फ़िल्म समीक्षा:कांट्रेक्ट
फिर असफल रहे रामू
बारीक स्तर पर कांट्रैक्ट के दृश्यों के बीच उभरते भाव और निर्देशक की सोच को जोड़ने की कोशिश करें तो यह फिल्म कथित स्टेट टेरेरिज्म का चित्रण करती है। राम गोपाल वर्मा ने विषय तो रखा है अंडरवर्ल्ड और आतंकवाद के बीच गठबंधन का, लेकिन उनकी यह फिल्म एक स्तर पर राजसत्ता की जवाबी रणनीति का संकेत देती है। आतंकवादी संगठन जिस तरह किसी शोषित या पीडि़त को गुमराह कर आतंकी बना देते हैं, लगभग उसी तरह पुलिस और प्रशासन भी अपने गुर्गे तैयार करता है। कांट्रैक्ट देख कर तो ऐसा ही लगता है।
रामू अपनी फिल्मों में मुख्य रूप से चरित्रों से खेलते हैं। अगर रंगीला और सत्या की तरह चरित्र सटीक हो जाएं तो फिल्में सफल हो जाती हैं। चरित्रों के परिवेश, पृष्ठभूमि और परिप्रेक्ष्य में वे गहरे नहीं उतरते। देश की सामाजिक स्थितियों की समझदारी नहीं होने के कारण यह उनकी सीमा बन गई है। कांट्रैक्ट में यह सीमा साफ नजर आती है।
सेना के रिटायर अधिकारी अमन (अद्विक महाजन) को पुलिस अधिकारी अहमद हुसैन आतंकवादियों से निबटने के लिए अंडरवर्ल्ड में घुसने के लिए प्रेरित करता है। पहली मुलाकात में ऐसे मिशन में शामिल होने से साफ इंकार कर देने वाला अमन एक आतंकवादी हमले में बीवी और बेटी की मौत के बाद स्वयं ही मिशन में शामिल होता है। हमें लगता है कि उसके इस मिशन से अंडरवर्ल्ड और टेरेरिज्म का रिश्ता बेनकाब होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। निर्देशक राम गोपाल वर्मा और उनके लेखक प्रशांत पांडे यहां विफल रहे। अमन के अमान बनने और सुलतान को खत्म करने की पटकथा में ड्रामा और एक्शन की कमी है।
कांट्रैक्ट में रामू की पिछली फिल्मों के दृश्यों, घटनाओं, स्थितियों, पात्रों और संवादों तक का दोहराव है। सरकार राज में एक संवाद था - फैसले गलत नहीं होते, नतीजे गलत होते हैं। वह इस फिल्म में भी सुनाई पड़ता है। हां, इस फिल्म में सुल्तान की भूमिका में जाकिर हुसैन किरदार को अच्छी तरह निभा गए हैं। नए अभिनेता अद्विक में भी आत्मविश्वास है। साक्षी गुलाटी कुछ दृश्यों में सिर्फ सुंदर दिखती हैं।
मुख्य कलाकार : अद्विक महाजन, साक्षी गुलाटी, जाकिर हुसैन, प्रशांत पुरंदरे आदि।
निर्देशक : राम गोपाल वर्मा
तकनीकी टीम : निर्माता : प्रवीण निश्चल, अजय बिजली, संजीव बिजली, संगीत : अमर मोहिले, बापी-टुटुल, साना, लेखक : प्रशांत पांडे, गीत : प्रशांत पांडे, महबूब
बारीक स्तर पर कांट्रैक्ट के दृश्यों के बीच उभरते भाव और निर्देशक की सोच को जोड़ने की कोशिश करें तो यह फिल्म कथित स्टेट टेरेरिज्म का चित्रण करती है। राम गोपाल वर्मा ने विषय तो रखा है अंडरवर्ल्ड और आतंकवाद के बीच गठबंधन का, लेकिन उनकी यह फिल्म एक स्तर पर राजसत्ता की जवाबी रणनीति का संकेत देती है। आतंकवादी संगठन जिस तरह किसी शोषित या पीडि़त को गुमराह कर आतंकी बना देते हैं, लगभग उसी तरह पुलिस और प्रशासन भी अपने गुर्गे तैयार करता है। कांट्रैक्ट देख कर तो ऐसा ही लगता है।
रामू अपनी फिल्मों में मुख्य रूप से चरित्रों से खेलते हैं। अगर रंगीला और सत्या की तरह चरित्र सटीक हो जाएं तो फिल्में सफल हो जाती हैं। चरित्रों के परिवेश, पृष्ठभूमि और परिप्रेक्ष्य में वे गहरे नहीं उतरते। देश की सामाजिक स्थितियों की समझदारी नहीं होने के कारण यह उनकी सीमा बन गई है। कांट्रैक्ट में यह सीमा साफ नजर आती है।
सेना के रिटायर अधिकारी अमन (अद्विक महाजन) को पुलिस अधिकारी अहमद हुसैन आतंकवादियों से निबटने के लिए अंडरवर्ल्ड में घुसने के लिए प्रेरित करता है। पहली मुलाकात में ऐसे मिशन में शामिल होने से साफ इंकार कर देने वाला अमन एक आतंकवादी हमले में बीवी और बेटी की मौत के बाद स्वयं ही मिशन में शामिल होता है। हमें लगता है कि उसके इस मिशन से अंडरवर्ल्ड और टेरेरिज्म का रिश्ता बेनकाब होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। निर्देशक राम गोपाल वर्मा और उनके लेखक प्रशांत पांडे यहां विफल रहे। अमन के अमान बनने और सुलतान को खत्म करने की पटकथा में ड्रामा और एक्शन की कमी है।
कांट्रैक्ट में रामू की पिछली फिल्मों के दृश्यों, घटनाओं, स्थितियों, पात्रों और संवादों तक का दोहराव है। सरकार राज में एक संवाद था - फैसले गलत नहीं होते, नतीजे गलत होते हैं। वह इस फिल्म में भी सुनाई पड़ता है। हां, इस फिल्म में सुल्तान की भूमिका में जाकिर हुसैन किरदार को अच्छी तरह निभा गए हैं। नए अभिनेता अद्विक में भी आत्मविश्वास है। साक्षी गुलाटी कुछ दृश्यों में सिर्फ सुंदर दिखती हैं।
मुख्य कलाकार : अद्विक महाजन, साक्षी गुलाटी, जाकिर हुसैन, प्रशांत पुरंदरे आदि।
निर्देशक : राम गोपाल वर्मा
तकनीकी टीम : निर्माता : प्रवीण निश्चल, अजय बिजली, संजीव बिजली, संगीत : अमर मोहिले, बापी-टुटुल, साना, लेखक : प्रशांत पांडे, गीत : प्रशांत पांडे, महबूब
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