चुंबन चर्चा : हिन्दी फ़िल्म
हिन्दी फिल्मों में चुम्बन पर काफी कुछ किखा जाता रहा है.२००३ में मल्लिका शेरावत की एक फ़िल्म आई थी 'ख्वाहिश'.इस फ़िल्म में उन्होंने लेखा खोर्जुवेकर का किरदार निभाया था.फ़िल्म के हीरो हिमांशु मल्लिक थे.मल्लिक और मल्लिका की यह फ़िल्म चुंबन के कारन चर्चित हुई थी.इस फ़िल्म में एक,दो नहीं.... कुल १७ चुंबन थे। 'ख्वाहिश' ने मल्लिका को मशहूर कर दिया था और कुछ समय के बाद आई 'मर्डर' ने तो मोहर लगा दी थी कि मल्लिका इस पीढ़ी की बोल्ड और बिंदास अभिनेत्री हैं।
१७ चुंबन देख कर या उसके बारे में सुन कर दर्शक दांतों तले उंगली काट बैठे थे और उनकी पलकें झपक ही नहीं रहीं थीं.हिन्दी फिल्मों के दर्शक थोड़े यौन पिपासु तो हैं ही.बहरहाल चवन्नी आप को बताना चाहता है कि १९३२ में एक फ़िल्म आई थी 'ज़रीना',उस फ़िल्म में १७.१८.२५ नहीं .... कुल ८६ चुंबन दृश्य थे.देखिये गश खाकर गिरिये मत.उस फ़िल्म के बारे में कुछ और जान लीजिये।
१९३२ में बनी इस फ़िल्म को ८६ चुंबन के कारण कुछ दिनों के अन्दर ही सिनेमाघरों से उतारना पड़ा था.फ़िल्म के निर्देशक एजरा मीर थे.एजरा मीर बाद में डाक्यूमेंट्री फिल्मों के जनक माने गए.उनकी इस फ़िल्म में चार्ली,जाल,नज़ीर,याकूब और जुबैदा ने अभिनय किया था. इस फ़िल्म के प्रिंट और फोटो नहीं मिल पा रहे हैं.अगर आप को कहीं से जानकारी मिले तो बताएं।
हिन्दी फिल्मों के आरम्भिक दशकों में चुंबन खुलेआम चित्रित किया जाता था.आज़ादी के बाद ही इस आज़ादी पर पाबन्दी लगी। देश आजाद होने के बाद नैतिकता के पहरेदार सामने आए और सेंसर नीति बदली गई.उसके बाद इसे अश्लील,अनावश्यक और आपत्तिजनक मान लिया गया.गनीमत है कि अब निर्माता-निर्देशक फ़िल्म में चुंबन के महत्व को समझ रहे हैं.
Comments
शुक्रिया
वैसे कपिला जी का आइडिया भी धांसू है।
http://www1.chaffey.edu/news2/index.php?option=com_content&task=view&id=146&Itemid=63