गुड्डी में जया की जगह डिंपल आ जातीं तो....
चवन्नी इन दिनों सैबल चटर्जी की गुलज़ार पर लिखी किताब द लाइफ एंड सिनेमा ऑफ़ गुलज़ार पढ़ रहा है.इस किताब में एक रोचक प्रसंग है.आदतन चवन्नी आप को बता रहा है।
आनंद के बाद हृषिकेश मुखर्जी और गुलज़ार गुड्डी पर काम कर रहे थे।इस फिल्म के लिए नयी अभिनेत्री की ज़रूरत थी। हालांकि यह ज़रूरत आखिरकार जया भादुड़ी ने पूरी की,लेकिन उसके पहले किसी और के नाम का सुझाव आया था.गुलज़ार तब एच एस रवैल के यहाँ आया-जाया करते थे। उनकी पत्नी अंजना भाभी से उनकी छनती थी.गुलज़ार ने वहाँ एक लड़की को आते-जाते देखा था.एक दिन अंजना भाभी ने गुलज़ार को बताया कि वह रजनी भाई की बेटी है और फिल्मों में काम करना चाहती है। उसका नाम डिंपल कापडिया है।
गुलज़ार ने हृषिकेश मुखर्जी को डिंपल के बारे में बताया,लेकिन हृषिकेश मुखर्जी के दिमाग में पहले से जया भादुड़ी थीं। हृषिकेश मुखर्जी ने पूना के फिल्म संस्थान में एक फिल्म देखी थी.उस फिल्म कि लड़की उन्हें अपनी फिल्म गुड्डी के लिए उपयुक्त लगी थी.उनहोंने गुलज़ार को सलाह दी कि जाकर पूना में उस से मिल आओ।
गुलज़ार और हृषिकेश मुखर्जी के छोटे भाई हृषिकेश मुखर्जी से लगातार पूछते रहे कि कब पूना चलना है। डैड अपनी व्यस्तता के कारण टालमटोल करते रहे। आखिरकार एक दिन दादा को जबरदस्ती पूना ले जाया गया.वहाँ तीनों ने डिप्लोमा फिल्म देखी और जया को गुड्डी फिल्म का प्रस्ताव दिया। बाद में हृषिकेश मुखर्जी और गुलज़ार दोनों ने जया भादुड़ी के साथ कई यादगार फिल्में बनाईं।
अगर गुड्डी में डिंपल आ गयी होतीं तो बॉबी कैसे बनी होती.हिन्दी फिल्मों के दर्शक जया भादुड़ी से वंचित रह जाते और बॉबी भी डिंपल के साथ नही देख पाते.
आनंद के बाद हृषिकेश मुखर्जी और गुलज़ार गुड्डी पर काम कर रहे थे।इस फिल्म के लिए नयी अभिनेत्री की ज़रूरत थी। हालांकि यह ज़रूरत आखिरकार जया भादुड़ी ने पूरी की,लेकिन उसके पहले किसी और के नाम का सुझाव आया था.गुलज़ार तब एच एस रवैल के यहाँ आया-जाया करते थे। उनकी पत्नी अंजना भाभी से उनकी छनती थी.गुलज़ार ने वहाँ एक लड़की को आते-जाते देखा था.एक दिन अंजना भाभी ने गुलज़ार को बताया कि वह रजनी भाई की बेटी है और फिल्मों में काम करना चाहती है। उसका नाम डिंपल कापडिया है।
गुलज़ार ने हृषिकेश मुखर्जी को डिंपल के बारे में बताया,लेकिन हृषिकेश मुखर्जी के दिमाग में पहले से जया भादुड़ी थीं। हृषिकेश मुखर्जी ने पूना के फिल्म संस्थान में एक फिल्म देखी थी.उस फिल्म कि लड़की उन्हें अपनी फिल्म गुड्डी के लिए उपयुक्त लगी थी.उनहोंने गुलज़ार को सलाह दी कि जाकर पूना में उस से मिल आओ।
गुलज़ार और हृषिकेश मुखर्जी के छोटे भाई हृषिकेश मुखर्जी से लगातार पूछते रहे कि कब पूना चलना है। डैड अपनी व्यस्तता के कारण टालमटोल करते रहे। आखिरकार एक दिन दादा को जबरदस्ती पूना ले जाया गया.वहाँ तीनों ने डिप्लोमा फिल्म देखी और जया को गुड्डी फिल्म का प्रस्ताव दिया। बाद में हृषिकेश मुखर्जी और गुलज़ार दोनों ने जया भादुड़ी के साथ कई यादगार फिल्में बनाईं।
अगर गुड्डी में डिंपल आ गयी होतीं तो बॉबी कैसे बनी होती.हिन्दी फिल्मों के दर्शक जया भादुड़ी से वंचित रह जाते और बॉबी भी डिंपल के साथ नही देख पाते.
Comments
आदतन चवन्नी आप को बता रहा है।
;)