाल पहली बार सक्षम अभिनेता के रूप में नजर आते हैं। पुरब कोहली, ल्यूक केनी, प्राची देसाई और शहाना गोस्वामी सभी ने अपने किरदारों को खास छटा दी है। फिल्म का एक किरदार संगीत भी है। पूरी फिल्म में उसकी निरंतरता दृश्यों और घटनाओं को जोड़ती है।
महानगरीय स्वरूप में बनी रॉक ऑन खूबसूरत फिल्म है। अगर यह थोड़ी छोटी व कसी होती तो इसका प्रभाव और बेहतर होता। गीतकार जावेद अख्तर और संगीतकार शंकर, एहसान, लॉय ने फिल्म के अनुरूप शब्द और धुन चुने हैं।
मुख्य कलाकार : फरहान अख्तर, अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली, ल्यूक केनी, प्राची देसाई
निर्देशक : अभिषेक कपूर
तकनीकी टीम : बैनर-एक्सेल फिल्म्स, संगीतकार-शंकर एहसान लॉय, गीतकार- जावेद अख्तर, संवाद- फरहान अख्तर, छायांकन-जैसन वेस्ट
-अजय ब्रह्मात्मज
फरहान अख्तर की पहली फिल्म दिल चाहता है में तीन दोस्तों की कहानी थी। फिल्म काफी पसंद की गई थी। इस बार उनकी प्रोडक्शन कंपनी ने अभिषेक कपूर को निर्देशन की जिम्मेदारी दी। दोस्त चार हो गए। महानगरीय भावबोध की रॉक ऑन मैट्रो और मल्टीप्लेक्स के दर्शकों के लिए मनोरंजक है।
आदित्य, राब, केडी और जो चार दोस्त हैं। चारों मिल कर एक बैंड बनाते हैं। आदित्य इस बैंड का लीड सिंगर है और वह गीत भी लिखता है। उसके गीतों में युवा पीढ़ी की आशा-निराशा, सुख-दुख, खुशी और इच्छा के शब्द मिलते हैं। चारों दोस्तों का बैंड मशहूर होता है। उनका अलबम आने वाला है और म्यूजिक वीडियो भी तैयार हो रहा है। तभी एक छोटी सी बात पर उनका बैंड बिखर जाता है। चारों के रास्ते अलग हो जाते हैं। दस साल बाद आदित्य की पत्नी के प्रयास से चारों दोस्त फिर एकत्रित होते हैं। उनका बैंड पुनर्जीवित होता है। आपस के मतभेद और गलतफहमियां भुलाकर सब खुशहाल जिंदगी की तरफ बढ़ते हैं।
लेखक-निर्देशक अभिषेक कपूर ने रोचक पटकथा लिखी है। ऊपरी तौर पर फिल्म में प्रवाह है। कोई भी दृश्य फालतू नहीं लगता लेकिन गौर करने पर हम पाते हैं कि कैमरा आदित्य को कुछ ज्यादा पसंद कर रहा है। फरहान होने का यह अघोषित दबाव हो सकता है। फिल्म की खूबी सभी किरदारों के लिए उपयुक्त कलाकारों का चयन है। फरहान के रूप में हम अपारंपरिक अभिनेता से परिचित होते हैं तो अर्जुन रामपाल पहली बार सक्षम अभिनेता के रूप में नजर आते हैं। पुरब कोहली, ल्यूक केनी, प्राची देसाई और शहाना गोस्वामी सभी ने अपने किरदारों को खास छटा दी है। फिल्म का एक किरदार संगीत भी है। पूरी फिल्म में उसकी निरंतरता दृश्यों और घटनाओं को जोड़ती है।
महानगरीय स्वरूप में बनी रॉक ऑन खूबसूरत फिल्म है। अगर यह थोड़ी छोटी व कसी होती तो इसका प्रभाव और बेहतर होता। गीतकार जावेद अख्तर और संगीतकार शंकर, एहसान, लॉय ने फिल्म के अनुरूप शब्द और धुन चुने हैं।
मुख्य कलाकार : फरहान अख्तर, अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली, ल्यूक केनी, प्राची देसाई
निर्देशक : अभिषेक कपूर
तकनीकी टीम : बैनर-एक्सेल फिल्म्स, संगीतकार-शंकर एहसान लॉय, गीतकार- जावेद अख्तर, संवाद- फरहान अख्तर, छायांकन-जैसन वेस्ट
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