एक तमाचे की झनझनाहट
एक तमाचे की ऐसी झनझनाहट की उम्मीद गोविन्दा ने तो नहीं ही की होगी.चवन्नी गोविंदा से कई दफा मिल चुका है.शोहरत की अपनी चालाकियों के बावजूद गोविंदा के अन्दर आज भी विरार का छोरा मौजूद है.निश्चित ही उस छोरे ने बदमाशी कर रहे प्रशंसक को तमाचा जड़ा होगा और अब उसका खामियाजा नेता गोविंदा झेल रहा है.अभिनेता गोविंदा को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.दूसरे अभिनेताओं ने बड़ी-बड़ी गलतियाँ की हैं और फिर भी शान से दांत निपोरे घूमते नज़र आते हैं।
चवन्नी ने गोविंदा को उस दौर में भी करीब से देखा है,जब वे हाथ मिलाने तक से हिचकिचाते थे,उन्हें यह वहम रहता था कि कोई उनकी जान के पीछे पड़ा है और उन्हें कोई ज़हर न दे दे.गोविंदा ने विवश होकर ही तमाचा मर होगा. वैसे चवन्नी का कोई इरादा नहीं है कि वह गोविंदा के बचाव में तर्क जुटाए।
फिल्म कलाकारों को करीब से देखनेवाले जानते हैं कि कई बार प्रशंसक अजीब सी बदतमीजियां करते हैं.चवन्नी शहर का नाम नहीं लेना चाहता.वह एक बार रितिक रोशन के साथ वहाँ गया था.उसने देखा कि ५०-५५ की उम्र की औरतें,जो रितिक की माँ से छोटी नहीं होंगी...उस उम्र की महिलायें रितिक को चिकोटी काट रही हैं.चवन्नी को रितिक की रोनी सूरत आज भी याद है।
गोविंदा के तमाचे की झनझनाहट गूँज में बदल गयी है और शायद दिल्ली में भी सुनाई पड़ी है.तभी to चवन्नी के चीची भाई सफ़ाई देते फिर रहे हैं उनहोंने घोषणा की है कि वे अमिताभ बच्चन का रास्ता अख्तियार करेंगे.राजनीति छोड़ देंगे और एक्टिंग पर ध्यान देंगे.यह उनका फैसला है.ठीक ही होगा,लेकिन इस संदर्भ में उनहोंने सुनील दत्त का नाम नाहक घसीट लिया कि वे उनकी तरह राजनीति में नहीं फँसे रहेंगे,चवन्नी को लगता है कि गोविंदा की राजनीतिक समझ गड़बड़ है.
चवन्नी ने गोविंदा को उस दौर में भी करीब से देखा है,जब वे हाथ मिलाने तक से हिचकिचाते थे,उन्हें यह वहम रहता था कि कोई उनकी जान के पीछे पड़ा है और उन्हें कोई ज़हर न दे दे.गोविंदा ने विवश होकर ही तमाचा मर होगा. वैसे चवन्नी का कोई इरादा नहीं है कि वह गोविंदा के बचाव में तर्क जुटाए।
फिल्म कलाकारों को करीब से देखनेवाले जानते हैं कि कई बार प्रशंसक अजीब सी बदतमीजियां करते हैं.चवन्नी शहर का नाम नहीं लेना चाहता.वह एक बार रितिक रोशन के साथ वहाँ गया था.उसने देखा कि ५०-५५ की उम्र की औरतें,जो रितिक की माँ से छोटी नहीं होंगी...उस उम्र की महिलायें रितिक को चिकोटी काट रही हैं.चवन्नी को रितिक की रोनी सूरत आज भी याद है।
गोविंदा के तमाचे की झनझनाहट गूँज में बदल गयी है और शायद दिल्ली में भी सुनाई पड़ी है.तभी to चवन्नी के चीची भाई सफ़ाई देते फिर रहे हैं उनहोंने घोषणा की है कि वे अमिताभ बच्चन का रास्ता अख्तियार करेंगे.राजनीति छोड़ देंगे और एक्टिंग पर ध्यान देंगे.यह उनका फैसला है.ठीक ही होगा,लेकिन इस संदर्भ में उनहोंने सुनील दत्त का नाम नाहक घसीट लिया कि वे उनकी तरह राजनीति में नहीं फँसे रहेंगे,चवन्नी को लगता है कि गोविंदा की राजनीतिक समझ गड़बड़ है.
Comments
गूंज़ सदा गूंजेगी
चांटा
गोविन्दा ने
बांटा
नेताओं ने
उसे घोटा
लेकर मौका
बेमौका
देते रहते हैं
धोखा
बिना धोये
खा
चांटा भी
धोखा जी