अजय देवगन से अजय ब्रह्मात्मज की मुलाक़ात


-अजय ब्रह्मात्मज


अजय देवगन पिछले दिनों गोवा में फिल्म गोलमाल रिट‌र्न्स की शूटिंग कर रहे थे। रोहित शेट्टी निर्देशित इस फिल्म के कलाकार हैं करीना कपूर, तुषार कपूर, अरशद वारसी और अमृता अरोड़ा। सेट पर ही अजय देवगन से मुलाकात हुई। उनसे बातचीत शुरू हुई इस सवाल के साथ कि आपकी दो फिल्में लगातार आएंगी हल्ला बोल और संडे। क्या इनमें गैप रखना उचित नहीं होगा? वे कहते हैं, फिल्म हल्ला बोल पहले 2007 में रिलीज होने वाली थी। 21 दिसंबर की तारीख भी फाइनल हो गई थी, लेकिन उसी दिन आमिर खान की फिल्म तारे जमीं पर और अक्षय कुमार की वेलकम आ रही थी। इसलिए मुझे उसी दिन हल्ला बोल को रिलीज करना सही नहीं लगा। इसी कारण यह फिल्म खिसक कर जनवरी में आ गई। संडे की रिलीज तारीख को आगे खिसकाना संभव नहीं था। संयोग ही कहें कि बैक-टू-बैक मेरी फिल्में आ रही हैं। वैसे बैक-टू-बैक रिलीज होने पर मेरी फिल्में चलती हैं।
फिल्म हल्ला बोल के बारे में अजय बताते हैं, जिसको लेकर चर्चा है कि यह गंगाजल और अपहरण जैसी लग रही है, यह वैसी फिल्म नहीं है। उनसे ज्यादा कॉमर्शिअॅल है। दरअसल, राजकुमार संतोषी को कॉमर्शिअॅल ढांचा पसंद है, इसीलिए उन्होंने इसी ढांचे में रहते हुए कुछ कहने की कोशिश की है। ऐसी स्क्रिप्ट पाना मुश्किल होता है, जिसमें ह्यूमर, एक्शन, ड्रामा, सब कुछ हो। फिल्म लोगों से क्या कहती है? अजय बताते हैं, सीधी-सी बात है। अगर आपकी आंख के सामने कुछ गलत हो रहा है, तो आपको इंतजार नहीं करना चाहिए। आपको यह इंतजार नहीं करना चाहिए कि कोई कुछ करेगा या सरकार कोई कदम उठाएगी, क्योंकि आवाज आप ही को उठानी पड़ेगी। फिल्म के अंदर जेसिका लाल जैसा एक प्रसंग है, जिसमें आप देखेंगे कि अवाम और मीडिया के आवाज उठाने पर ही कुछ हो सका। फिल्म में एक संवाद है कि कोई किसी को पीट रहा है और आप कुछ नहीं करते, तो अगली बार आपकी पिटाई हो सकती है, तब भी कोई बचाने नहीं आएगा।
फिल्म में अजय की भूमिका एक फिल्म एक्टर की है। वे बताते हैं, छोटे शहर से बड़े ख्वाब लेकर यह एक्टर आता है और अपने मेहनत से स्टारडम हासिल करता है। स्टारडम और कामयाबी पाने के बाद वह कैसे बदलता है। सिस्टम कैसे बदलता है उसे। फिर उसके सामने परीक्षा की घड़ी आती है। उसे तय करना है कि सच्चाई के साथ खड़ा रहे या अपनी आंखें मूंद ले। अगर वह सच्चाई के साथ खड़ा रहेगा, तो उसे सब कुछ खोना पड़ सकता है। वह कैसे यह जोखिम उठाता है, यही इसकी कहानी है। फिल्म में मैंने वह सब कुछ किया है, जो स्टार के तौर पर मैं खुद नहीं करता।
अजय से बात होती है कि ऐसा रोल करने में उन्हें दिक्कत भी आई होगी? वे कहते हैं, नहीं, यही तो एक्टिंग है। हम जो हैं, वही पर्दे पर दिखें, तो फिर कैसे अलग-अलग किरदारों को निभा पाएंगे! मैं एक्टर हूं, लेकिन इस फिल्म का किरदार मुझसे मिजाज और व्यवहार में अलग है। मुझे उसी को पर्दे पर साकार करना था, ताकि आप उस स्टार के अंतद्र्वद्व को समझ सकें।
अजय निर्देशन में उतरे और फिल्म पूरी कर ली। उसके बारे में वे कहते हैं, उस फिल्म के बारे में उसकी रिलीज के समय बताऊंगा। अभी कुछ बताना जल्दबाजी होगी। मेरी फिल्म का नाम यू, मी और हम है। फिल्म का विषय भावना प्रधान है। क्या निर्देशक बनने की ख्वाहिश पहले से थी? अजय झट से कहते हैं, हां, कम लोग जानते हैं कि मैंने निर्देशन से ही अपने करियर की शुरुआत की थी। शेखर कपूर का सहायक था मैं। उससे पहले अपनी फिल्में बनाया करता था। उन फिल्मों को देखकर ही शेखर कपूर ने बुलाया। उनके साथ कुछ ऐड फिल्में कीं और दुश्मनी में सहायक रहा। बाद में आधी फिल्म छोड़कर एक्टिंग में आ गया। इस साल आई अजय की फिल्में नहीं चलीं। इस बारे में उनका स्पष्ट मानना है, क्योंकि वे खराब फिल्में थीं। उन फिल्मों में कमियां थीं। उन पर बातें करना उचित नहीं है। अजय की दूसरी फिल्म संडे कॉमेडी फिल्म बताई जा रही है? वे कहते हैं, उसमें कॉमेडी के साथ एक्शन भी है। यह थोड़ी अलग किस्म की फिल्म है। रोहित शेट्टी ने बहुत अच्छी कहानी चुनी है। फिल्म की कास्ट भी अलग है। मुझे कॉमेडी करने में मजा आता है। संडे फन फिल्म है।
देखा गया है कि अजय की सोशल फिल्में अधिक पसंद की जाती हैं? वे कहते हैं, मेरी समझ से यह अच्छी बात है। वैसे, हम लोग फिल्म करते वक्त ही समझ जाते हैं कि यह कैसी बनी है? कई बार ऐसा भी होता है कि फिल्म अच्छी बनती है, लेकिन दर्शकों को वे पसंद नहीं आती। इन दिनों स्लो फिल्म नहीं चल सकती। रेनकोट का विषय अच्छा था, लेकिन मुझे लग गया था कि फिल्म नहीं चलेगी। वह बहुत ही स्लो फिल्म थी। सिर्फ अच्छा क्लाइमेक्स देखने के लिए दर्शक दो ढाई घंटे नहीं बैठेंगे!
अजय एक एनिमेशन फिल्म भी कर रहे थे? वे कहते हैं, उसका नाम टुनपुर का सुपर हीरो है। उसकी तैयारी चल रही है। एनिमेशन और लाइव कैरेक्टर के साथ यह फिल्म बनेगी। फिल्म की एनिमेटेड दुनिया रहेगी, जिसमें जिंदा किरदार भी होंगे। राजकुमार संतोषी के साथ अजय अशोक भी कर रहे हैं, जिसकी चर्चा कुछ समय पहले से है? वे स्वीकारते हैं, हां, उसकी तैयारी चल रही है। संतोषी जी अमेरिका गए हैं। वहां वे फिल्म के तकनीशियन फाइनल करने गए हैं। मैं उनके साथ ही बाद में रामायण भी कर रहा हूं।

Comments

अजय से मिलवाने के लिए शुक्रिया अजय जी

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को