भरोसेमंद और शालीन शाहिद कपूर
-अजय ब्रह्मात्मज
एनएसडी में पंकज कपूर के क्लासमेट रहे एक सीनियर आर्टिस्ट से पिछले दिनों मुलाकात हो गई। वे रंगमंच, टीवी और फिल्मों में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कुछ फिल्में भी लिखी हैं। यूं ही बातचीत में शाहिद कपूर का जिक्र आ गया। वे बताने लगे, इधर तो मेरी मुलाकात नहीं हुई है शाहिद से, लेकिन मैं उसे बचपन से ही जानता हूं। सुशील स्वभाव का लड़का है और उसमें स्पार्क तो है ही। मैंने उम्मीद नहीं की थी कि वह इतने संतुलित स्वभाव का भी होगा! दरअसल.., बातचीत में करीना कपूर का प्रसंग आ गया था। शाहिद कपूर और करीना कपूर के प्रसंग में सबसे अच्छी बात यही रही कि दोनों में से किसी ने भी एक-दूसरे पर कीचड़ नहीं उछाला। आमतौर पर दिल टूटते हैं, तो विक्षुब्ध प्रेमी बकबकाने लगते हैं। दुर्भाग्य से अगर वे सेलिब्रिटी हों, तो कई बार दबाव में आकर भी अनचाहा कुछ बोल ही जाते हैं। इस प्रसंग में सामाजिक और पारंपरिक सोच के मुताबिक शाहिद कपूर की हार मानी जा रही थी। कहा यह जाता है कि प्रेम कहानियों में लड़की जिसके पास जाती है, वही हीरो होता है। हालांकि यह पर्दे पर ही नहीं, पर्दे के आगे-पीछे का भी सच है। बहरहाल, शाहिद कपूर ने रत्ती भर भी अहसास नहीं होने दिया कि वे हारे हुए प्रेमी हैं या कहीं से भी आहत हुए हैं। लोग शाहिद कपूर की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। उनकी फिल्म जब वी मेट रिलीज होने वाली थी। वे लगातार मीडिया के सामने आ रहे थे, लेकिन उनकी बातचीत और अभिव्यक्ति में कभी उदासी या नाराजगी नहीं दिखी। शायद यह देवदास का जमाना भी नहीं है, जहां पारो से ठुकराए जाने पर देवदास तुरंत शराब का सहारा ले ले और चंद्रमुखी की बांहों में चैन पाए। वैसे भी इन दिनों देवदास निराशा की प्रतिमूर्ति नहीं बन जाता, क्योंकि वह जीने के नए बहाने खोज ही लेता है। शाहिद कपूर ने अपनी खास मुस्कराहट के साथ सवालों के जवाब दिए और अपनी पूर्व प्रेमिका करीना कपूर के प्रति पूरा सम्मान भी दिखाया। शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म इस विवाद के बीच सिनेमाघरों में लगी। ऐसा लग रहा था कि फिल्म के प्रचार के लिए खड़ा किया गया प्रेम का पब्लिसिटी स्टंट रिलीज के बाद खत्म हो जाएगा, जबकि ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि रिलीज के बाद प्रेम-प्रसंग ने नई राह ले ली। हां, जब वी मेट को दर्शकों ने पसंद किया और फिल्म के हिट होने की संभावना भी बढ़ गई। संयोग ऐसा था कि अगले ही हफ्ते दो बड़ी फिल्में एक साथ रिलीज हुई और छोटी फिल्म होने के कारण जब वी मेट को सिनेमाघरों से बाहर निकलना ही पड़ा। जब वी मेट के चहेतों को तकलीफ तो हुई और ऐसा आभास भी हुआ कि सफलता की संभावना सिनेमा के बाजार के नियमों के कारण चूर-चूर हो जाएगी और तेजी से उभरता सितारा शाहिद कपूर शहीद हो जाएगा। वैसे, अतीत में ऐसे हादसे होते रहे हैं। कई बार चल रही और पसंद की जा रही फिल्मों की बलि चढ़ी है। अंतत: जब वी मेट के पोस्टर और प्रिंट्स सिनेमाघरों से हटा लिए गए।
इसे चमत्कार कहें या शाहिद कपूर का सौभाग्य.., अगले हफ्ते फिर से सिनेमा घर खाली हुए और कोई नई फिल्म नहीं मिलने के कारण सिनेमाघरों के मालिकों को फिर से जब वी मेट लगानी ही पड़ी, ताकि थिएटर खाली न रहें। शाहिद कपूर चुपके से स्टार बन गए- एक भरोसेमंद और शालीन स्टार।
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