कुछ अफवाहें तारे ज़मीन पर को लेकर
आमिर खान चाहें न चाहें वह विवादों में रहने के लिए अभिशप्त हैं.उनकी सबसे बड़ी दिक्कत उनकी बिरादरी के ही लोग हैं.उन्हें लगता है कि उनके बीच रहते हुए यह आदमी कैसे बदल गया?वह उनकी तरह ही क्यों नही सोचता या उनके जैसा ही डरा हुआ क्यों नही रहता.और फिर बड़ी-बड़ी बातें क्यों करता है?निशित रुप से आमिर खान में बदलाव आया है.वे खुद इस बदलाव को घुलाम के समय से देखते हैं.उनके प्रशंसक भी मानते हैं कि सरफ़रोश के बाद आमिर की सोच और फिल्मों में गुणात्मक बदलाव आया है.बस यही कारण है कि सभी की निगाह आमिर पर लगी रहती है।
देश का एक बड़ा मीडिया हाउस कुछ कारणों से आमिर खान को पसंद नही करता,क्योंकि आमिर ने दुसरे स्टारों की तरह उसके आगे घुटने नही टेके और न ही उनके द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार की परवाह की.यह मीडिया हाउस आमिर की फिल्म आते ही अफवाहों से नेगेटिव माहौल तैयार करता है.मंगल पण्डे के खिलाफ हवा बनने में इस मीडिया हाउस का हाथ रहा.आमिर के खिलाफ निगेटिव स्टोरी करने में अव्वल इस मीडिया हाउस से यह खबर उड़ी कि तारे ज़मीन पर खास लोगों की फिल्म है,इसलिए आम दर्शक इसे देखने नही जायेंगे.तारे ज़मीन पर को तथाकथित आर्ट हाउस सिनेमा बता कर दर्शकों को काटने की कोशिश नाकाम हो गयी तो यह खबर फैलाई गयी कि इस फिल्म में आमिर खान का रोल छोटा है।
फिल्म देख चुके लोग बता रहे हैं कि फिल्म का हीरो तो ईशान अवस्थी है.आमिर खान मुख्य रुप से इंटरवल के बाद आते हैं.तब भी कहानी ईशान पर ही केन्द्रित रहती है.इस फिल्म की यही ज़रूरत है.क्या यह ज़रूरी है कि पॉपुलर स्टार पूरी फिल्म में दिखे?वास्तव में दर्शकों को इस तरह बरगलाया जाता है कि अगर पूरी फिल्म में मेन स्टार नही है तो पैसा वसूल नही होता.पैसा वसूल अच्छी फिल्म से होता है और देखने वाले कह रहे हैं कि तारे ज़मीन पर बहुत अच्छी फिल्म है।
फिल्म की रिलीज के बाद भी अफवाहें उड़ेंगी और कोशिश रहेगी कि अलग किस्म की फिल्म को सफल न होने दिया जाये,क्योंकि अगर कोई अलग और बेहतर फिल्म बना कर कामयाब होता है तो फिल्म इंडस्ट्री की भेड़ियाधसान का क्या होगा?
ताज़ा खबर है कि गुजरात में कोई संगठन इसके खिलाफ जुटा है.उसकी कोशिश है कि तारे ज़मीन पर गुजरात के सिनेमाघरों में न लगे.वे नर्मदा आंदोलन के समर्थन में दिए आमिर के बयानों की सजा लंबी करना चाहते हैं.इस तरह वे गुजरात के दर्शकों को एक अच्छी फिल्म सिनेमाघर में देखने से वंचित करेंगे.दर्शक तो देख ही लेंगे..सिनेमाघरों में नही तो डीवीडी या वीसीडी पर.
देश का एक बड़ा मीडिया हाउस कुछ कारणों से आमिर खान को पसंद नही करता,क्योंकि आमिर ने दुसरे स्टारों की तरह उसके आगे घुटने नही टेके और न ही उनके द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार की परवाह की.यह मीडिया हाउस आमिर की फिल्म आते ही अफवाहों से नेगेटिव माहौल तैयार करता है.मंगल पण्डे के खिलाफ हवा बनने में इस मीडिया हाउस का हाथ रहा.आमिर के खिलाफ निगेटिव स्टोरी करने में अव्वल इस मीडिया हाउस से यह खबर उड़ी कि तारे ज़मीन पर खास लोगों की फिल्म है,इसलिए आम दर्शक इसे देखने नही जायेंगे.तारे ज़मीन पर को तथाकथित आर्ट हाउस सिनेमा बता कर दर्शकों को काटने की कोशिश नाकाम हो गयी तो यह खबर फैलाई गयी कि इस फिल्म में आमिर खान का रोल छोटा है।
फिल्म देख चुके लोग बता रहे हैं कि फिल्म का हीरो तो ईशान अवस्थी है.आमिर खान मुख्य रुप से इंटरवल के बाद आते हैं.तब भी कहानी ईशान पर ही केन्द्रित रहती है.इस फिल्म की यही ज़रूरत है.क्या यह ज़रूरी है कि पॉपुलर स्टार पूरी फिल्म में दिखे?वास्तव में दर्शकों को इस तरह बरगलाया जाता है कि अगर पूरी फिल्म में मेन स्टार नही है तो पैसा वसूल नही होता.पैसा वसूल अच्छी फिल्म से होता है और देखने वाले कह रहे हैं कि तारे ज़मीन पर बहुत अच्छी फिल्म है।
फिल्म की रिलीज के बाद भी अफवाहें उड़ेंगी और कोशिश रहेगी कि अलग किस्म की फिल्म को सफल न होने दिया जाये,क्योंकि अगर कोई अलग और बेहतर फिल्म बना कर कामयाब होता है तो फिल्म इंडस्ट्री की भेड़ियाधसान का क्या होगा?
ताज़ा खबर है कि गुजरात में कोई संगठन इसके खिलाफ जुटा है.उसकी कोशिश है कि तारे ज़मीन पर गुजरात के सिनेमाघरों में न लगे.वे नर्मदा आंदोलन के समर्थन में दिए आमिर के बयानों की सजा लंबी करना चाहते हैं.इस तरह वे गुजरात के दर्शकों को एक अच्छी फिल्म सिनेमाघर में देखने से वंचित करेंगे.दर्शक तो देख ही लेंगे..सिनेमाघरों में नही तो डीवीडी या वीसीडी पर.
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