एक्सपोज करने के लिए सही है स्टिंग ऑपरेशन: प्रियंका चोपड़ा
प्रियंका की नयी फिल्म गॉड तूसी ग्रेट हो जल्दी ही रिलीज होगी। प्रियंका इस फिल्म में पत्रकार की भूमिका निभा रही हैं। वह इससे पहले कृष में भी पत्रकार के रोल में दिखी थीं। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश ...
गॉड तूसी ग्रेट हो कैसी फिल्म है?
यह कामेडी फिल्म है। इसमें सलमान खान हैं, अमित जी हैं, मैं हूं, सुनील हैं। बहुत फनी मूवी है। खूब मजा आएगा। अमित जी भगवान का किरदार निभा रहे हैं। आप जब देखेंगे, आप समझेंगे। मुझे यह फिल्म करते हुए बहुत आनंद आया।
आप इसमें क्या रोल कर रही हैं?
इस फिल्म मैं एक जर्नलिस्ट का रोल कर रही हूं। मैं स्टिंग ऑपरेशन करती हूं। बहुत आउटगोइंग और आक्रामक जर्नलिस्ट हूं,जो सच में विश्वास रखती है। सत्यवादी किस्म की लड़की है। स्वीट कैरेक्टर है मेरा।
स्टिंग ऑपरेशन में यकीन करती हैं? जर्नलिज्म के लिए कितना जरूरी है?
स्टिंग ऑपरेशन बिल्कुल सही तरीका है। हां, अगर आप किसी को ठग रहे हैं तो गलत है। अगर कोई गलत काम कर रहा है तो आप उसे स्िटग ऑपरेशन से एक्सपोज करो। कोई रिश्वत ले रहा है तो आप उनको एक्सपोज करो। कोई टीचर बच्चों को मारती है तो जरूर बताओ। वो सब आप करो, ठीक है, लेकिन आप किसी के बेडरूम में घुसकर कुछ न करो। फिर स्टिंग आपरेशन घटिया और वल्गर हो जाता है। ऐसा करने पर मेरे जैसे दर्शकों की नजरों में वह न्यूज चैनल गिर जाएगा। लोगों की पर्सनल जिंदगी उनकी अपनी होती है। उतना तो छोड़ दो उनके लिए। चाहे कोई भी हो। हमारे पॉलीटिशियन क्या कर रहे हैं? या हमारे सेलेब्रिटी क्या कर रहे हैं? ठीक है, लेकिन आप उनके पर्सनल लाइफ में नहीं घुस सकते हो। हम एक डेमोक्रेसी में रहते हैं। जहां फ्रीडम ऑफ स्पीच है, जहां वोट करने का फ्रीडम है। ऐसे देश में मुझे अपनी प्रायवेसी का अधिकार है।
द्रोण में क्या कर रही हैं? सुन रहे हैं कि आपने उसमें एक्शन किया है?
मैं बॉडी गार्ड बनी हूं। मेरा एक यूनिफॉर्म है, जो अलग-अलग रंगों में है। बहुत इंटरेस्टिंग और अलग किस्म का लुक है मेरा। मैंने पगड़ी पहनी हुई है। उस फिल्म में मैंने बहुत एक्शन किया है। मार्शल आर्ट मैंने सीखा था , इस फिल्म के लिए। सेल्फ डिफेंस का एक फार्म होता है वह। मैंने कृपाण के साथ फाइटिंग की है। बहुत अच्छा एक्सपीरिएंस रहा मेरे लिए।
अभिषेक को कैसे देखती है? एक्टर के तौर पर कितना ग्रो किया उन्होंने?
अभिषेक हमेशा पागल था, अब भी पागल है। मुझे लगता है कि वह दस साल का बच्चा है जो एक तीस साल के आदमी के बॉडी के अंदर है। अभिषेक बहुत हंसमुख और मजेदार व्यक्ति हैं।
द्रोण के बाद कौन सी फिल्म आएगी?
द्रोण के बाद फैशन आएगी।
फैशन किस तरह की फिल्म है?
फैशन एक मॉडल की कहानी है। एक लड़की जो चंडीगढ़ से आती है। छोटे शहर की लड़की है। सपने देखे हैं उसने मॉडल बनने के और कैसे वो मॉडल बनती है, उसका ऊपर चढ़ना और फिर फिसलना। उसकी जीत और हार की कहानी है।
आपको ऐसा नहीं लगता है कि एक्ट्रेस की जिम्मेदारी इन दिनों बढ़ गई है। अब सिर्फ अभिनय ही काम नहीं रह गया है, फिल्म-प्रचार में भी उनकी भूमिका बढ़ गयी है?
मेरे खयाल में फिल्म के मुख्य कलाकारों के लिए यह बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि फिल्में आजकल मार्केटिंग के बल पर चलती हैं। अब फिल्में डायमंड जुबली या गोल्डन जुबली नहीं होती हैं। सिल्वर भी नहीं होती हैं अब तो, सौ दिन भी बड़ी मुश्किल से होते हैं। इतना ज्यादा प्रेशर हो जाता है कि अगर आपका वीकएंड निकल गया तो आप सुरक्षित हो गए। ऐसे में प्रचार करना जरूरी हो जाता है। मैंने तो यह कभी नहीं किया कि सिर्फ एक्टिंग करो और घर जाओ। आखिर, हम अपनी फिल्म का हिस्सा होते हैं। जैसे कि आप मिट्टी का एक पुतला बना रहे हैं। उसको आंखें देना, उसको मुंह देना, एक्सप्रेशन देना, फिर पूरा पुतला आपको दिखाई देता है। वह आप का कैरेक्टर होता है। सिर्फ एक्ट कर रहे हो, आपको एक सीन दे दिया, कर लिया और आप घर चले गए। ऐसा नहीं है आजकल। बाउंड स्क्रिप्ट मिलती है। रीडिंग होती है, वर्कशॉप होते हैं। फिल्म की शूटिंग करने से पहले होमवर्क करना पड़ता है।
फिल्म चुनते समय आप क्या-क्या देखती हैं?
सबसे पहले मैं देखती हूं कि बैनर क्या है? क्योंकि प्रोडयूसर बहुत महत्वपूर्ण होता है हर फिल्म के लिए। एक ऐसा प्रोडयूसर जो अपनी स्क्रिप्ट को कम्पलीट करने की हैसियत रखता हो। यह बहुत जरूरी है। उसके बाद कहानी पढ़ती हूं मैं। देखती हूं कि डायरेक्टर ने क्या किया है? अभी तक। डायरेक्टर का बैकग्राउंड बहुत जरूरी है। आखिरकार वही फिल्म का ड्राइवर होता है। वही बताते हैं कि ऐसे करो या ये ज्यादा हो गया है कि कम हो गया। कहानी के साथ-साथ मैं डायरेक्टर पर भी ध्यान देती हूं। फिर देखती हूं कि मेरा रोल क्या है? पूरी कहानी ऐसी हो जो मुझे देखने में पसंद आए। मुझे फिल्मों का बहुत शौक है। अगर मुझे कहानी और अपना किरदार अच्छा लगा तो हां कहती हूं। जब मुझे लगता है कि ऐसी फिल्म मैं देखना चाहूंगी,तभी मैं करती हूं।
गॉड तूसी ग्रेट हो कैसी फिल्म है?
यह कामेडी फिल्म है। इसमें सलमान खान हैं, अमित जी हैं, मैं हूं, सुनील हैं। बहुत फनी मूवी है। खूब मजा आएगा। अमित जी भगवान का किरदार निभा रहे हैं। आप जब देखेंगे, आप समझेंगे। मुझे यह फिल्म करते हुए बहुत आनंद आया।
आप इसमें क्या रोल कर रही हैं?
इस फिल्म मैं एक जर्नलिस्ट का रोल कर रही हूं। मैं स्टिंग ऑपरेशन करती हूं। बहुत आउटगोइंग और आक्रामक जर्नलिस्ट हूं,जो सच में विश्वास रखती है। सत्यवादी किस्म की लड़की है। स्वीट कैरेक्टर है मेरा।
स्टिंग ऑपरेशन में यकीन करती हैं? जर्नलिज्म के लिए कितना जरूरी है?
स्टिंग ऑपरेशन बिल्कुल सही तरीका है। हां, अगर आप किसी को ठग रहे हैं तो गलत है। अगर कोई गलत काम कर रहा है तो आप उसे स्िटग ऑपरेशन से एक्सपोज करो। कोई रिश्वत ले रहा है तो आप उनको एक्सपोज करो। कोई टीचर बच्चों को मारती है तो जरूर बताओ। वो सब आप करो, ठीक है, लेकिन आप किसी के बेडरूम में घुसकर कुछ न करो। फिर स्टिंग आपरेशन घटिया और वल्गर हो जाता है। ऐसा करने पर मेरे जैसे दर्शकों की नजरों में वह न्यूज चैनल गिर जाएगा। लोगों की पर्सनल जिंदगी उनकी अपनी होती है। उतना तो छोड़ दो उनके लिए। चाहे कोई भी हो। हमारे पॉलीटिशियन क्या कर रहे हैं? या हमारे सेलेब्रिटी क्या कर रहे हैं? ठीक है, लेकिन आप उनके पर्सनल लाइफ में नहीं घुस सकते हो। हम एक डेमोक्रेसी में रहते हैं। जहां फ्रीडम ऑफ स्पीच है, जहां वोट करने का फ्रीडम है। ऐसे देश में मुझे अपनी प्रायवेसी का अधिकार है।
द्रोण में क्या कर रही हैं? सुन रहे हैं कि आपने उसमें एक्शन किया है?
मैं बॉडी गार्ड बनी हूं। मेरा एक यूनिफॉर्म है, जो अलग-अलग रंगों में है। बहुत इंटरेस्टिंग और अलग किस्म का लुक है मेरा। मैंने पगड़ी पहनी हुई है। उस फिल्म में मैंने बहुत एक्शन किया है। मार्शल आर्ट मैंने सीखा था , इस फिल्म के लिए। सेल्फ डिफेंस का एक फार्म होता है वह। मैंने कृपाण के साथ फाइटिंग की है। बहुत अच्छा एक्सपीरिएंस रहा मेरे लिए।
अभिषेक को कैसे देखती है? एक्टर के तौर पर कितना ग्रो किया उन्होंने?
अभिषेक हमेशा पागल था, अब भी पागल है। मुझे लगता है कि वह दस साल का बच्चा है जो एक तीस साल के आदमी के बॉडी के अंदर है। अभिषेक बहुत हंसमुख और मजेदार व्यक्ति हैं।
द्रोण के बाद कौन सी फिल्म आएगी?
द्रोण के बाद फैशन आएगी।
फैशन किस तरह की फिल्म है?
फैशन एक मॉडल की कहानी है। एक लड़की जो चंडीगढ़ से आती है। छोटे शहर की लड़की है। सपने देखे हैं उसने मॉडल बनने के और कैसे वो मॉडल बनती है, उसका ऊपर चढ़ना और फिर फिसलना। उसकी जीत और हार की कहानी है।
आपको ऐसा नहीं लगता है कि एक्ट्रेस की जिम्मेदारी इन दिनों बढ़ गई है। अब सिर्फ अभिनय ही काम नहीं रह गया है, फिल्म-प्रचार में भी उनकी भूमिका बढ़ गयी है?
मेरे खयाल में फिल्म के मुख्य कलाकारों के लिए यह बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि फिल्में आजकल मार्केटिंग के बल पर चलती हैं। अब फिल्में डायमंड जुबली या गोल्डन जुबली नहीं होती हैं। सिल्वर भी नहीं होती हैं अब तो, सौ दिन भी बड़ी मुश्किल से होते हैं। इतना ज्यादा प्रेशर हो जाता है कि अगर आपका वीकएंड निकल गया तो आप सुरक्षित हो गए। ऐसे में प्रचार करना जरूरी हो जाता है। मैंने तो यह कभी नहीं किया कि सिर्फ एक्टिंग करो और घर जाओ। आखिर, हम अपनी फिल्म का हिस्सा होते हैं। जैसे कि आप मिट्टी का एक पुतला बना रहे हैं। उसको आंखें देना, उसको मुंह देना, एक्सप्रेशन देना, फिर पूरा पुतला आपको दिखाई देता है। वह आप का कैरेक्टर होता है। सिर्फ एक्ट कर रहे हो, आपको एक सीन दे दिया, कर लिया और आप घर चले गए। ऐसा नहीं है आजकल। बाउंड स्क्रिप्ट मिलती है। रीडिंग होती है, वर्कशॉप होते हैं। फिल्म की शूटिंग करने से पहले होमवर्क करना पड़ता है।
फिल्म चुनते समय आप क्या-क्या देखती हैं?
सबसे पहले मैं देखती हूं कि बैनर क्या है? क्योंकि प्रोडयूसर बहुत महत्वपूर्ण होता है हर फिल्म के लिए। एक ऐसा प्रोडयूसर जो अपनी स्क्रिप्ट को कम्पलीट करने की हैसियत रखता हो। यह बहुत जरूरी है। उसके बाद कहानी पढ़ती हूं मैं। देखती हूं कि डायरेक्टर ने क्या किया है? अभी तक। डायरेक्टर का बैकग्राउंड बहुत जरूरी है। आखिरकार वही फिल्म का ड्राइवर होता है। वही बताते हैं कि ऐसे करो या ये ज्यादा हो गया है कि कम हो गया। कहानी के साथ-साथ मैं डायरेक्टर पर भी ध्यान देती हूं। फिर देखती हूं कि मेरा रोल क्या है? पूरी कहानी ऐसी हो जो मुझे देखने में पसंद आए। मुझे फिल्मों का बहुत शौक है। अगर मुझे कहानी और अपना किरदार अच्छा लगा तो हां कहती हूं। जब मुझे लगता है कि ऐसी फिल्म मैं देखना चाहूंगी,तभी मैं करती हूं।
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