शुक्रवार,२ नवम्बर ,२००७
ब्लॉग की दुनिया में पोस्टदेखी चलती है.आप का पोस्ट दिखता है तो लोग पढ़ते हैं और टिपण्णी भी करते हैं.आप पोस्ट न करें तो किसी को याद भी नही रहता कि आप ब्लॉग पर सक्रिय थे.बोधिसत्व अपवाद है,क्योंकि वे अभय तिवारी को याद करते हैं.चवन्नी किसी ग़लतफ़हमी में नही है कि उसका पोस्ट खूब पढ़ जाता है या कोई इंतज़ार करता है. शुक्रवार का यह पोस्ट २ नवम्बर को नही लिखा गया।
चवन्नी आप को याद रहे न रहे ...वह लिखता रहेगा.पिछले शुक्रवार को चवन्नी शहर से दूर था और पोस्ट लिखने कि स्थिति में नही था.अब इसे संयोग ही कहें कि २ नवम्बर को कोई फिल्म रिलीज नही हुई.एक तरह से अच्छा ही रहा।वैसे आपको चवन्नी बता दे कि सांवरिया और ओउम शांति ओउम के दर से कोई निर्माता इस हफ्ते फिल्म रिलीज करने कि हिम्मत नही कर सका.किसी ने बताया कि दीवाली के पहले के हफ्ते में पिछले पच्चीस सालों से फिल्में रिलीज नही होती.अगर आप लोगों में से किसी को जानकारी हो तो बताएं.
चलिए थोडी बासी खबरें ही जान लें.पिछले हफ्ते ऐश्वर्या राय और शाहरुख़ खान का जन्मदिन था.चवन्नी उन्हें बधाई देता है... देर से ही सही.उम्मीद है कि आप ने उन्हें बधाई भेज दी होगी.दोनों ही सुपर स्टार हैं और खूब चमक रहे हैं।
चवन्नी ने इधर बलराज साहनी की फिल्मी आत्मकथा पढी.जल्दी ही उस किताब के कुछ अंश आप पढ़ सकेंगे.फिलहाल इतना ही।
चवन्नी की पोस्टदेखी बात को गंभीरता से न लें.चवन्नी तो ऐसे ही दुखी हो जाता है.
चवन्नी आप को याद रहे न रहे ...वह लिखता रहेगा.पिछले शुक्रवार को चवन्नी शहर से दूर था और पोस्ट लिखने कि स्थिति में नही था.अब इसे संयोग ही कहें कि २ नवम्बर को कोई फिल्म रिलीज नही हुई.एक तरह से अच्छा ही रहा।वैसे आपको चवन्नी बता दे कि सांवरिया और ओउम शांति ओउम के दर से कोई निर्माता इस हफ्ते फिल्म रिलीज करने कि हिम्मत नही कर सका.किसी ने बताया कि दीवाली के पहले के हफ्ते में पिछले पच्चीस सालों से फिल्में रिलीज नही होती.अगर आप लोगों में से किसी को जानकारी हो तो बताएं.
चलिए थोडी बासी खबरें ही जान लें.पिछले हफ्ते ऐश्वर्या राय और शाहरुख़ खान का जन्मदिन था.चवन्नी उन्हें बधाई देता है... देर से ही सही.उम्मीद है कि आप ने उन्हें बधाई भेज दी होगी.दोनों ही सुपर स्टार हैं और खूब चमक रहे हैं।
चवन्नी ने इधर बलराज साहनी की फिल्मी आत्मकथा पढी.जल्दी ही उस किताब के कुछ अंश आप पढ़ सकेंगे.फिलहाल इतना ही।
चवन्नी की पोस्टदेखी बात को गंभीरता से न लें.चवन्नी तो ऐसे ही दुखी हो जाता है.
Comments
कश्मीर का काफी जिक्र आता है उसमें । चवन्नी की तरह हमें भी ये अहसास होता रहता है कि ना लिखो तो लोग पूछते या याद भी नहीं करते कि भई कहां थे । लेकिन इसमें उनका दोष नहीं । दोष जिंदगी की मसरूफियात का है । एक गाना याद है--किसे याद रखूं किसे भूल जाऊं ।
बलराज जी के नाटक, कहानियां आदि इतने अच्छे थे कि कभी कभी सोचता हूं कि बलराज अभिनेता न होते तो कितना अच्छा होता.
अतुल
आपने मना किया इसलिए गंभीरता से नही लिया!!
इंतजार कर रहे थे आपका
कोई गल नहीं
अब आप आ गए हैं तो नया मसाला तो मिलेगा ही
आमिर भाई का जिक्र नहीं किया क्या बात है
खैरियत तो हैं न
उनके संकट पर भी एक लाइन लिख देते