श्रीमान सत्यवादी और गुलजार
माना जाता है कि बिमल राय की फिल्म 'बंदिनी' से गुलजार का फिल्मी जीवन आरंभ हुआ। इस फिल्म के गीत 'मेरा गोरा अंग लेइ ले' का उल्लेख किया जाता है। किसी भी नए गीतकार और भावी फिल्मकार के लिए यह बड़ी शुरूआत है।
लेकिन क्या आपको मालूम है कि गुलजार ने 'बंदिनी' से तीन साल पहले एसएम अब्बास निर्देशित 'श्रीमान सत्यवादी' के गीत लिखे थे। इस फिल्म में गीत लिखने के साथ निर्देशन में भी सहायक रहे थे। तब उनका नाम गुलजार दीनवी था। दीनवी उपनाम उनके गांव दीना से आया था। हेमेन गुप्ता की फिल्म 'काबुलीवाला' में भी उनका नाम सहायक निर्देशक के तौर पर मिलता है। जाने क्यों गुलजार के जीवनीकार उनकी इस फिल्म का उल्लेख नहीं करते? गुलजार ने स्वयं भी कभी स्पष्ट नहीं कहा कि 'बंदिनी' के 'गोरा अंग लेई ले' के पहले वे गीत लिख चुके थे।
'श्रीमान सत्यवादी' में राज कपूर और शकीला ने मुख्य चरित्र निभाए थे। फिल्म में दत्ताराम वाडेकर का संगीत था। गीतकारों में हसरत जयपुरी, गुलजार दीनवी और गुलशन बावरा के नाम हैं। गुलजार दीनवी ने इस फिल्म में (1) भीगी हवाओं में (मन्ना डे,सुमन कल्याणपुर), (2) क्यों उड़ा जाता है आंचल (सुमन कल्याणपुर), (3) एक बात कहूं वल्लाह (मुकेश, मन्ना डे, सुमन कल्याणपुर) और (4) रुत अलबेला मस्त समां (मुकेश) गीत लिखे थे।
कल उनका जन्मदिन था। चवन्नी की विलंबित बधाइयां। चवन्नी जानना चाहता है कि गुलजार 'श्रीमान सत्यवादी' का उल्लेख क्यों नहीं करते और उनके जीवनीकार भी इस तथ्य के प्रति क्यों खामोश रहते हैं? क्या आप कुछ कहना चाहेंगे?
लेकिन क्या आपको मालूम है कि गुलजार ने 'बंदिनी' से तीन साल पहले एसएम अब्बास निर्देशित 'श्रीमान सत्यवादी' के गीत लिखे थे। इस फिल्म में गीत लिखने के साथ निर्देशन में भी सहायक रहे थे। तब उनका नाम गुलजार दीनवी था। दीनवी उपनाम उनके गांव दीना से आया था। हेमेन गुप्ता की फिल्म 'काबुलीवाला' में भी उनका नाम सहायक निर्देशक के तौर पर मिलता है। जाने क्यों गुलजार के जीवनीकार उनकी इस फिल्म का उल्लेख नहीं करते? गुलजार ने स्वयं भी कभी स्पष्ट नहीं कहा कि 'बंदिनी' के 'गोरा अंग लेई ले' के पहले वे गीत लिख चुके थे।
'श्रीमान सत्यवादी' में राज कपूर और शकीला ने मुख्य चरित्र निभाए थे। फिल्म में दत्ताराम वाडेकर का संगीत था। गीतकारों में हसरत जयपुरी, गुलजार दीनवी और गुलशन बावरा के नाम हैं। गुलजार दीनवी ने इस फिल्म में (1) भीगी हवाओं में (मन्ना डे,सुमन कल्याणपुर), (2) क्यों उड़ा जाता है आंचल (सुमन कल्याणपुर), (3) एक बात कहूं वल्लाह (मुकेश, मन्ना डे, सुमन कल्याणपुर) और (4) रुत अलबेला मस्त समां (मुकेश) गीत लिखे थे।
कल उनका जन्मदिन था। चवन्नी की विलंबित बधाइयां। चवन्नी जानना चाहता है कि गुलजार 'श्रीमान सत्यवादी' का उल्लेख क्यों नहीं करते और उनके जीवनीकार भी इस तथ्य के प्रति क्यों खामोश रहते हैं? क्या आप कुछ कहना चाहेंगे?
Comments
फिल्म नहीं चली और न चलने वाली चीज को कौन याद रखता है? एसएम अब्बास साहब को तो दूसरे डायरेक्शन के चांस के लिये बारह बरस तक इन्तजार करना पड़ा.
इसीलिये गुलजार साहब भी श्रीमान सत्यवादी की नाम ओढ़ने से बचते रहे होंगे.
वैसे श्रीमान सत्यवादी में गुलजार साहब के साथ साथ शशिकपूर भी सहायक निर्देशकों की लिस्ट में थे. शशि साहब भी तो इससे अपना नाम नहीं जोड़ते.
अनुमति दें तो आपकी यह जानकारी हम अपने इस पोस्ट में साभार ले लें ताकि भविष्य में आने वाले पाठकों का संदेह-निवारण हो।
https://www.youtube.com/watch?v=Lnh9jlEIt2U&noredirect=1