बच ले,बच ले,यशराज तू बच ले
यही होना था.उत्तर प्रदेश में मायावती की भृकुटी तनी और इधर यशराज कैंप में हड़कंप मच गया.मायावती को आपत्ति थी कि फिल्म के शीर्षक गीत में मोची भी बोले वह सोनार है पंक्ति उपयोग हुआ जातिसूचक शब्द खेदजनक है.इस शब्द से एक जाति विशेष का अपमान हुआ है.अब यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि गीतकार पीयूष मिश्र ने यहाँ किस संदर्भ में इस शब्द का प्रयोग किया है.तिल का ताड़ बना देने वालों से बहस नही की जा सकती और जब मामला सवेंदनशील हो तो बिल्कुल ही बात नही की जा सकती।
हिन्दी साहित्य और लोकगीतों में खुल कर जाती सूचक शब्दों का इस्तेमाल हुआ है.क्या हम सारे साहित्य से चुन-चुन कर ऐसे शब्दों को निकालेंगे?और अगर निकाल दिए तो क्या साहित्य का वही मर्म रह जाएगा?ताज्जुब है कि देश के बुद्धिजीवी इस मामले में खामोश हैं.कोई कुछ भी नही बोल रहा है.मायावती का विरोध करने के बजाए एक-दो स्वर उनके समर्थन में ही सुनाई पड़े कि आप जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर किसी की भावना को ठेस नहीं पहुँचा सकते।
यशराज ने अपना पक्ष रखने के बजाए माफ़ी माँग लेने में भलाई समझी.पहले फिल्मकार बहस करते थे,अपना पक्ष रखते थे और कोर्ट तक जाते थे.उन्हें अपने काम और सोच पर इतना विश्वास होता था कि लड़ जाते थे.इस बार खुद यश चोपड़ा और पीयूष मिश्र ने आगे बढ़ कर माफ़ी माँग ली.उनहोंने कहा कि अगर अनजाने में हमने किसी की भावना को ठेस पहुंचाई है तो हमें माफ कर दें.यह जमाना भिड़ने का नहीं है.यशराज को तो माफी मांगनी ही था.उनके लिए करोड़ों का कारोबार है.एक पंक्ति के कुछ शब्दों के लिए करोड़ों का नुकसान नहीं उठाया जा सकता.यज्ञराज ने विवाद से बचने का उपक्रम किया.
हिन्दी साहित्य और लोकगीतों में खुल कर जाती सूचक शब्दों का इस्तेमाल हुआ है.क्या हम सारे साहित्य से चुन-चुन कर ऐसे शब्दों को निकालेंगे?और अगर निकाल दिए तो क्या साहित्य का वही मर्म रह जाएगा?ताज्जुब है कि देश के बुद्धिजीवी इस मामले में खामोश हैं.कोई कुछ भी नही बोल रहा है.मायावती का विरोध करने के बजाए एक-दो स्वर उनके समर्थन में ही सुनाई पड़े कि आप जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर किसी की भावना को ठेस नहीं पहुँचा सकते।
यशराज ने अपना पक्ष रखने के बजाए माफ़ी माँग लेने में भलाई समझी.पहले फिल्मकार बहस करते थे,अपना पक्ष रखते थे और कोर्ट तक जाते थे.उन्हें अपने काम और सोच पर इतना विश्वास होता था कि लड़ जाते थे.इस बार खुद यश चोपड़ा और पीयूष मिश्र ने आगे बढ़ कर माफ़ी माँग ली.उनहोंने कहा कि अगर अनजाने में हमने किसी की भावना को ठेस पहुंचाई है तो हमें माफ कर दें.यह जमाना भिड़ने का नहीं है.यशराज को तो माफी मांगनी ही था.उनके लिए करोड़ों का कारोबार है.एक पंक्ति के कुछ शब्दों के लिए करोड़ों का नुकसान नहीं उठाया जा सकता.यज्ञराज ने विवाद से बचने का उपक्रम किया.
Comments
कहीं ऐसा तो नहीं कि विवाद प्रायोजित है। जिस तरह से तीन-चार दिनों तक यह गाना सारे न्यूज़ चैनलों में दिखाया जाता रहा....