फिल्मों का लोकतंत्र
अक्षय कुमार
आमिर खान
रितिक रोशन
सलमान खान
शाहरुख़ खान
फिल्मों के इन पॉपुलर अभिनेताओं के नाम चवन्नी ने अकारादि क्रम में लिखे हैं.चवन्नी दवा नही कर सकता कि इनमे से कौन आगे है और कौन पीछे?पिछले दिनों एक ट्रेड विशेषज्ञ ने एक अंग्रेजी अखबार के सन्डे सप्लीमेंट में लम्बा सा लेख लिखा और बताया कि ये पांच स्टार ही हैं,जो हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री चला रहे हैं.आप पूरा लेख पढ़ जाये और अगर आप पंक्तियों के बीच पढना जानते हों या लेख का निहितार्थ समझने में माहिर हों तो आसानी से अनुमान लगा लेंगे कि पूरा लेख यह बताने के लिए लिखा गया है कि देश के सबसे बडे स्टार शाहरुख़ खान हैं और उनके बाद चार और नाम लिए जा सकते हैं.चवन्नी तफसील में जाकर नही बताना चाहता कि यह लेख क्यों लिखा गया है और इस लेख से क्या साबित किया जा रहा है?
एक आम धरने है राजनीति में जो ज्यादा वोट ले आये,वो सबसे बड़ा नेता और फिल्मों में जो सबसे ज्यादा दर्शक ले आये,वो सबसे बड़ा अभिनेता.लोकतंत्र तो यही कहता है.फिल्मों के लिओक्तंत्र में सबसे जयादा दर्शक बटोरने वाले अभिनेता को ही सुपरस्टार और बादशाह और शहंशाह आदि आदि कहा जाता है.हम सभी जानते हैं कि पिछले सालों में सिनेमा किसी उत्पाद की तरह ही खरीदा और बेचा जा रहा है.फिल्मों के बाज़ार में उस स्टार की ज्यादा कीमत लगती है,जो ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को सिनेमाघरों में लाने की उम्मीद जगाता है.इस लिहाज से उसके बिकाऊ होने का महत्व है.फिर हमें यह भूल जान चाहिए कि वह अभिनेता भी बेहतर होगा.बिकाऊ स्टार बेस्ट सेलर की तरह होते हैं,जिन्हें पढा और फेंका.इन्हें कोई अपने घरों में सेल्फ पर नही रखता।
पिछले दिनों ओम शांति ओम को शाहरुख़ खान ने किसी साबुन की तरह बेचा और वैसे ही दर्शकों को सिनेमाघरों में ले आये जैसे कोई विज्ञापन कम्पनी हमें किसी साबुन का ग्राहक बना देती है.उन्हें इस तथ्य से ज्यादा मतलब नही है कि कोई दोबारा इस्तेमाल कर रहा है या नही?बस एक बार की खरीद या एक बार के देखने से ही उनकी कमाई सुनिश्चित हो जाती है.चवन्नी को ओम शांति ओम का छिछला मनोरंजन कतई पसंद नही आया.क्या अपने देश में मनोरंजन मजाक है?यह फिल्म जाहिर तौर पर बताती है कि फराह खान और शाहरुख़ खान अपने प्रोफेशन को लेकर कितने गंभीर हैं.चवन्नी को आश्चर्य होता है कि फिल्म इंडस्ट्री के कई नामी-गिरामी अभिनेता-अभनेत्री खुद का मजाक करने से भी नही हिचकते.और यह मजाक नही है,चवन्नी शबाना आजमी के विचारों को गंभीरता से लेता है।चवन्नी को बेहद तकलीफ हुई है।
बात चल रही थी लोकप्रिय स्टारों की .चवन्नी आप से जानना चाहेगा कि आप किन स्टारों को लोकप्रिय मानते हैं?
आमिर खान
रितिक रोशन
सलमान खान
शाहरुख़ खान
फिल्मों के इन पॉपुलर अभिनेताओं के नाम चवन्नी ने अकारादि क्रम में लिखे हैं.चवन्नी दवा नही कर सकता कि इनमे से कौन आगे है और कौन पीछे?पिछले दिनों एक ट्रेड विशेषज्ञ ने एक अंग्रेजी अखबार के सन्डे सप्लीमेंट में लम्बा सा लेख लिखा और बताया कि ये पांच स्टार ही हैं,जो हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री चला रहे हैं.आप पूरा लेख पढ़ जाये और अगर आप पंक्तियों के बीच पढना जानते हों या लेख का निहितार्थ समझने में माहिर हों तो आसानी से अनुमान लगा लेंगे कि पूरा लेख यह बताने के लिए लिखा गया है कि देश के सबसे बडे स्टार शाहरुख़ खान हैं और उनके बाद चार और नाम लिए जा सकते हैं.चवन्नी तफसील में जाकर नही बताना चाहता कि यह लेख क्यों लिखा गया है और इस लेख से क्या साबित किया जा रहा है?
एक आम धरने है राजनीति में जो ज्यादा वोट ले आये,वो सबसे बड़ा नेता और फिल्मों में जो सबसे ज्यादा दर्शक ले आये,वो सबसे बड़ा अभिनेता.लोकतंत्र तो यही कहता है.फिल्मों के लिओक्तंत्र में सबसे जयादा दर्शक बटोरने वाले अभिनेता को ही सुपरस्टार और बादशाह और शहंशाह आदि आदि कहा जाता है.हम सभी जानते हैं कि पिछले सालों में सिनेमा किसी उत्पाद की तरह ही खरीदा और बेचा जा रहा है.फिल्मों के बाज़ार में उस स्टार की ज्यादा कीमत लगती है,जो ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को सिनेमाघरों में लाने की उम्मीद जगाता है.इस लिहाज से उसके बिकाऊ होने का महत्व है.फिर हमें यह भूल जान चाहिए कि वह अभिनेता भी बेहतर होगा.बिकाऊ स्टार बेस्ट सेलर की तरह होते हैं,जिन्हें पढा और फेंका.इन्हें कोई अपने घरों में सेल्फ पर नही रखता।
पिछले दिनों ओम शांति ओम को शाहरुख़ खान ने किसी साबुन की तरह बेचा और वैसे ही दर्शकों को सिनेमाघरों में ले आये जैसे कोई विज्ञापन कम्पनी हमें किसी साबुन का ग्राहक बना देती है.उन्हें इस तथ्य से ज्यादा मतलब नही है कि कोई दोबारा इस्तेमाल कर रहा है या नही?बस एक बार की खरीद या एक बार के देखने से ही उनकी कमाई सुनिश्चित हो जाती है.चवन्नी को ओम शांति ओम का छिछला मनोरंजन कतई पसंद नही आया.क्या अपने देश में मनोरंजन मजाक है?यह फिल्म जाहिर तौर पर बताती है कि फराह खान और शाहरुख़ खान अपने प्रोफेशन को लेकर कितने गंभीर हैं.चवन्नी को आश्चर्य होता है कि फिल्म इंडस्ट्री के कई नामी-गिरामी अभिनेता-अभनेत्री खुद का मजाक करने से भी नही हिचकते.और यह मजाक नही है,चवन्नी शबाना आजमी के विचारों को गंभीरता से लेता है।चवन्नी को बेहद तकलीफ हुई है।
बात चल रही थी लोकप्रिय स्टारों की .चवन्नी आप से जानना चाहेगा कि आप किन स्टारों को लोकप्रिय मानते हैं?
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