फिल्मी चलन- एक प्रतिनिधि इंटरव्यू
इन दिनों फिल्म स्टार इंटरव्यू देने से भागते हैं.बेचारे पत्रकारों की समस्या का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.आम तौर पर फिल्म पत्रकारों को ही दोषी माना जाता है और कहा जाता है कि उनके पास सवाल नहीं रहते.ऊपर से फिल्म बिरादरी के लोग शिक़ायत करते हैं कि हम से एक ही तरह के सवाल पूछे जाते हैं।
चलिए आपको चवन्नी बताता है कि आम तौर पर ये इंटरव्यू कैसे होते हैं.मान लीजिये एक फिल्म 'मन के लड्डू' रिलीज हो रही है.इसमें कुछ बड़े कलाकार हैं.बड़ा बैनर और बड़ा निर्देशक भी है.फिल्म की रिलीज अगर १ मार्च है तो १५ फरवरी तक प्रोड्यूसर की तरफ से फिल्म का पी आर ओ एक मल्टी मीडिया सीडी भेजेगा.इस सीडी में चंद तस्वीरें,फिल्म की कहानी और फिल्म के कलाकारों की लिस्ट रहती है.इधर सीडी मिली नहीं कि अख़बारों में उसके आधार पर पहली झलक आने लगती है.न प्रोड्यूसर कुछ बताता है और न निर्देशक को फुरसत रहती है.अमूमन फिल्म की रिलीज के दो दिनों पहले तक फिल्म पर काम ही चल रहा होता है।
बहरहाल,इसके बाद तय किया जाता है कि फिल्म के स्टार इंटरव्यू देंगे.पत्रकार से पूछा जाता है कि क्या आप इंटरव्यू करना चाहेंगे?अब कौन मना करेगा?बताया जाता है कि आप १८ फरवरी को शाम में ६ बजे प्रोड्यूसर के ऑफिस में आ जाइये.वहाँ १०-१० के कमरे में सारे पत्रकार बिठा दिए जाते हैं.प्रोड्यूसर थोडा उदार हुआ तो चाय,ठंडा,पानी का इन्तेजाम कर देगा.अब सारे पत्रकार इंतज़ार शुरू करते हैं.पी आर ओ का आदमी बार-बार बताता रहेगा कि बस स्टार चल चुका है.मुम्बई की ट्रैफिक का बहाना बना कर आराम से हीरो दो घंटे देर से मुस्कराता हुआ पहुंचेगा.परिचित और सीनियर पत्रकारों से हाथ मिला कर वह सभी के गुस्से को शांत कर देगा.फिर इंटरव्यू शुरू होगा.वह मुखिया की तरह मध्य में बैठ जाएगा और पंचों और गाँव के लोगों की तरह सारे पत्रकार उसे घेर लेंगे।
अरे हाँ पी आर ओ का आदमी पहले ही बता देगा कि आप कोई पर्सनल सवाल नहीं पूछेंगे.सवाल सिर्फ फिल्मों से संबंधित हो.किसी पर्सनल सवाल से स्टार का मूड ऑफ़ हो गया तो मुश्किल होगी,क्योंकि इंटरव्यू नहीं होगा।
पहला सवाल-आप को इस रोल में क्या खास लगा?
स्टार-बहुत जबरदस्त रोल है.मैंने पहले कभी ऐसा रोल नहीं किया.मैं निर्देशक का एहसानमंद हूँ कि उन्होने मुझे इसके लिए चुना.इस रोल का ग्रे शेड मुझे पसंद है.अब आप ही बताएं कि है न जबरदस्त रोल।
(पत्रकारों के बीच फुसफुसाहट होती है ...हाँ...हाँ..सभी अपनी खीसें निपोर देते हैं।)
दूसरा सवाल-क्या रोल है और अगर कहानी बता सकें?
स्टार-कहानी तो मैं नहीं बता सकता.आप फिल्म देखें.हाँ,मेरे किरदार का नाम मनोज है और इस रोल के लिए मुझे वजन घटाना पड़ा.तीन महीने की मेहनत और कसरत से यह हो सका.हाँ,मेरे कपड़े विक्रम ने डिजाईन किये हैं.उनमें खास बात है.वे किरदारों के अनुरूप कपडे डिजाईन करते हैं.इतना ही कह सकता हूँ कि फिल्म की कहानी जबरदस्त है और बिल्कुल नए तरीके से निर्देशक ने इसे चित्रित किया है।
तीसरा सवाल-फिल्म की नायिका के बारे में क्या कहेंगे?
स्टार-जी उनकी क्या तारीफ करूं.वह बहुत सहयोग करती है.उनके रहने पर सेट का माहौल बहुत खुशगवार रहता है.मैंने उनके नखरों के बारे में सुना था,लेकिन मुझे कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ।
चौथा सवाल-और फिल्म के निर्देशक?
स्टार-उन्हें मालूम रहता है कि उन्हें क्या चाहिए.वह हम कलाकारों को निखरने का मौका देते है.बहुत फ़ोकस होकर काम करते हैं.आप यकीन मानें अभी कोई ऐसा निर्देशक नहीं है ,जो उनके जैसा काम कर सके।
पांचवां सवाल-शूटिंग कैसी रही?
स्टार-घरेलू माहौल था.बिल्कुल पिकनिक जैसा रहा.पता ही नहीं चला और शूटिंग खत्म हो गयी।अच्छा दोस्तों मैं थोडा जल्दी में हूँ...अगर और कोई सवाल हो तो फ़ोन कर लीजियेगा.स्टार किसी और का मोबाइल नंबर देकर चलता बनेगा...
चवन्नी ने स्टार के जवाब थोड़े छोटे कर दिए हैं.क्योंकि स्टार इसी को रबड़ की तरह खींच कर बताता है.और भी सवाल-जवाब होते हैं.उन पर फिर कभी।
इसके बाद पत्रकारों का काम शुरू होता है.वे इसे विशेष इंटरव्यू बताते हैं और अपनी तरफ से जोड़कर इसे पठनीय और रोचक बनाते हैं.किसी फिल्म की तरह ही इस तरह के ज्यादातर इंटरव्यू सच पर आधारित कल्पना से तैयार किया जाता है.उद्देश्य एक ही है कि मनोरंजन हो.पाठक पढें तो मनोरंजित हों.
चलिए आपको चवन्नी बताता है कि आम तौर पर ये इंटरव्यू कैसे होते हैं.मान लीजिये एक फिल्म 'मन के लड्डू' रिलीज हो रही है.इसमें कुछ बड़े कलाकार हैं.बड़ा बैनर और बड़ा निर्देशक भी है.फिल्म की रिलीज अगर १ मार्च है तो १५ फरवरी तक प्रोड्यूसर की तरफ से फिल्म का पी आर ओ एक मल्टी मीडिया सीडी भेजेगा.इस सीडी में चंद तस्वीरें,फिल्म की कहानी और फिल्म के कलाकारों की लिस्ट रहती है.इधर सीडी मिली नहीं कि अख़बारों में उसके आधार पर पहली झलक आने लगती है.न प्रोड्यूसर कुछ बताता है और न निर्देशक को फुरसत रहती है.अमूमन फिल्म की रिलीज के दो दिनों पहले तक फिल्म पर काम ही चल रहा होता है।
बहरहाल,इसके बाद तय किया जाता है कि फिल्म के स्टार इंटरव्यू देंगे.पत्रकार से पूछा जाता है कि क्या आप इंटरव्यू करना चाहेंगे?अब कौन मना करेगा?बताया जाता है कि आप १८ फरवरी को शाम में ६ बजे प्रोड्यूसर के ऑफिस में आ जाइये.वहाँ १०-१० के कमरे में सारे पत्रकार बिठा दिए जाते हैं.प्रोड्यूसर थोडा उदार हुआ तो चाय,ठंडा,पानी का इन्तेजाम कर देगा.अब सारे पत्रकार इंतज़ार शुरू करते हैं.पी आर ओ का आदमी बार-बार बताता रहेगा कि बस स्टार चल चुका है.मुम्बई की ट्रैफिक का बहाना बना कर आराम से हीरो दो घंटे देर से मुस्कराता हुआ पहुंचेगा.परिचित और सीनियर पत्रकारों से हाथ मिला कर वह सभी के गुस्से को शांत कर देगा.फिर इंटरव्यू शुरू होगा.वह मुखिया की तरह मध्य में बैठ जाएगा और पंचों और गाँव के लोगों की तरह सारे पत्रकार उसे घेर लेंगे।
अरे हाँ पी आर ओ का आदमी पहले ही बता देगा कि आप कोई पर्सनल सवाल नहीं पूछेंगे.सवाल सिर्फ फिल्मों से संबंधित हो.किसी पर्सनल सवाल से स्टार का मूड ऑफ़ हो गया तो मुश्किल होगी,क्योंकि इंटरव्यू नहीं होगा।
पहला सवाल-आप को इस रोल में क्या खास लगा?
स्टार-बहुत जबरदस्त रोल है.मैंने पहले कभी ऐसा रोल नहीं किया.मैं निर्देशक का एहसानमंद हूँ कि उन्होने मुझे इसके लिए चुना.इस रोल का ग्रे शेड मुझे पसंद है.अब आप ही बताएं कि है न जबरदस्त रोल।
(पत्रकारों के बीच फुसफुसाहट होती है ...हाँ...हाँ..सभी अपनी खीसें निपोर देते हैं।)
दूसरा सवाल-क्या रोल है और अगर कहानी बता सकें?
स्टार-कहानी तो मैं नहीं बता सकता.आप फिल्म देखें.हाँ,मेरे किरदार का नाम मनोज है और इस रोल के लिए मुझे वजन घटाना पड़ा.तीन महीने की मेहनत और कसरत से यह हो सका.हाँ,मेरे कपड़े विक्रम ने डिजाईन किये हैं.उनमें खास बात है.वे किरदारों के अनुरूप कपडे डिजाईन करते हैं.इतना ही कह सकता हूँ कि फिल्म की कहानी जबरदस्त है और बिल्कुल नए तरीके से निर्देशक ने इसे चित्रित किया है।
तीसरा सवाल-फिल्म की नायिका के बारे में क्या कहेंगे?
स्टार-जी उनकी क्या तारीफ करूं.वह बहुत सहयोग करती है.उनके रहने पर सेट का माहौल बहुत खुशगवार रहता है.मैंने उनके नखरों के बारे में सुना था,लेकिन मुझे कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ।
चौथा सवाल-और फिल्म के निर्देशक?
स्टार-उन्हें मालूम रहता है कि उन्हें क्या चाहिए.वह हम कलाकारों को निखरने का मौका देते है.बहुत फ़ोकस होकर काम करते हैं.आप यकीन मानें अभी कोई ऐसा निर्देशक नहीं है ,जो उनके जैसा काम कर सके।
पांचवां सवाल-शूटिंग कैसी रही?
स्टार-घरेलू माहौल था.बिल्कुल पिकनिक जैसा रहा.पता ही नहीं चला और शूटिंग खत्म हो गयी।अच्छा दोस्तों मैं थोडा जल्दी में हूँ...अगर और कोई सवाल हो तो फ़ोन कर लीजियेगा.स्टार किसी और का मोबाइल नंबर देकर चलता बनेगा...
चवन्नी ने स्टार के जवाब थोड़े छोटे कर दिए हैं.क्योंकि स्टार इसी को रबड़ की तरह खींच कर बताता है.और भी सवाल-जवाब होते हैं.उन पर फिर कभी।
इसके बाद पत्रकारों का काम शुरू होता है.वे इसे विशेष इंटरव्यू बताते हैं और अपनी तरफ से जोड़कर इसे पठनीय और रोचक बनाते हैं.किसी फिल्म की तरह ही इस तरह के ज्यादातर इंटरव्यू सच पर आधारित कल्पना से तैयार किया जाता है.उद्देश्य एक ही है कि मनोरंजन हो.पाठक पढें तो मनोरंजित हों.
Comments