माँ से नहीं मिले खली पहलवान
खली पहलवान भारत आए हुए हैं.आप पूछेंगे चवन्नी को पहलवानी से क्या मतलब? बिल्कुल सही है आप का चौंकना. कहाँ चवन्नी चैप और कहाँ पहलवानी?
चवन्नी को कोई मतलब ही नहीं रहता.मगर खली चवन्नी की दुनिया में आ गए.यहाँ आकर वे राजपाल यादव के साथ फोटो खिंचवाते रहे और फिर रविवार को धीरे से मन्नत में जा घुसे.मन्नत ??? अरे वही शाहरुख़ खान का बंगला.बताया गया की आर्यन और सुहाना खली पहलवान के जबरदस्त प्रशंसक हैं.प्रशंसक तो आप के भी बच्चे हो सकते हैं,लेकिन खली वहाँ कैसे जा सकते हैं।बेचारे खली पहलवान के पास तो इतना समय भी नहीं है कि वे माँ के पास जा सकें.चवन्नी को पता चला है कि खली की माँ ने घर का दरवाजा ८ फीट का करवा दिया है.उसे ४ फीट चौडा भी रखा है,ताकि लंबे-चौड़े हो गए बेटे को घर में घुसने में तकलीफ न हो.वहाँ नए दरवाजे के पास बैठी माँ खली का इंतज़ार कर रही है और यहाँ खली पहलवान शाहरुख़ खान के बेटे-बेटी का मनोरंजन कर रहे हैं।
ऐसा कैसे हो रहा कि ढाई साल के बाद अपने देश लौटा बेटा माँ के लिए समय नहीं निकल पा रहा है.ऐसा भी तो नहीं है कि उसके पास गाड़ी-घोडा नहीं है.उसे तो बस सोचना है और सारा इन्तेजाम हो जायेगा.लगता है खली पहलवान कद-काठी से जितना बड़ा हुआ है,भावनाओं में उतना ही छोटा हो गया है.क्या आप को नहीं लगता कि उसे सबसे पहले अपनी माँ तंदी देवी का दर्शन करना चाहिए था और पिता ज्वाला राम का आशीर्वाद लेना चाहिए था।
हर भारतीय के मन में किसी न किसी रूप में फिल्मों से जुड़ने की दबी इच्छा रहती है.चवन्नी को लगता है कि खली पहलवान भी इसी इच्छा के वशीभूत होकर मुम्बई के चक्कर लगा रहा है.ख़बर मिली है कि उसे एक-दो फिल्में भी मिल गई हैं.
चवन्नी को कोई मतलब ही नहीं रहता.मगर खली चवन्नी की दुनिया में आ गए.यहाँ आकर वे राजपाल यादव के साथ फोटो खिंचवाते रहे और फिर रविवार को धीरे से मन्नत में जा घुसे.मन्नत ??? अरे वही शाहरुख़ खान का बंगला.बताया गया की आर्यन और सुहाना खली पहलवान के जबरदस्त प्रशंसक हैं.प्रशंसक तो आप के भी बच्चे हो सकते हैं,लेकिन खली वहाँ कैसे जा सकते हैं।बेचारे खली पहलवान के पास तो इतना समय भी नहीं है कि वे माँ के पास जा सकें.चवन्नी को पता चला है कि खली की माँ ने घर का दरवाजा ८ फीट का करवा दिया है.उसे ४ फीट चौडा भी रखा है,ताकि लंबे-चौड़े हो गए बेटे को घर में घुसने में तकलीफ न हो.वहाँ नए दरवाजे के पास बैठी माँ खली का इंतज़ार कर रही है और यहाँ खली पहलवान शाहरुख़ खान के बेटे-बेटी का मनोरंजन कर रहे हैं।
ऐसा कैसे हो रहा कि ढाई साल के बाद अपने देश लौटा बेटा माँ के लिए समय नहीं निकल पा रहा है.ऐसा भी तो नहीं है कि उसके पास गाड़ी-घोडा नहीं है.उसे तो बस सोचना है और सारा इन्तेजाम हो जायेगा.लगता है खली पहलवान कद-काठी से जितना बड़ा हुआ है,भावनाओं में उतना ही छोटा हो गया है.क्या आप को नहीं लगता कि उसे सबसे पहले अपनी माँ तंदी देवी का दर्शन करना चाहिए था और पिता ज्वाला राम का आशीर्वाद लेना चाहिए था।
हर भारतीय के मन में किसी न किसी रूप में फिल्मों से जुड़ने की दबी इच्छा रहती है.चवन्नी को लगता है कि खली पहलवान भी इसी इच्छा के वशीभूत होकर मुम्बई के चक्कर लगा रहा है.ख़बर मिली है कि उसे एक-दो फिल्में भी मिल गई हैं.
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माँ बाप के लिए समय नहीं होना दुखद है.