जो काम मिले, उसे मन से करो: बिपाशा बसु
फिल्म बचना ऐ हसीनों की एक हसीना बिपाशा बसु हैं। उनका फिल्म के हीरो से मुंबई में रोमांस होता है। कुछ गाने होते हैं और बस काम खत्म। हीरोइन की ऐसी भूमिकाओं से बहुत संतुष्ट नहीं होतीं बिपाशा बसु, हालांकि वे नाखुश भी नहीं हैं। वे आह भरती हुई कहती हैं, अब कहां बची हैं लीड भूमिकाएं। वैसे रोल ही नहीं लिखे जा रहे हैं! मैंने तो कुछ सालों पहले ही लीड रोल की चिंता छोड़ दी। काम करना है, तो जो भूमिका मिले, उसे मन से करो और उसी में अपनी छाप छोड़ दो।
बिपाशा आश्वस्त हैं कि दीपिका पादुकोण और मिनिषा लांबा जैसी नई अभिनेत्रियों के बीच वे बेमेल नहीं लगेंगी। वे धीरे से बता भी देती हैं, मिनिषा उम्र में मुझसे बड़ी ही होंगी। हां, वे देर से फिल्मों में आई हैं, इसलिए मुझ से छोटी दिखती हैं। वैसे उम्र से क्या फर्क पड़ता है? आप जब तक पर्दे पर आकर्षक और ग्लैमरस दिखते हैं, तब तक सब ठीक है। बिपाशा इस फिल्म में राधिका का किरदार निभा रही हैं, जो दुनिया के रस्म-ओ-रिवाज को नहीं मानती। वे मानती हैं किउनकी स्क्रीन एज ज्यादा है। वे पिछले छह सालों से काम कर रही हैं। मॉडलिंग, फिल्में और विज्ञापनों की वजह से उनका चेहरा जाना-पहचाना है। वे कहती हैं, मैंने अपना करियर बहुत जल्दी आरंभ कर दिया। मैं मुंबई में अकेली संघर्ष कर रही थी। मुझे खुशी है कि बगैर किसी गॉडफादर के मैंने अपनी जगह बनाई है। बिपाशा पूरे आत्मविश्वास के साथ बताती हैं, दर्शकों के साथ मेरा एक रिश्ता बन चुका है। मेरी फिल्मों, मेरे काम और मेरे पारदर्शी व्यक्तित्व के कारण वे मुझे पसंद करते हैं। मैंने अपने दर्शकों से कभी कुछ नहीं छिपाया। यही कारण है कि उन्हें मैं अच्छी लगती हूं।
अपनी पिछली फिल्मों के बारे में बात करते हुए वे बताती हैं, कहना या समझना मुश्किल होता है कि कोई फिल्म क्यों नहीं चली? मैं अपने बारे में कह सकती हूं कि रोल समझने के बाद ही मैं फिल्मों के लिए हां करती हूं और फिर सौ प्रतिशत मेहनत करती हूं। किसे मालूम था कि बीड़ी जलइले.. इतनी बड़ी हिट साबित होगी..! लोग उसे आइटम सॉन्ग कहते हैं, लेकिन मेरे लिए तो अब वह गीत किसी फिल्म से ज्यादा खास है। क्या बिपाशा गंभीर फिल्में या गहराई वाले रोल नहीं करना चाहतीं? वे तुरंत जवाब देती हैं, जरूर करना चाहती हूं और किया भी है। मेरी पंख ऐसी ही फिल्म है, लेकिन गंभीर और गहरी भूमिका का कॉन्सेप्ट मैं नहीं समझ पाई। क्या किसी औरत को तकलीफ में दिखाने से रोल गंभीर हो जाता है? बिपाशा ने हाल ही में एक बांग्ला फिल्म सब चरित्रो काल्पोनिक पूरी की है। इसमें उन्होंने टिपिकल बंगाली महिला का किरदार निभाया है। वे कहती हैं, मैं इस तरह की और भी फिल्में करना चाहती हूं। शुरू में तो लगा था कि मैं कहां आ गई, लेकिन बंगाल के लोगों का अप्रोच देखकर मैं प्रभावित हूं। मैं बांग्ला में आगे भी फिल्में कर सकती हूं, लेकिन कॉमर्शिअॅल बांग्ला फिल्में नहीं करूंगी। बिपाशा चाहती हैं कि उन्हें हिंदी में भी चरित्र प्रधान फिल्में मिलें। वे कहती हैं, लेकिन ऐसी फिल्में कौन बना रहा है? हम अभिनेत्रियों को सीमाओं में बांध दिया गया है, फिल्में अभिनेताओं पर केंद्रित होती हैं। क्या वे इस स्थिति में किसी सुधार की उम्मीद करती हैं? बिपाशा कहती हैं, उम्मीद तो कर ही सकती हूं। इन दिनों अलग-अलग विषयों पर फिल्में बन रही हैं। कल कोई एक फिल्म सफल हो गई, तो उसका ट्रेंड चल पड़ेगा। मैं ट्रेंड, फैशन और डिमांड के हिसाब से नहीं चलती। बीड़ी जलइले.. के बाद मुझे उस तरह की कई फिल्मों के ऑफर आए, लेकिन मैंने मना कर दिया।
बिपाशा आश्वस्त हैं कि दीपिका पादुकोण और मिनिषा लांबा जैसी नई अभिनेत्रियों के बीच वे बेमेल नहीं लगेंगी। वे धीरे से बता भी देती हैं, मिनिषा उम्र में मुझसे बड़ी ही होंगी। हां, वे देर से फिल्मों में आई हैं, इसलिए मुझ से छोटी दिखती हैं। वैसे उम्र से क्या फर्क पड़ता है? आप जब तक पर्दे पर आकर्षक और ग्लैमरस दिखते हैं, तब तक सब ठीक है। बिपाशा इस फिल्म में राधिका का किरदार निभा रही हैं, जो दुनिया के रस्म-ओ-रिवाज को नहीं मानती। वे मानती हैं किउनकी स्क्रीन एज ज्यादा है। वे पिछले छह सालों से काम कर रही हैं। मॉडलिंग, फिल्में और विज्ञापनों की वजह से उनका चेहरा जाना-पहचाना है। वे कहती हैं, मैंने अपना करियर बहुत जल्दी आरंभ कर दिया। मैं मुंबई में अकेली संघर्ष कर रही थी। मुझे खुशी है कि बगैर किसी गॉडफादर के मैंने अपनी जगह बनाई है। बिपाशा पूरे आत्मविश्वास के साथ बताती हैं, दर्शकों के साथ मेरा एक रिश्ता बन चुका है। मेरी फिल्मों, मेरे काम और मेरे पारदर्शी व्यक्तित्व के कारण वे मुझे पसंद करते हैं। मैंने अपने दर्शकों से कभी कुछ नहीं छिपाया। यही कारण है कि उन्हें मैं अच्छी लगती हूं।
अपनी पिछली फिल्मों के बारे में बात करते हुए वे बताती हैं, कहना या समझना मुश्किल होता है कि कोई फिल्म क्यों नहीं चली? मैं अपने बारे में कह सकती हूं कि रोल समझने के बाद ही मैं फिल्मों के लिए हां करती हूं और फिर सौ प्रतिशत मेहनत करती हूं। किसे मालूम था कि बीड़ी जलइले.. इतनी बड़ी हिट साबित होगी..! लोग उसे आइटम सॉन्ग कहते हैं, लेकिन मेरे लिए तो अब वह गीत किसी फिल्म से ज्यादा खास है। क्या बिपाशा गंभीर फिल्में या गहराई वाले रोल नहीं करना चाहतीं? वे तुरंत जवाब देती हैं, जरूर करना चाहती हूं और किया भी है। मेरी पंख ऐसी ही फिल्म है, लेकिन गंभीर और गहरी भूमिका का कॉन्सेप्ट मैं नहीं समझ पाई। क्या किसी औरत को तकलीफ में दिखाने से रोल गंभीर हो जाता है? बिपाशा ने हाल ही में एक बांग्ला फिल्म सब चरित्रो काल्पोनिक पूरी की है। इसमें उन्होंने टिपिकल बंगाली महिला का किरदार निभाया है। वे कहती हैं, मैं इस तरह की और भी फिल्में करना चाहती हूं। शुरू में तो लगा था कि मैं कहां आ गई, लेकिन बंगाल के लोगों का अप्रोच देखकर मैं प्रभावित हूं। मैं बांग्ला में आगे भी फिल्में कर सकती हूं, लेकिन कॉमर्शिअॅल बांग्ला फिल्में नहीं करूंगी। बिपाशा चाहती हैं कि उन्हें हिंदी में भी चरित्र प्रधान फिल्में मिलें। वे कहती हैं, लेकिन ऐसी फिल्में कौन बना रहा है? हम अभिनेत्रियों को सीमाओं में बांध दिया गया है, फिल्में अभिनेताओं पर केंद्रित होती हैं। क्या वे इस स्थिति में किसी सुधार की उम्मीद करती हैं? बिपाशा कहती हैं, उम्मीद तो कर ही सकती हूं। इन दिनों अलग-अलग विषयों पर फिल्में बन रही हैं। कल कोई एक फिल्म सफल हो गई, तो उसका ट्रेंड चल पड़ेगा। मैं ट्रेंड, फैशन और डिमांड के हिसाब से नहीं चलती। बीड़ी जलइले.. के बाद मुझे उस तरह की कई फिल्मों के ऑफर आए, लेकिन मैंने मना कर दिया।
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