कूल और कामयाब हैं रितिक रोशन
-अजय ब्रह्मात्मज
जन्मदिन, 10 जनवरी पर विशेष..
अगर आपके समकालीन और प्रतिद्वंद्वी आपकी सराहना करें, तो इसका मतलब यही है कि आपने कुछ हासिल कर लिया है। पूरी दुनिया से स्वीकृति मिलने के बाद भी प्रतिद्वंद्वी आपकी उपलब्धियों को नजरंदाज करते हैं। पिछले दिनों एक बातचीत में अभिषेक बच्चन ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी रितिक रोशन की खुली तारीफ की। फिल्मों के चुनाव से लेकर अभिनय तक में उनकी विविधता का उल्लेख किया और स्वीकार किया कि रितिक ने थोड़े समय में ही ज्यादा सफल फिल्में दी हैं। हां, यह सच भी है, क्योंकि रितिक रोशन ने पिछले आठ सालों में केवल तेरह फिल्में की हैं और उनमें से सच तो यह है कि पांच फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की है। रितिक रोशन ने अभी तक केवल चुनिंदा फिल्में की हैं। उनके समकालीनों में अभिषेक बच्चन, विवेक ओबेराय और जॉन अब्राहम ने उनसे ज्यादा फिल्में जरूर कर ली हैं, लेकिन फिर भी वे काम और कामयाबी के लिहाज से रितिक रोशन से काफी पीछे हैं।
रितिक रोशन के रातोंरात स्टार बनने का गवाह रहा है दैनिक जागरण। पहली फिल्म कहो ना प्यार है के समय से रितिक रोशन और दैनिक जागरण का साथ रहा है। इस फिल्म के सिलसिले में पहली बार मुंबई से बाहर निकले रितिक रोशन से जब यह पूछा गया था कि वे अपने प्रति दर्शकों की दीवानगी को किस रूप में लेते हैं? उन्होंने स्वाभाविक विनम्रता के साथ कहा था, लोगों की दीवानगी को मैं अपनी सराहना समझता हूं। मुझे लगता है कि वे पसंद कर रहे हैं। रितिक ने अपने दीवानों और प्रशंसकों को हमेशा पूरा आदर और स्नेह दिया। बहुत मुश्किल होता है हर किसी से मुस्करा कर मिलना। अगर दिन में पांच सौ लोगों से हाथ मिलाना पड़े और हर बार मुस्कराना पड़े, तो हाथ और होंठ में दर्द होने लगता है। फिर व्यवहार और मुस्कराहट में कृत्रिमता आ जाती है, लेकिन रितिक के साथ ऐसा नहीं है। वे प्रशंसकों के स्पर्श को इनाम समझते हैं। उन्हीं दिनों रितिक ने कहा था, मुझे मालूम है कि यह ऊंचाई महंगी पड़ेगी, क्योंकि यहां से सीधी ढलान होगी। कहो ना प्यार है के बाद की असफलता के दौर में वन फिल्म वंडर के ताने सुनने के बावजूद रितिक कूल बने रहे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, मैं लौटूंगा और वादा करता हूं कि दस सालों में शाहरुख खान से आगे निकल जाऊंगा, लेकिन मुझे दस साल का वक्त चाहिए। ऐसे बयानों को बड़बोलापन समझने वालों के सामने रितिक ने अपनी लगन, मेहनत और परफेक्ट एटीट्यूड से साबित किया कि वे नापतौल कर ही फिल्में चुनते हैं। रितिक की लगन और मेहनत के ताजा प्रशंसक निर्देशक आशुतोष गोवारीकर हैं। उनकी फिल्म जोधा अकबर हाल ही में पूरी हुई है। आशुतोष बताते हैं, इस फिल्म की वेशभूषा से लेकर भाषा तक के प्रति रितिक रोशन अतिरिक्त रूप से सावधान रहे। अतिरिक्त इसलिए कि सामान्य तौर पर एक्टर अपने रोल के प्रति इतने गंभीर नहीं होते। पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और रितिक के प्रशंसक जोधा अकबर में उनकी भूमिका को लेकर जिज्ञासु हैं। युवा अभिनेताओं में अभी तक किसी और ने ऐसी चुनौतीपूर्ण भूमिका स्वीकार नहीं की है। खबर तो यह भी है कि श्याम बेनेगल ने उन्हें बुद्ध का रोल ऑफर किया है।
एक नजर में
जन्मतिथि- 10 जनवरी,1974
सहायक निर्देशक- खुदगर्ज, करण-अर्जुन, कोयला।
बाल कलाकार- आपके दीवाने (1980), आशा (1980), भगवान दादा (1986)।
बतौर नायक - कहो ना प्यार है (2000), फिजा, मिशन कश्मीर, यादें, कभी खुशी कभी गम, आप मुझे अच्छे लगने लगे, न तुम जानो न हम, मुझसे दोस्ती करोगे, मैं प्रेम की दीवानी हूं, कोई मिल गया, लक्ष्य, कृष और धूम-2।
आने वाली फिल्में- जोधा अकबर
अगर आपके समकालीन और प्रतिद्वंद्वी आपकी सराहना करें, तो इसका मतलब यही है कि आपने कुछ हासिल कर लिया है। पूरी दुनिया से स्वीकृति मिलने के बाद भी प्रतिद्वंद्वी आपकी उपलब्धियों को नजरंदाज करते हैं। पिछले दिनों एक बातचीत में अभिषेक बच्चन ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी रितिक रोशन की खुली तारीफ की। फिल्मों के चुनाव से लेकर अभिनय तक में उनकी विविधता का उल्लेख किया और स्वीकार किया कि रितिक ने थोड़े समय में ही ज्यादा सफल फिल्में दी हैं। हां, यह सच भी है, क्योंकि रितिक रोशन ने पिछले आठ सालों में केवल तेरह फिल्में की हैं और उनमें से सच तो यह है कि पांच फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की है। रितिक रोशन ने अभी तक केवल चुनिंदा फिल्में की हैं। उनके समकालीनों में अभिषेक बच्चन, विवेक ओबेराय और जॉन अब्राहम ने उनसे ज्यादा फिल्में जरूर कर ली हैं, लेकिन फिर भी वे काम और कामयाबी के लिहाज से रितिक रोशन से काफी पीछे हैं।
रितिक रोशन के रातोंरात स्टार बनने का गवाह रहा है दैनिक जागरण। पहली फिल्म कहो ना प्यार है के समय से रितिक रोशन और दैनिक जागरण का साथ रहा है। इस फिल्म के सिलसिले में पहली बार मुंबई से बाहर निकले रितिक रोशन से जब यह पूछा गया था कि वे अपने प्रति दर्शकों की दीवानगी को किस रूप में लेते हैं? उन्होंने स्वाभाविक विनम्रता के साथ कहा था, लोगों की दीवानगी को मैं अपनी सराहना समझता हूं। मुझे लगता है कि वे पसंद कर रहे हैं। रितिक ने अपने दीवानों और प्रशंसकों को हमेशा पूरा आदर और स्नेह दिया। बहुत मुश्किल होता है हर किसी से मुस्करा कर मिलना। अगर दिन में पांच सौ लोगों से हाथ मिलाना पड़े और हर बार मुस्कराना पड़े, तो हाथ और होंठ में दर्द होने लगता है। फिर व्यवहार और मुस्कराहट में कृत्रिमता आ जाती है, लेकिन रितिक के साथ ऐसा नहीं है। वे प्रशंसकों के स्पर्श को इनाम समझते हैं। उन्हीं दिनों रितिक ने कहा था, मुझे मालूम है कि यह ऊंचाई महंगी पड़ेगी, क्योंकि यहां से सीधी ढलान होगी। कहो ना प्यार है के बाद की असफलता के दौर में वन फिल्म वंडर के ताने सुनने के बावजूद रितिक कूल बने रहे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, मैं लौटूंगा और वादा करता हूं कि दस सालों में शाहरुख खान से आगे निकल जाऊंगा, लेकिन मुझे दस साल का वक्त चाहिए। ऐसे बयानों को बड़बोलापन समझने वालों के सामने रितिक ने अपनी लगन, मेहनत और परफेक्ट एटीट्यूड से साबित किया कि वे नापतौल कर ही फिल्में चुनते हैं। रितिक की लगन और मेहनत के ताजा प्रशंसक निर्देशक आशुतोष गोवारीकर हैं। उनकी फिल्म जोधा अकबर हाल ही में पूरी हुई है। आशुतोष बताते हैं, इस फिल्म की वेशभूषा से लेकर भाषा तक के प्रति रितिक रोशन अतिरिक्त रूप से सावधान रहे। अतिरिक्त इसलिए कि सामान्य तौर पर एक्टर अपने रोल के प्रति इतने गंभीर नहीं होते। पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और रितिक के प्रशंसक जोधा अकबर में उनकी भूमिका को लेकर जिज्ञासु हैं। युवा अभिनेताओं में अभी तक किसी और ने ऐसी चुनौतीपूर्ण भूमिका स्वीकार नहीं की है। खबर तो यह भी है कि श्याम बेनेगल ने उन्हें बुद्ध का रोल ऑफर किया है।
एक नजर में
जन्मतिथि- 10 जनवरी,1974
सहायक निर्देशक- खुदगर्ज, करण-अर्जुन, कोयला।
बाल कलाकार- आपके दीवाने (1980), आशा (1980), भगवान दादा (1986)।
बतौर नायक - कहो ना प्यार है (2000), फिजा, मिशन कश्मीर, यादें, कभी खुशी कभी गम, आप मुझे अच्छे लगने लगे, न तुम जानो न हम, मुझसे दोस्ती करोगे, मैं प्रेम की दीवानी हूं, कोई मिल गया, लक्ष्य, कृष और धूम-2।
आने वाली फिल्में- जोधा अकबर
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