फिल्मों के बाद सीरियल के रिमेक

-अजय ब्रह्मात्मज

लगभग बीस साल पहले दूरदर्शन के दिनों में रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण और बी।आर. चोपड़ा के महाभारत के प्रसारण ने इतिहास रचा था। कहते हैं, महाभारत और रामायण के प्रसारण के समय मुहल्ले और गलियां सूनी हो जाती थीं। चूंकि टीवी उस वक्त तक घर-घर नहीं पहुंचा था, इसलिए पड़ोसी परिवारों के लोग एक साथ बैठकर इन पौराणिक धारावाहिकों का आनंद उठाते थे। पिछले बीस वर्षो में दर्शकों और टीवी कार्यक्रमों में भारी बदलाव आ चुका है, लेकिन लगता है टीवी मनोरंजन का इतिहास खुद को दोहराने की स्थिति में आ गया है। बड़े जोर-शोर से एक नए चैनल पर रामायण का प्रसारण होने जा रहा है और महाभारत की तैयारियां चल रही हैं।

नए रामायण से हम नवीनता या प्रयोग की उम्मीद नहीं कर सकते, क्योंकि इसे सागर आ‌र्ट्स के बैनर के तहत ही बनाया जा रहा है। हां, बीस साल पहले इसके निर्देशक रामानंद सागर थे। अब निर्देशन की कमान उनके पोते शक्ति सागर ने संभाली है। कहना मुश्किल है कि कहानी और प्रस्तुति के स्तर पर कितना परिवर्तन होगा। वैसे, शक्ति सागर ने बताया है कि पिछली बार जो चीजें छूट गई थीं, इस बार वे सारी चीजें दिखाई जाएंगी। सवाल उठता है कि वे क्या चीजें हैं, जो छूट गई थीं? क्या कोई नई व्याख्या होगी? या कोई नया कथा प्रसंग होगा? रामायण के प्रसारण के बाद उसको लेकर काफी विचार-विमर्श हुआ था। कुछ समाजशास्त्री की राय में देश में आए भगवा उफान की पीठिका में इस सीरियल का भी प्रभाव था। बाद में इस सीरियल के कई कलाकार भाजपा के मंच पर देखे गए और उनमें से कुछ को चुनाव के टिकट भी दिए गए। क्या फिर से इतिहास खुद को दोहरा रहा है? या किसी नए उफान का संकेत है यह?

इधर रामायण का प्रसारण आरंभ होना है और उधर महाभारत की सुगबुगाहट आरंभ हो गई। खबरों के मुताबिक स्टार टीवी पर महाभारत का प्रसारण होगा और बॉबी बेदी इसका निर्माण करेंगे। क्रिएटिव सहयोग और निर्देशन के लिए बॉबी बेदी ने डॉ। चंद्रप्रकाश द्विवेदी का चुनाव किया है। इसका आरंभिक लेखन फारूक ढोंडी करेंगे। गौरतलब है कि डॉ. द्विवेदी ने दूरदर्शन के लिए चाणक्य का निर्देशन किया था। एक अर्से बाद वे फिर से धारावाहिकों की दुनिया में लौट रहे हैं।

रामायण और महाभारत पर नए सिरे से धारावाहिकों के निर्माण और प्रसारण से ऐसा लग रहा है कि टीवी इंडस्ट्री में सीरियलों के रिमेक का फैशन आरंभ होगा। धार्मिक और पौराणिक सीरियल फिर से बनाए जा सकते हैं। हो सकता है कि मशहूर सीरियलों के सिक्वल में भी चैनल अधिकारियों और दर्शकों की रुचि बढ़े। नुक्कड़, खानदान और ये जो है जिंदगी जैसे सीरियल के सिक्वल या अगले एपिसोड आराम से तैयार किए जा सकते हैं। फिल्मों के बाद सीरियल में रिमेक और सिक्वल का दौर आ सकता है।

दरअसल , रोचक विषयों का ऐसा अभाव है कि चैनल अधिकारी दर्शकों को उलझाए रखने और अपने चैनलों से बांधे रखने के लिए नई युक्तियों की तलाश में रहते हैं। दर्शक भी सास-बहू के सीरियल देखते-देखते थक गए हैं। लोग गौर करें, तो सीरियलों के केंद्र में भी अब बहू की जगह बेटी और बहनों ने ले ली है। ऐसा लग रहा है कि एक अंतराल के बाद टीवी मनोरंजन में नैरेटिव के स्तर पर बदलाव आने जा रहा है। अभी देखना है कि नई पीढ़ी के दर्शक रामायण और महाभारत जैसे सीरियल से जुड़ पाते हैं या नहीं? अगर पुरानी गति और प्रस्तुति रही, तो आज के दर्शक चैनल बदलने में नहीं हिचकिचाएंगे। यह दूरदर्शन का दौर नहीं है, जब टीवी का नया-नया प्रसार हुआ था और दर्शकों के पास कोई विकल्प नहीं था।

Comments

VIMAL VERMA said…
चवन्नी भाई,जानकारी तो आपने अच्छी दी है,और टेलिविज़न में इस तरह पौराणिक कथाओं के लिये शनिवार और इतवार का दिन तय था पर इस नये चैनल ने इसको दिखाने के लिये पूरे हफ़ते दिखाने का फ़ैसला एक दाँव ही है,क्योकि अरुण गोविल और दीपिका चिकालिया का राम और सीता के रूप जन मानस में आज भी वैसा ही बना हुआ है,और कम से कम नये राम के बारे में अभी से कहना लोगों ने शुरू कर दिया है कि मॉडल ज़्यादा लग रहा है ये भी कि ये वाला राम थोड़ा सूखा सूखा भी लग रहा है, और हनुमान के रूप में दारा सिह की जगह और कौन ले सकता है? वैसे दीपिका सीता का अभिनय करके सांसद तो बन गईं, पर अरून गोविल पर राम इतना भारी पड़े कि कभी भी वो इससे उबर नहीं पाये, पर देखते हैं रामायण और महाभारत दुबारा क्या गुल खिलाते हैं?
Unknown said…
डेली सोप बनाने के अपने खतरे हैं.चवन्नी की जानकारी में महाभारत भी डेली सोप के तौर पर ही आएगा.रामायण और भारत की अनुपम थाती हैं.इन्हें बार-बार देखने की जरूरत है.

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