बधाई विद्या...जन्मदिन की बधाई
माफ़ करें.पहली बार ऐसा हुआ.न जाने कैसे इस पोस्ट का शीर्षक ही पहली बार पोस्ट हो पाया.शायद चवन्नी ने ही गफलत में कोई और बटन दबा दिया होगा।
आज विद्या बालन का जन्मदिन है.क्या आप ने बधाई भेजी?मीडिया ने विद्या के जन्मदिन पर कोई हो-हल्ला नहीं किया.चवन्नी की मानें तो विद्या अभी बिकाऊ वस्तु नहीं बनी हैं.यह विद्ता और उनके प्रशंसकों के लिए अच्छी बात है.बहुत बारीक़ से लकीर होती है.लोकप्रियता और बाज़ार के लिए उपयोगी होने में इसी लकीर से अंतर आता है.बाज़ार को लगता है कि विद्या अभी उत्पाद बेचने में उपयोगी नहीं हैं,इसलिए उनकी लोकप्रियता के बावजूद वह उन्हें तवज्जो नहीं देता.अगर बाज़ार महत्व नहीं देता तो मीडिया भी नज़रंदाज कर देता है।
विद्या से चवन्नी की मुलाक़ात है.परिणीता की रिलीज के समय ही यह मुलाक़ात हुई थी.जब भी कोई नयी फिल्म रिलीज होने को होती है तो उस फिल्म के स्टार और बाकी सदस्यों से पत्रकारों की मुलाक़ात करवाई जाती है.ऐसी मुलाकातों के लिए ८-१० पत्रकारों को एक साथ बिठा दिया जाता है और फिर घिसी-पिटी बातचीत होती है.मसलन यह रोल कैसे मिला?रोल के लिए कैसे तैयारी की?निर्देशक और नायक के साथ कैसी निभी?ऐसे सवाल पत्रकारों की सोच और समझ की सीमा के कारण नहीं पूछे जाते.एक परिपाटी बन गयी है कि ऐसे ही सवाल पूछ सकते हैं।
चवन्नी को भी ऐसी बातचीत के लिए बुलाया गया था.चवन्नी ने आदतन मन कर दिया था.चवन्नी सीधी और अकेली बातचीत में यकीन रखता है.चवन्नी को चेतावनी दी गयी कि फिर तो उनके घर जाना होगा.जो लोग मुम्बई से परिचित हैं,वे बता सकते हैं कि पश्चिमी उपनगर के लोग क्यों सेन्ट्रल लाइन में जाने से घबराते हैं.चवन्नी सहज ही तैयार हो गया.वह उनके घर गया और उनकी अमिट यादें लेकर लौटा।
विद्या के बारे में ज्यादा बताने की ज़रूरत नहीं है.पिछले साल विद्या की चार फिल्में रिलीज हुईं.गुरु,सलाम-ए-इश्क,हे बेबी और भूल भुलैया ...इन चारों फिल्मों में विद्या ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया,लेकिन उनकी कोई चर्चा नहीं सुनाई पड़ रही है.पूछने पर विद्या कहती हैं कि जब तक मुझे दर्शकों का प्यार और निर्देशकों की फिल्में मिल रही हैं,तब तक मुझे कोई चिंता नहीं हैं।
चवन्नी ने कुछ समय पहले दिल्ली-दरभंगा लेने पर विद्या बालन से अविनाश की बातचीत पढ़ी थी .आप भी पढें .विद्या को करीब से जानने का मौका मिलेगा.
आज विद्या बालन का जन्मदिन है.क्या आप ने बधाई भेजी?मीडिया ने विद्या के जन्मदिन पर कोई हो-हल्ला नहीं किया.चवन्नी की मानें तो विद्या अभी बिकाऊ वस्तु नहीं बनी हैं.यह विद्ता और उनके प्रशंसकों के लिए अच्छी बात है.बहुत बारीक़ से लकीर होती है.लोकप्रियता और बाज़ार के लिए उपयोगी होने में इसी लकीर से अंतर आता है.बाज़ार को लगता है कि विद्या अभी उत्पाद बेचने में उपयोगी नहीं हैं,इसलिए उनकी लोकप्रियता के बावजूद वह उन्हें तवज्जो नहीं देता.अगर बाज़ार महत्व नहीं देता तो मीडिया भी नज़रंदाज कर देता है।
विद्या से चवन्नी की मुलाक़ात है.परिणीता की रिलीज के समय ही यह मुलाक़ात हुई थी.जब भी कोई नयी फिल्म रिलीज होने को होती है तो उस फिल्म के स्टार और बाकी सदस्यों से पत्रकारों की मुलाक़ात करवाई जाती है.ऐसी मुलाकातों के लिए ८-१० पत्रकारों को एक साथ बिठा दिया जाता है और फिर घिसी-पिटी बातचीत होती है.मसलन यह रोल कैसे मिला?रोल के लिए कैसे तैयारी की?निर्देशक और नायक के साथ कैसी निभी?ऐसे सवाल पत्रकारों की सोच और समझ की सीमा के कारण नहीं पूछे जाते.एक परिपाटी बन गयी है कि ऐसे ही सवाल पूछ सकते हैं।
चवन्नी को भी ऐसी बातचीत के लिए बुलाया गया था.चवन्नी ने आदतन मन कर दिया था.चवन्नी सीधी और अकेली बातचीत में यकीन रखता है.चवन्नी को चेतावनी दी गयी कि फिर तो उनके घर जाना होगा.जो लोग मुम्बई से परिचित हैं,वे बता सकते हैं कि पश्चिमी उपनगर के लोग क्यों सेन्ट्रल लाइन में जाने से घबराते हैं.चवन्नी सहज ही तैयार हो गया.वह उनके घर गया और उनकी अमिट यादें लेकर लौटा।
विद्या के बारे में ज्यादा बताने की ज़रूरत नहीं है.पिछले साल विद्या की चार फिल्में रिलीज हुईं.गुरु,सलाम-ए-इश्क,हे बेबी और भूल भुलैया ...इन चारों फिल्मों में विद्या ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया,लेकिन उनकी कोई चर्चा नहीं सुनाई पड़ रही है.पूछने पर विद्या कहती हैं कि जब तक मुझे दर्शकों का प्यार और निर्देशकों की फिल्में मिल रही हैं,तब तक मुझे कोई चिंता नहीं हैं।
चवन्नी ने कुछ समय पहले दिल्ली-दरभंगा लेने पर विद्या बालन से अविनाश की बातचीत पढ़ी थी .आप भी पढें .विद्या को करीब से जानने का मौका मिलेगा.
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