हिन्दी प्रदेशों से क्यों नहीं आते हीरो?

नए साल में चवन्नी की चाहत है कि उसकी बिरादरी के लोगों की सक्रियता बढे.सवाल है कि यह सक्रियता कैसे बढेगी?एक तरीका यह हो सकता है कि सामूहिक ब्लोग मोहल्ला और भड़ास कि तरह चवन्नी भी सिनेमा के शौकीनों को आमंत्रित करे और उनकी बातें यहाँ रखे।
एक दूसरा तरीका यह हो सकता है कि अगर आप में से कोई भी सिनेमा के किसी भी पहलू पर कुछ लिखना या बताना चाहता है तो वह चवन्नी को मेल कर दे और चवन्नी उसे फटाफट ब्लोग पर डाल दे.इस प्रसंग में कई मुद्दों पर सामूहिक बहस हो सकती है और कई नए विचार और दृष्टिकोण सामने आ सकते हैं।
मसलन एक लंबे समय के बाद फिल्म इंडस्ट्री के बाहर का एक नौजवान फिल्मों में आ रहा है.निखिल द्विवेदी का संबंध इलाहबाद से रहा है.वे आज भी खुद को इलाहाबादी ही कहते हैं.सवाल है कि हिन्दी प्रदेशों से हीरो क्यों नहीं आते?संभव है कि यह सवाल आपके मन में भी आया हो और आपके पास भी इसके जवाब हों.क्यों न हम इस मुद्दे पर विमर्श करें?
और भी कई सवाल हैं.जैसे की दर्शक बदले हैं और सिनेमा देखने का तरीका भी बदला है.अनंत फिल्में हैं और अनंत है फिल्मों से संबंधित कथाएँ...आइये एक ने शुरुआत करें।

चवन्नी का मेल आईडी है-chavannichap@gmail.com

Comments

Anonymous said…
chavanni ji,
main likhna chahta hoon.

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